पत्नी की जरूरतों को पूरा नहीं करना भी घरेलू हिंसा, 11 साल बाद कोर्ट ने पति को दिया ये आदेश

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इंदौर। इंदौर की सत्र न्यायालय ने मंगलवार को पारिवारिक हिंसा मामले में पति के खिलाफ आदेश सुनाया है. कोर्ट ने पत्नी की जरूरतों को पूरा नहीं करना हिंसा माना है और पति को 25 लाख रु एकमुश्त 15 हजार रु प्रतिमाह देने का आदेश सुनाया. ओल्ड पलासिया निवासी बिल्डर और कॉलोनाइजर महेंद्र राजोरिया के खिलाफ पत्नी ने जिला एवं सत्र न्यायालय में घरेलू हिंसा और भरण पोषण की याचिका 2008 से लगाई थी. मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने करीब 11 साल बाद पति को आदेश दिया कि पत्नी को 15 हजार रु प्रतिमाह दिया जाए.

पत्नी कमाने में सक्षम होने के बावजूद गुजारा भत्ता की हकदार-कोर्ट

अपील करने पर सत्रहवें अपर न्यायाधीश जोगिंदर सिंह ने 15000 प्रति माह और 2008 से 14 वर्षों का एकमुश्त 25 लाख रुपए पत्नी को देने का आदेश सुनाया. पति ने कोर्ट में तर्क रखे थे कि पत्नी खुद कमाने में सक्षम है. उसे किसी तरह का गुजारा भत्ता देने की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज कर बिल्डर और इंजीनियर महेंद्र पुत्र हीरालाल राजोरिया को आदेश दिया.

बता दें महेंद्र की शादी करीब 26 वर्ष पहले हुई थी. कुछ साल बाद पत्नी से विवाद होने लगा. बाद में दंपती अलग-अलग रहने लगे. राजोरिया की पत्नी ने पति के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील दायर की थी. दंपती के बीच आपसी विवाद होने पर पत्नी ने जिला न्यायालय में भरण-पोषण के लिए दावा किया.

2008 में इस मामले का निबटारा करते हुए कोर्ट ने पति को प्रतिमाह पत्नी को पांच हजार रुपये अदा करने का आदेश दिया था. इस फैसले के खिलाफ पत्नी ने एडवोकेट केपी माहेश्वरी के माध्यम से सत्र न्यायालय में अपील दायर की. अपील पर मंगलवार को कोर्ट ने आदेश सुनाया.