पश्चिम चंपारण. 22 मार्च को बिहार दिवस के अवसर पर पटना के गांधी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योगापट्टी प्रखंड के चौमुखा गांवके 16 वर्षीय धीरज को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया. उसकी पढ़ाई के लिए एक लैपटॉप, एक एंड्रॉयड मोबाइल, बैग और एक स्मार्ट घड़ी भी दी. लेकिन, क्या आप जानते हैं तो धीरज को यह सम्मान सीएम ने क्यों दिया. तो चलिए, आज हम आपको पूरी जानकारी देते हैं. असल में, धीरज ने ढाई साल पहले गंडक नदी में अपने 11 साल के भाई को मगरमच्छ के मुंह से सकुशल बाहर निकाला था. उसकी इस बहादुरी के लिए पिछले साल 24 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इसे पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया था.
मैं डर जाता तो भाई जिंदा नहीं रहता
कुछ ऐसा ही कहना था 16 वर्षीय धीरज का. यह घटना सितंबर 2020 की है. चौमुखा गांव निवासी नीरज और उसका भाई धीरज अपनी भैंस को नहलाने गंडक नदी गया हुआ था. कुछ ही दूरी पर दोनों अलग-अलग भैंस को नहला रहा थे. उस वक्त किसी को इस बात का आभास नहीं था कि पानी में एक 8 फीट लंबा मगरमच्छ घात लगाए बैठा है. तभी अचानक से एक आवाज हुई. माई रे मर गायिनी ! धीरज ने जब पलट कर देखा तो मंजर रोंगटे खड़े कर देने वाला था. पैरों से जकड़ कर मगरमच्छ उसके छोटे भाई कोतेजी से गहराई में खींच रहा था. इसके बाद धीरज ने बिना कुछ सोचे भाई की ओर छलांग लगा दी और एक तरफ से उसे बाहर खींचने लगा. हालांकि वहां बहुत से लोग मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की, सब डरे हुए थे.
चारों तरफ था खून ही खून
मगरमच्छ बड़ी तेजी से नीरज को पानी के अंदर खींच रहा था. चुकी धीरज ने छोटे भाई को पकड़ रखा था, इसलिए वह भी तेजी से डूब रहा था. स्थिति को बिगड़ता देख धीरज ने पानी में पड़े एक डंडे से मगरमच्छ के मुंह पर मरने लगा. नदी में बढ़ी हलचल और लगातार हो रहे वार से घबरा कर मगरमच्छ ने नीरज को छोड़ दिया. धीरज के मुताबिक पानी में सिर्फ खून ही खून दिख रहा था. छोटे भाई के साथ उसका शरीर भी खून से लथपथ था.
नदी से बाहर आने पर पता चला कि नीरज की स्थिति बेहद गंभीर है. उसके दाहिने पैर का मांस झूल रहा था. हालांकि वह होश में ही था. किसी तरह धीरज ने उसे कंधे पर उठाया और घर आ गया. वहां से उन दोनों को बेतिया जीएमसीएच लाया गया, जहां लगभग 2 महीने तक नीरज का इलाज चला. नीरज को पैर में कुल 350 तो वहीं धीरज को भी 5 टांके लगे.