18 साल पहले शिक्षामित्र बनने के लिए दिए थे फर्जी प्रमाण पत्र, अब हुई सजा

Fake certificates were given to become a Shikshamitra 18 years ago, now the punishment
Fake certificates were given to become a Shikshamitra 18 years ago, now the punishment
इस खबर को शेयर करें

इटावा. जिले में फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर सरकारी नौकरी लेने के एक मामले में कोर्ट ने 18 साल बाद एक व्यक्ति को सजा सुनाई गई है. आरोपी ने शिक्षा मित्र की नौकरी पाने के लिए हाईस्कूल के फर्जी शौक्षिक दस्तावेज प्रस्तुत किए थे. कोर्ट ने आरोपी पर युवक को दोषी मानते हुए 4 साल की सजा सुनाई और 5 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है. हालांकि मामले में 18 साल बीतने के बाद सजा सुनाए जाने को लेकर अब ये मामला इलाके में चर्चा का विषय बन गया है.

जानकारी के अनुसार आरोपी शिव सिंह ने शिक्षा मित्र की नौकरी के लिए फर्जी अंकपत्र लगाया था. 2004 में गांव भिटहरी में शिक्षा मित्र की नियुक्ति होनी थी. इसके लिए शिक्षा विभाग ने आवेदन पत्र आमंत्रित किए थे. सदूपुरा गांव से शिव सिंह के साथ ही अमर सिंह और जय नारायण ने भी आवेदन किया था लेकिन इस दौरान शिव सिंह ने अपनी मार्कशीट फर्जी लगा दी. इसके खिलाफ अमर सिंह और जय नारायण ने खंड शिक्षा अधिकारी अवध नारायण पाठक से इसकी शिकायत दर्ज की. इसके बाद शिक्षा अधिकारी ने अंकपत्र की जांच करवाई तो वो फर्जी निकला.

अंक पत्र सेकेंड डिविजन का और असल में…
शिव सिंह ने नौकरी पाने के लिए जो अंक पत्र दिया था वो द्वितीय श्रेणी का था लेकिन जांच के दौरान पता चला कि वो हाई स्कूल की परीक्षा में तृतीय श्रेणी में पास हुआ था. इसके बाद खंड शिक्षा अधिकारी ने शिव सिंह के खिलाफ सहसो थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने विवेचना की और आराप पत्र न्यायालय में पेश किया. कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और दोनों पक्षों को सुनने के बाद शिव सिंह को दोषी पाया और उसे चार साल की सजा सुनाई. साथ ही कोर्ट ने उस पर 5 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया. इसी के साथ कोर्ट ने अर्थदंड जमा नहीं करवाने की स्थित 6 महीने के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी.