राजस्थान में बिजली ने दिया जोर का झटका, अब देना होगा ज्यादा बिल

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जयपुर। महंगी बिजली से जूझ रहे राजस्थान के बिजली उपभोक्ताओं पर एक बार फिर फ्यूल सरचार्ज का बोझ डाल दिया गया है। हर उपभोक्ता को 16 पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त राशि देनी होगी। यह राशि सितम्बर और अक्टूबर माह में जारी होने वाली बिल में जुड़कर आएगी। दोनों माह मेें 8—8 पैसे प्रति यूनिट जुड़ेंगे।

डिस्कॉम्स ने शुक्रवार को इसके आदेश जारी कर दिए। इसके जरिए बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से करीब 225 करोड़ रुपए वसूलेंगी। यह राशि जनवरी से मार्च तक उपभोग की गई बिजली यूनिट के अनुसार जुड़ेगी। खास यह है कि सत्ताधारी कांग्रेस सरकार में फ्यूल सरचार्ज के रूप में अब तक उपभोक्ताओं पर औसतन 42 पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त भार आ चुका है।

राज्य में 1.52 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। इसमें से कृषि उपभोक्ता 13 लाख, बीपीएल श्रेणी के 16 लाख और छोटे घरेलू कनेक्शनधारी (पचास यूनिट से कम खपत वाले उपभोक्ता) 41 लाख हैं। इन उपभोक्ताओं के फ्यूल सरचार्ज की राशि सरकार वहन करेगी, क्योंकि सब्सिडी का भार भी सरकार ही उठा रही है। हालांकि, अप्रत्यक्ष रूप से इसका भार भी आमजन पर पड़ेगा।

1. तर्क : राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (आरईआरसी) फिक्स दर के साथ वेरिएबल दर के हिसाब से टैरिफ निर्धारित करता है। वेरिएबल दर का निर्धारण कोयला, डीजल व परिवहन खर्च से किया जाता है। बिजली खरीद के दौरान जो फ्यूल की खरीद दर होती है और अनुबंध में जो दर निर्धारित है, उनकी अंतर राशि की फ्यूल सरचार्ज के रूप में जनता से बिजली बिल के जरिए वसूली करते हैं।

2. हकीकत : ईमानदारी से बिजली उपभोग करने वालों पर इसका सीधा भार पड़ रहा है, क्योंकि बिजली चोरी करने वालों से होने वाली हानि की गणना भी इसे चार्ज शामिल होती है।

अडानी पॉवर को कोयला भुगतान मामले में फिलहाल 2624 करोड़ रुपए दिए गए। डिस्कॉम्स इसका भार 1.20 करोड़ उपभोक्ताओं पर डाल चुका है। जयपुर, अजमेर व जोधपुर तीनों डिस्कॉम्स के उपभोक्ताओं से 36 माह तक 5 पैसे प्रति यूनिट गणना के आधार पर वसूली की जा रही है। यह सितम्बर 2019 से शुरू हुआ जो अगस्त 2022 तक चलेगा।