दिल्ली मेट्रो या मेरठ मेट्रो, किसकी ट्रेन बेहतर है, किसमें सुविधाएं ज्यादा हैं?

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​Delhi Metro Vs Meerut Metro: यूं तो मेरठ मेट्रो (Meerut Metro) को शुरू होने में अभी देरी है। इसके शुरू होने की कोई निश्चित तारीख की घोषणा नहीं की गई है। लेकिन इस पर कौन सी ट्रेन चलेगी, इस पर से परदा उठ गया है। मेरठ मेट्रो परियोजना को जमीन पर उतारने वाली कंपनी है नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (NCRTC)। इसी कंपनी के MD शलभ गोयल ने बीते 7 सितंबर को RRTS के दुहाई डिपो में मेरठ मेट्रो के ट्रेन से पर्दा हटाया। अभी तक दिल्ली मेट्रो के ट्रेन को सबसे आधुनिक माना जाता था। अब मेरठ मेट्रो का दावा है कि उनकी ट्रेन सबसे अच्छी है। हम इस ट्रेन की तुलना दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) के ट्रेन करते हैं और जानते हैं कि कौन सी ट्रेन बेहतर है?

मेरठ मेट्रो प्रोजेक्ट क्या है
उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के सहयोग से मेरठ में 23 किलोमीटर लंबा मेट्रो कॉरिडोर बना रही है। इस कॉरिडोर पर 13 स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इसके परियोजना के तहत 18 किलोमीटर एलिवेटेड यानी जमीन से ऊपर और पांच किलोमीटर भूमिगत यानी अंडरग्राउंड ट्रैक बिछाया जा रहा है। एलिवेटेड पर नौ और तीन भूमिगत स्टेशन रहेंगे। ट्रेन को पार्क करने के लिए और इसके मेंटनेंस के लिए एक डिपो भी बनाया जा रहा है। दावा है कि इसके शुरू हो जााने पर लोग मेरठ के दक्षिणी छोर से उत्तरी छोर की दूरी महज आधे घंटे में पूरी कर लेंगे।

कब तक शुरू होगा मेरठ मेट्रो
अभी तक मेरठ मेट्रो में सिविल कंस्ट्रक्शन का काम खत्म नहीं हुआ है। एनसीआरटीसी (NCRTC) के एमडी शलभ गोयल का कहना है कि संपूर्ण मेट्रो कॉरिडोर बनाने का काम तेजी से चल रहा है। सभी स्टेशनों का निर्माण कार्य भी तेज गति से चल रहा है। भूमिगत सुरंगों का काम पूरा किया जा चुका है। अंडरग्राउंड स्टेशन भी बनाया जा चुका है। इस समय उन स्टेशनों की फिनिशिंग की जा रही है। जहां अंडरग्राउंड सेक्शन बनना है, वहां पहले से तैयार सुरंगों में रेल की पटरी बिछायी जा रही है। इसी तरह वायडक्ट्स पर भी रेल की पटरी बिछाने का काम और रेल की पटरी के ऊपर ओवरहेड वायर लगाने का काम चल रहा है। उनका दावा है कि अगले साल जून तक मेरठ मेट्रो में ऑपरेशन शुरू कर दिया जाएगा।

मेरठ मेट्रो का रूट क्या है
मेरठ मेट्रो के कुल 13 स्टेशन होंगे। इनमें से 8 स्टेशन एलिवेटेड यानी जमीन से ऊपर बने होंगे। मेरठ मेट्रो के चार मेट्रो स्टेशन अंडरग्राउंड यानी जमीन के नीचे बने होगें। एक स्टेशन जमीन पर भी बन रहा है जो कि मोदीपुरम डिपो के नाम से जाना जाएगा। यदि शुरुआत मोदीपुरम डिपो से करें तो यह इसका पहला स्टेशन होगा। इसके बाद आएगा मोदीपुरम स्टेशन जो कि एलिवेटेड होगा। इसके बाद मेरठ नॉर्थ, दौरली और एमईएस कॉलोनी स्टेशन आएंगे। ये सब एलिवेटेड बने होंगे। इसके बाद बेगमपुल, भैंसाली और मेरठ सेंट्रल स्टेशन होंगे। यह सब स्टेशन जमीन के नीचे यानी अंडरग्राउंड बने होंगे। इसके बाद आएगा ब्रह्मपुरी मेट्रो स्टेशन जो कि एलिवेटेड होगा। फिर आएगा शताब्दी नगर, रिठानी, परतापुर और मेरठ साउथ। ये सब स्टेशन भी एलिवेटेड होंगे।

मेट्रो ट्रेन किनके बेहतर
एनसीआरटीसी (NCRTC) के एमडी Shalabh Goel का दावा है कि मेरठ मेट्रो की ट्रेन दिल्ली मेट्रो की ट्रेन से बेहतर है। उनका कहना है कि मेरठ मेट्रो का निर्माण दिल्ली मेट्रो से काफी बाद में हो रहा है। इसलिए इस क्षेत्र में चल रही लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग इसमें किया जा रहा है। यही स्थिति रोलिंग स्टॉक में भी है। दिल्ली मेट्रो के डिब्बों की टेक्नोलॉजी दो से तीन दशक पुरानी है जबकि मेरठ मेट्रो की टेक्नोलॉजी लेटेस्ट है। मेरठ मेट्रो के अधिकारियों का दावा है कि उनकी ट्रेन दिल्ली मेट्रो की ट्रेन के मुकाबले कम ऊर्जा की खपत करेगी। इस ट्रेन की एयर कंडीशनिंग स्टिस्टम भी लेटेस्ट है, जिससे बिजली की खपत घटेगी।

बैठने की क्षमता ज्यादा
दिल्ली मेट्रो के डिब्बों में जब आप अंदर जाएंगे तो पाएंगे कि इसमें सीटों की संख्या काफी कम है। ट्रेन के अंदर दोनों तरफ दीवारों से सटा कर ही बैठने की बेंचें बनायी गई है। इसलिए एक डिब्बे में महज 36 सीटों की ही व्यवस्था है। यदि आठ डिब्बे की ट्रेन में चढ़ते हैं तो आप पूरे ट्रेन में करीब 200 यात्रियों ही पाएंगे। लेकिन मेरठ मेट्रो में बस की तरह सीटें लगाई गई है। इसलिए तीन डिब्बों की ट्रेन में ही 173 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है। यदि ट्रेन में खड़े होने वाले यात्रियों की संख्या भी जोड़ ली जाए तो इसके एक ट्रेन में 700 से भी अधिक यात्री ट्रेवल कर सकते हैं। यह मेरठ मेट्रो का दावा है।

ट्रेन की स्पीड किसकी ज्यादा
दिल्ली मेट्रो की ट्रेन को अधिकतम 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने के लिए डिजाइन किया गया है। जब ट्रेन वास्तव में चलती है तो यह स्पीड और भी घट जाती है क्योंकि हर दो-तीन किलोमीटर की दूरी पर अगला स्टेशन आ जाता है। मेरठ मेट्रो ट्रेन को अधिकतम 135 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने के लिए बनाया गया है। मतलब कि जब ट्रेन दौड़ेगी तो इसे 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तो आराम से दौड़ाया जा सकता है। हालांकि यह वक्त बताएगा कि इतनी स्पीड से ट्रेन चल भी पाती है या नहीं।

सभी स्टेशन पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर
यूं तो दिल्ली मेट्रो के भी चुनिंदा स्टेशनों पर प्लेटफार्म स्क्रीन डोर (PSD) लगाने की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन इसके अधिकतर स्टेशनों पर यह व्यवस्था नहीं है। इसके उलट मेरठ मेट्रो के सभी स्टेशनों पर PSD की व्यवस्था पहले से ही की जा रही है। मतलब कि दिल्ली मेट्रो की ट्रेन के आगे जो यात्री कूद कर आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं, वह इसमें संभव नहीं है। यही नहीं, दिल्ली मेट्रो की ट्रेन जहां भी ठहरती है, ट्रेन के सभी दरवाजे खुलते हैं। जबकि मेरठ मेट्रो की ट्रेन के दरवाजे में पुश बटन लगे हैं। मतलब कि जिस दरवाजे के सामने यात्री चढ़ने या उतरने के लिए खड़े हैं, यात्री खुद वह दरवाजा खोल लेंगे। इससे ऊर्जा की बचत तो होगी ही, डिब्बे में एयर कंडीशनिंग भी बेहतर रहेगी।

गद्देदार सीटें, हर सीट पर चार्जिंग प्वाइंट
दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro Train) की ट्रेन में स्टेनलेस स्टील या फिर पीवीसी की बेंचनुमा सीटों की व्यवस्था है। इसके उलट मेरठ मेट्रो में गद्देदार सीटें लगाई गई हैं। मतलब कि यात्रियों को सफर के दौरान ज्यादा आराम मिलेगा। यही नहीं, दिल्ली मेट्रो की ट्रेनों में सिर्फ दोनों छोर की सीटों पर ही मोबाइल चार्जिंग के लिए प्वाइंट की व्यवस्था है। लेकिन मेरठ मेट्रो में हर सीट के पास मोबाइल चार्जिंग पोर्ट दिए गए हैं। आप अपना चार्जिंग केबल लगाइए और शुरू हो जाइए।

सामान रखने के लिए रैक की व्यवस्था
दिल्ली मेट्रो की ट्रेन (Delhi Metro Train) में समान रखने के लिए अलग से कोई रैक नहीं बनाया गया है। इसमें सफर करने वाले जिन यात्रियों के पास ज्यादा सामान रहता है, वे अपना सामान या तो सीट के अंदर घुसाने की कोशिश करते हैं या फिर अपने सामने रखते हैं। भीड़ के समय जहां तहां लगेज रखे होने से यात्रियों को डिब्बे में खड़े होने में असुविधा होती है। मेरठ मेट्रो की ट्रेन में देखें तो पूरे डिब्बे में सामान रखने के लिए लगेज रैक की व्यवस्था है। यह व्यवस्था ठीक उसी तरह से है, जैसे रेल डिब्बों के चेयर कार में लगेज रैक लगाया जाता है।