पुरुषों की शादी में देरी के कारण उनके बच्चे बन रहे जेनेटिक बीमारियां का शिकार, रिसर्च में दावा

Due to the delay in the marriage of men, their children are becoming victims of genetic diseases, research claims
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Genetic diseases: बीते कुछ सालों से शादी देरी से करने का एक चलन शुरू हो गया है. करियर को तरजीह देने और अन्य आवश्यकताओं को पूरा के चक्कर में विवाह करने में समय लग रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी में देरी आपके होने वाले बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों का शिकार बना सकता है. खासतौर पर बच्चे जेनेटिक डिजीज का शिकार हो जाते हैं. जेनेटिक डिजीज वो बीमारियां होती हैं, जो एक से दूसरी पीढ़ी में जाती हैं. जन्म के समय से ही बच्चे इनसे पीड़ित हो जाते हैं. कई डिजीज तो ऐसी भी होती है जिनका इलाज काफी मुश्किल होता है.

शादी में देरी से बच्चों को कैंसर, ऑटिज्म, मानसिक रोग समेत कई जेनेटिक बीमारियों का शिकार बना सकती हैं. खासतौर पर पुरुषों में विवाह में दरी उनकी होने वाली संतान में जेनेटिक बीमारियों के होने के खतरे को बढ़ा देती हैं. लेकिन ऐसा क्यों होता है और देरी से शादी का जेनेटिक बीमारियों से क्या संंबंध है?

ऐसे कई सवालों का जवाब जानने के लिए हमने दिल्ली एम्स में एनाटाॅमी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर और मालिक्यूलर रिप्रोडक्शन एवं जेनेटिक लैब की इंचार्ज प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा से बातचीत की है.

देरी से शादी से डीएनए में हो जाती है क्षति
डॉ. रीमा दादा कहती हैं हमारे शरीर में कई लाख सेल्स होते हैं और 46 क्रोमोसोम होते हैं. यही क्रोमोसोम एक से दूसरी जनरेशन में गुण दोष को पहुंचाते हैं. सेल्स को कंट्रोल करना का काम क्रोमोसोम में मौजूद डीएनए करता है. डीएनए में ही जीन्स होता है. जिससे पिता और माता से बच्चे तक उनकी बीमारियां या अन्य आदतें जाती है.

बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों के स्पर्म के डीएनए में खराबी म्यूटेशन) होने लगती है, जिसका असर बच्चों पर पड़ता है और वे जेनेटिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. इनमें मानसिक बीमारी जैसे बाइपोलर डिसऑर्डर, इनफर्टिलिटी, कैंसर के होने का रिस्क अधिक होता है.

योग से जेनेटिक बीमारियों का खतरा हो सकता है कम
डॉ रीमा दादा ने बताया कि योग से डीएनए की क्षति को ठीक किया जा सकता है. इसको लेकर एम्स में एक रिसर्च हुई है. जिसमें पता चला है कि नियमित रूप से योग करने से पिता से बच्चे को होने वाली कई बीमारियों से बचाव हो सकता है.

डॉ. रीमा ने बताया कि आक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण डीएनए को नुकसान पहुंचता है, जो बच्चों में जेनिटक बीमारियों का कारण बनता है. योग करने से डीएनए के नुकसान पहुंचाने वाले मार्कर को नियंत्रित किया जा सकता है.अस्पताल में हुई रिसर्च में यह बात पहली बार सामने आई है कि रोजाना योग करने से डीएनए में हुई खराबी को ठीक किया जा सकता है. जिससे पिता से बच्चे में जेनेटिक डिजीज होने का रिस्क भी कम हो जाता है.

बुरी आदतें भी डीएनए में खराबी का कारण
डॉ रीमा ने बताया कि पुरुषों में धूम्रपान, नशा और मेंटल स्ट्रेस के कारण भी उनके स्पर्म का डीएनए खराब हो रहा है. इस कारण भी बच्चे जेनेटिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. ये बच्चों में आंखों के कैंसर पैदा कर रहा है. इस बाबत अस्पताल में एक रिसर्च भी की गई है. जिसमें आई कैंसर से पीड़ित बच्चों के पिता के स्पर्म का टेस्ट किया गया था. इनमें करीब 40 फीसदी पुरुषों के डीएनए जीन में म्यूटेशन मिला है.

इन बातों का रखें ध्यान
पुरुषों के लिए जरूरी है कि वे अपने लाइफस्टाइल को ठीक रखें.

रोजाना योग करें और फास्ट फूड से दूरी बनाएं.

शराब के सेवन से बचें और धूम्रपान न करें.

योग से अपने मानसिक तनाव को कम करें और अपनी सेहत को ठीक रखें.