- दंतेवाड़ा में हिंसा की राह छोड़ 18 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, इसमें 3 महिलाएं भी शामिल - April 24, 2024
- बिहार में एक कट्टा जमीन और रुपयों के लिए नवविवाहिता की हत्या, ससुराल वालों ने बालू में किया दफन - April 24, 2024
- छत्तीसगढ़ में भाजपा नेता ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखी यह वजह, शादी में गया था परिवार - April 24, 2024
नई दिल्ली। जीवन क्या है, इसका अनुभव तो जीते जी सभी ले लेते हैं. लेकिन क्या मौत के बाद भी जीवन होता है. क्या दुनिया में वाकई भूत-प्रेत (Ghost) होते हैं?
क्या मरने के बाद भी होती है जिंदगी?
इस सवाल पर दुनिया में कई रिसर्च हुई हैं लेकिन सही जवाब आज तक नहीं मिल सका है. लोग कहते हैं कि मौत के बाद की जिंदगी का अहसास तभी हो सकता है, जब इंसान खुद शरीर छोड़ दे. हालांकि यह भी सच्चाई है कि अगर इंसान एक बार मर गया तो वह मौत के बाद के जीवन का अनुभव कभी बयान नहीं कर सकता.
अगर आप भी भूत-प्रेतों के अस्तित्व के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको गरुड़ पुराण (Garuda Purana) पढ़ना चाहिए. इस पुराण में जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा के अंतर को भी बताया गया है. साथ ही मृत्यु के समय और बाद की स्थितियों के बारे में वर्णन किया गया है. आइए जानते हैं कि भूत-प्रेतों (Ghost) के बारे में गरुड़ पुराण में क्या कहा गया है.
भूत-प्रेतों की होती हैं श्रेणियां
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार जब आत्मा भौतिक शरीर में वास करती है, तब वो जीवात्मा कहलाती है. सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करने पर इसे सूक्ष्मात्मा कहलाती है. वहीं वासना और कामनामय शरीर में प्रवेश करने पर इसे प्रेतात्मा कहा गया है. इन भूत-प्रेतों (Ghost) की अपनी श्रेणियां होती हैं. जिन्हें यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, भूत, प्रेत, राक्षस और पिशाच कहा जाता है.
धर्म शास्त्रों में 84 लाख योनियों का जिक्र है. इनमें पशु-पक्षी, मानव, वनस्पति और कीट-पतंगे आदि सभी शामिल हैं. इनमें से अधिकतर योनियों में जीवात्माएं शरीर त्यागने के बाद अदृश्य भूत-प्रेत योनि में चली जाती हैं. ये दिखाई नहीं देती लेकिन बलवान भी नहीं होती. वहीं कुछ पुण्य आत्माएं अपने सतकर्मों के आधार पर पुन: गर्भधारण कर लेती हैं.
अकाल मौत मरने वाले बनते हैं भूत?
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में कहा गया है कि हत्या दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या यानी समय से पहले अकाल मौत मरने वालों की आत्माओं को भूत (Ghost) बनना पड़ता है. इसके साथ ही संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना, भूख, प्यास से मरने वालों की आत्माएं भी अतृप्त होकर दुनिया को छोड़ती हैं. इसलिए उन्हें भी भूत-प्रेत बनना पड़ता है.
भटकती रहती हैं अतृप्त आत्माएं
ऐसी आत्माओं की तृप्ति और मोक्ष प्रदान करने के लिए धर्म ग्रंथों (Astrology) में उपाय बताए गए हैं. उनके लिए तर्पण और श्राद्ध किया जाता है. इससे अकाल मौत या अतृप्त होकर मरे लोगों की आत्माएं तृप्त हो जाती हैं और वे भूत-प्रेत (Ghost) के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष को प्रस्थान कर जाती हैं. ऐसी अतृप्त आत्माओं की मु्क्ति के इंतजाम न किए जाने पर वे भटकती रहती हैं, जिसका असर परिवार की सुख-शांति पर भी पड़ता है.