हरियाणा में 45 गायों की मौत, सामने आई चौंकाने वाली वजह

Death of 45 cows in Haryana, shocking reason revealed
Death of 45 cows in Haryana, shocking reason revealed
इस खबर को शेयर करें

करनाल: हरियाणा के करनाल की फुसगढ़ गौशाला में 45 गायों की मौत के मामले में आस इंटरप्राइजेज आज अपना जवाब दाखिल करेगी। आस इंटरप्राइजेज के पास ही गोशाला की सफाई व्यवस्था का जिम्मा है। कारण बताओ नोटिस का जवाब आने के बाद नगर निगम कमिश्नर की अग्नि परीक्षा शुरू होगी। ऐसे में देखने होगा कि निगमायुक्त निगरानी कमेटी, गोशाला प्रबंधन समिति और निगम अधिकारियों पर भी एक्शन लेते हैं या फिर सारा ठीकरा सफाई व्यवस्था देखने वाली आस इंटरप्राइजेज पर ही फोड़ेंगे।

गौशाला में 960 गाय
फुसगढ़ की गौशाला में 45 गायों की मौत के बाद घोटालेबाजी की परतें खुलनी शुरू हुई। कोई 2500 गायों के नाम पर चंदा खा रहा था तो कोई सफाई के ठेके में ही अपना हिस्सा निकाल बैठा था। गौशाला में गाय सिर्फ 960 थी और चंदा 2500 गायों के नाम पर लिया जाता था। इतना ही नहीं हादसे के अगले दिन ही 3 लाख 99 हजार की राशि सफाई एजेंसी को जारी कर दी है। 960 गायों का खुलासा उस वक्त हुआ, जब गोशाला में निगम आयुक्त ने निरीक्षण किया।

जिम्मेदार लगा रहे एक दूसरे को बचाने की जुगत
कोई गाय के नाम पर वोट ले जाता है तो कोई नोट ले जाता है। गोवंश को लेकर बड़े बड़े वादे और दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत वादों और दावों से विपरीत होती है। जहरीला चारा खाने से गोवंश की मौत हो गई और गायों को न्याय दिलाने वाले जिम्मेदार ही एक दूसरे को बचाने की जुगत में लगे हुए हैं, लेकिन बेजुबानों के न्याय का मामला जांच के गर्भ में डाल दिया गया है। फर्स्ट क्लास के अफसर गौशाला में एक-एक बार चक्कर लगाकर खानापूर्ति कर गए और मामले पर चुप्पी साध गए। अब सिर्फ अधिकारी इस कोशिश में लगे हैं कि अपने चहेतों को कैसे बचाया जाए और खुद भी इस जंजाल से निकला जाए।

सफाई पर हर महीने 4.24 लाख का खर्च
सूत्रों की माने तो, आस इंटरप्राइजेज को बीती 10 नवम्बर को 4.24 लाख रुपए प्रति माह का ठेका दिया गया। जनवरी माह में 3.23 लाख रुपए ही गौशाला में पहुंचे। एजेंसी निदेशक कांग्रेस नेत्री के पति दीपक मेहरा का आरोप है कि प्रत्येक महीने 30 हजार निगम की तरफ से कम मिलते हैं। टेंडर उसके नाम से जरूर है, लेकिन DMC अरुण भार्गव के कहने पर वह अपने पैसे काटकर बाकी अदायगी प्रबंधन की ओर से करते हैं। 27 जनवरी को नगर निगम ने 3.99 लाख रुपए के बिल पास किए, जिसमें से 3.23 लाख रुपए गौशाला में दिए गए।

19 दिसंबर को 20 दिन के 2.30 लाख दिए
वहीं गोशाला प्रबंधन अध्यक्ष राजेश बंसल ने बताया कि एजेंसी निदेशक की ओर से 19 दिसंबर को 20 दिन के 2.30 लाख रुपए और 27 जनवरी को 3 लाख 23 हजार 230 रुपए दिए गए हैं, लेकिन निगम और एजेंसी ने किस तरह से सफाई व्यवस्था का रखरखाव पर खर्च किया वह समझ से परे है। क्योंकि खर्च 2500 गायों का लिया जाता था और गाय सिर्फ 960 ही थी। इससे समझ सकते है कि गौशाला में क्या चल रहा था और यह इसी तरह से चलता रहता, अगर गौशाला में यह हादसा न हुआ होता।

बिना स्थिति को जाने एजेंसी के नाम बिल अदा
कांग्रेस नेता त्रिलोचन सिंह के अनुसार इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि नगर निगम बिना स्थिति को जाने एजेंसी के नाम बिल अदा कर रहा था। अगर दानियों के सहयोग से गौशाला का रखरखाव किया जा रहा है तो नगर निगम की और से प्रतिमाह दी जाने वाली राशि किसकी जेब में जा रही थी।

जिम्मेदारी निगम की है: संजीव शर्मा
एंटी करप्शन फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव शर्मा के अनुसार निगम अधिकारी अपनी गौशाला में बेजुबानों की मौत पर किसी तरह की कार्रवाई के लिए हाथ बांध चुका है। हकीकत में गौशाला की पहली जिम्मेदारी निगम प्रशासन की है, जोकि गायों की मौत के लिए सीधे जिम्मेदार है. लेकिन यहां जिम्मेदार ही खुद और दूसरों के लिए बचाव के रास्ते तैयार करने में लगे हैं।

मामले की कमेटी कर रही जांच
निगम आयुक्त अजय सिंह तोमर ने बताया कि सफाई व्यवस्था संतोषजनक न मिलने पर आस इंटरप्राइजेज को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उचित जवाब न मिलने पर ठेका रद किया जाएगा। रखरखाव राशि खर्च को लेकर अधिकारियों की कमेटी जांच कर रही है।