कमर और गर्दन के दर्द को बिल्‍कुल न करें नजरअंदाज, देते हैं इन बड़े खतरों का सिग्‍नल

इस खबर को शेयर करें

नई दिल्ली। वर्ल्ड स्पाइन डे (World Spine Day) के मौके पर दुनिया भर के स्पाइन स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने लोगों को रीढ़ की हड्डी (Spine) की अहमियत बताते हुए उसका ध्यान रखने की अपील की है. हिंदुस्तान में भी सैकड़ों लोगों को रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहती है. डॉक्टरों की मुहिम का एक मकसद ये भी है कि शरीर के इस हिस्से पर बचपन में लगी चोट को भी इग्नोर नहीं करना चाहिए क्योंकि ये आगे चलकर दिक्कत दे सकती है.

स्पाइनल हेल्थ (Spinal Health) के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल वर्ल्ड स्पाइन डे (World Spine Day) का आयोजन होता है. इस कार्यक्रम का मकसद रीढ़ की सही तरह से देख-रेख और उसके सही पॉश्चर पर ध्यान देने के लिए लोगों को जागरूक करना है.

भारत (India) में बहुत से लोग लोग रीढ़ की हड्डी में उठने वाले दर्द (Pain in Spinal Cord) को पुरवैया हवा चलने के दौरान उठने वाले दर्द से जोड़ लेते हैं ये सही नहीं है.

अगर आपको भी उठते-बैठते वक्त कमर में दर्द होता है या फिर चलने-फिरने-झुकने में परेशानी होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता है. इसी तरह पीठ में अकड़न, खिंचाव, गर्दन या कमर में दर्द को भी गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर को दिखाने के बाद उनकी सलाह पर एक्स रे या एमआरआई कराना चाहिए.

रीढ़ से जुड़े डिसॉर्डर आपकी स्पाइनल कॉर्ड को डैमेज कर सकते हैं. आर्थराइटस, डीजेनरेटिव डिस्क डिसीज, हर्निएटेड डिस्क, एंकीलॉसिंग स्पॉन्डिलॉसिस, कमर दर्द, गर्दन दर्द, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी, ऑस्टियोपोरोसिस और काइफोसिस जैसी परेशानियां रीढ़ को नुकसान पहुंचाने का काम करती हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि रीढ़ से जुड़ी दिक्कत कई कारणों से पैदा हो सकती है. घर में गिरने या इंफेक्शन होने, इनफ्लेमेशन, अथवा कोई पैदाइशी डिसॉर्डर, रीढ़ की पुरानी चोट, बढ़ती उम्र, ऑटोइम्यून डिसीज, स्पाइन में ब्लड सर्कुलेशन की कमी से भी रीढ़ में दिक्कत आ सकती है. खराब पॉश्चर भी रीढ़ की हड्डी में दर्द की एक वजह हो सकता है.