दिल्ली में घनी आबादी, उमस और वायु प्रदूषण से आक्रामक हुआ कोरोना

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नई दिल्ली। कोविड पीड़ित बच्चों की रिकवरी बड़ों की तुलना में कहीं ज्यादा है। कोविड की वजह से इलाज के लिए एडमिट होने वाले बच्चों की रिकवरी 99 पर्सेंट तक है। दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों में कोविड की वजह से लगभग 278 बच्चे एडमिट किए गए और इसमें से 275 बच्चे ठीक हो गए। मात्र 3 की जान बचाने में डॉक्टर असफल रहे, क्योंकि इन तीनों में मल्टीसिस्टम इनफ्लामेट्री डिजीज इन चिल्ड्रन (MIS-C) पाया गया था और ब्रेन भी इनवाल्व हो गया था।

एलएनजेपी में 78 बच्चे एडमिट हुए, 77 हुए ठीक
एलएनजेपी अस्पताल की पीडिएट्रिक्स विभाग की एचओडी डॉ उर्मिला झांब के अनुसार में पिछले दो महीने में 78 बच्चे कोविड की वजह से एडमिट हुए। इसमें से 43 बच्चे और 33 बच्चियां थीं। बच्चों की उम्र 4 महीने से लेकर 15 साल के बीच थी। डॉ उर्मिला ने कहा कि बच्चों में रिकवरी बहुत अच्छी थी। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि इसमें से 6 बच्चों को MIS-C हो गया था। लेकिन इसमें से 5 को बचाने में हम सफल रहे, सिर्फ एक बच्चे को नहीं बचा सके, क्योंकि उसके ब्रेन तक यह बीमारी पहुंच गई थी। उन्होंने कहा कि 78 में से 77 बच्चे ठीक हो गए।

रेनबो हॉस्पिटल में 200 बच्चे एडमिट हुए, 198 ठीक
दिल्ली के एक मात्र डेडिकेटेड चिल्ड्रन अस्पताल रेनबो में इस साल पिछले वेब की तुलना में ज्यादा बच्चे एडमिट हुए। रेनबो अस्पताल के पीडिएट्रिक्स क्रीटिकल केयर के इंचार्ज डॉ. चंद्रशेखर सिंघा ने बताया लगभग 200 बच्चे इलाज के लिए एडमिट हुए। इसमें से 60 बच्चों में मल्टीसिस्टम इनफ्लामेट्री डिजीज पाई गई। यानी इस बार बच्चों में MIS-C की संख्या पहले से कहीं ज्यादा थी। फिर भी केवल 4 से 5 में रिस्क फैक्टर ज्यादा थी, जिन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। इसमें से दो बच्चे जो लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रखा गया, वो काफी मोटे थे। हालांकि, अब वो वेंटिलेटर से बाहर आ गए हैं, लेकिन उन्हें अभी भी बीच बीच में ऑक्सिजन स्पोर्ट की जरूरत हो रही है। केवल 2 बच्चे को बचा नहीं पाए। इन दोनों बच्चों की मौत MIS-C की वजह से हुई। इसमें बच्चों का ब्रेन प्रभावित हो गया था। लेकिन 99 पर्सेंट तक बच्चों में रिकवरी देखी गई।

केवल 2-3 पर्सेंट बच्चों को आईसीयू की जरूरत
डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि अस्पताल में एडमिट हुए ऐसे बच्चों में केवल दो से तीन पर्सेंट को ही आईसीयू की जरूरत पड़ी। अधिकांश बच्चों में सीवियरिटी नहीं थी, इस वजह से उनकी रिकवरी बेहतर हुई और वो जल्दी ठीक हो गए। उन्होंने कहा कि MIS-C में चूंकि एक साथ कई ऑर्गन प्रभावित हो जाते हैं, जिसमें हार्ट, किडनी, ब्रेन तक संक्रमण हो जाता है। हालांकि, MIS-C का भी इलाज है। इसका भी इंजेक्शन है। लेकिन जरूरत है कि ऐसे बच्चों को समय पर इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे।

बच्चों में रिकवरी ज्यादा अच्छी
डॉ. चंद्रशेखर ने कहा कि चूंकि हमारा सेंटर बच्चों का है, लेकिन अडल्ट के तौर पर प्रेग्नेंट महिलांए इलाज के लिए एडमिट होती हैं। जब हमने दोनों की तुलना की है तो पाया कि बच्चों में रिकवरी बड़ों से कहीं बेहतर है। इसलिए कोविड होने पर बच्चों को समय पर इलाज के लिए लेकर जाएं। समय पर इलाज होने पर सर्वाइवल के चांस बड़ों से ज्यादा है। लेकिन, अपने देश में बच्चों के इलाज के लिए डेडिकेटेड सेंटर की कमी है।