Draupadi Murmu: पहले 2 बेटों की हुई मौत, फिर पति भी चल बसे; तब द्रौपदी मुर्मू को यहां से मिला सहारा

Draupadi Murmu: First 2 sons died, then the husband also passed away; Then Draupadi Murmu got support from here
Draupadi Murmu: First 2 sons died, then the husband also passed away; Then Draupadi Murmu got support from here
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Draupadi Murmu Life Difficult Faces: हमारे देश में एक महिला के लिए निजी और सार्वजनिक जीवन की दोनों ही लड़ाई बेहद मुश्किलों से भरी होती हैं. महिलाएं अभी भी घर से लेकर ऑफिस तक बराबरी के हक की लड़ाई ही लड़ रही हैं. ऐसे में एक महिला का राष्ट्रपति पद तक पहुंचना कितना मुश्किल रहा होगा, इसका अंदाजा लगाइए. द्रौपदी मुर्मू के जीवन में राजनीतिक स्तर पर जितनी चुनौतियां रही होंगी, उससे कहीं बड़ी चुनौतियां और परीक्षाएं उनके लिए निजी जीवन में रहीं. द्रौपदी मुर्मू ने डिप्रेशन से भी जंग जीती है.

आदिवासी परिवार से आने वाली द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के पिता ने उन्हें पढ़ा-लिखाकर अपने पैरों पर खड़ा कर दिया. उड़ीसा के एक गांव से सिंचाई विभाग में क्लर्क की पहली नौकरी तक पहुंचने का संघर्ष दिल्ली में रहकर नहीं समझा जा सकता.

मुर्मू के जीवन का सबसे खराब दौर

लेकिन द्रौपदी मुर्मू के लिए जीवन का सबसे कठिन समय वर्ष 2009 में आया. उनके बड़े बेटे की एक रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई. उसकी उम्र सिर्फ 25 वर्ष थी. ये सदमा झेलना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया. ब्रहमकुमार सुशांत के मुताबिक तब मुर्मू ने मेडिटेशन का सहारा लिया. वो ब्रह्माकुमारी संस्थान से जुड़ीं. साल 2013 में उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई. 2014 में उनके पति का भी देहांत हो गया.

मेडिटेशन का लिया सहारा

तीन बच्चों की मां द्रौपदी के जीवन में ये तूफान उन्हें डुबा भी सकता था, लेकिन द्रौपदी ने अपने डिप्रेशन से लड़ने का फैसला किया. वो मेडिटेशन करने लगीं. 2009 से ही मेडिटेशन के अलग-अलग तरीके अपनाए. लगातार माउंट आबू स्थित ब्रहमकुमारी संस्थान जाती रहीं.

संस्था की ब्रह्माकुमारी नेहा के मुताबिक ये किसी एक धर्म से नहीं जुड़े हैं. यहां आध्यात्मिकता सिखाई जाती है. मन को मजबूत करना, शांत करना, खुश रहना- इंसान की इन्हीं शक्तियों को पहचानने और बढ़ाने पर जोर दिया जाता है.

जीवन से ले सकते हैं प्रेरणा

द्रौपदी मुर्मू शिव भक्त हैं. संथाल आदिवासी तबके से राष्ट्रपति के पद तक का सफर तय करने वाली वे अकेली महिला हैं. उनकी पहचान सादगी से रहने और मजबूत फैसले लेने वाली महिला के तौर पर है. लेकिन उनका जीवन हममें से ऐसे बहुत से लोगों को प्रेरणा दे सकता है जो छोटी-छोटी मुश्किलों को जीवन का अंत समझने लगते हैं. अपनों को खो देने से बड़ा दुख कोई नहीं होता और द्रौपदी मुर्मू ने पहाड़ जैसा ये दुख कई बार झेला है और जीवन में हारकर बैठने की जगह बडे़ लक्ष्यों को हासिल किया है.