धान छोड़ गन्ना की खेती कर रहे छत्तीसगढ़ के किसान, कम लागत में ज्यादा आमदनी की आस

Farmers of Chhattisgarh are cultivating sugarcane leaving paddy, hoping for more income at less cost
Farmers of Chhattisgarh are cultivating sugarcane leaving paddy, hoping for more income at less cost
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कवर्धा. धान की जगह गन्ने की फसल लेने वाले किसानों का मानना है कि धान की फसल में अधिक मेहनत, देखरेख व लागत ज्यादा है. जबकि इसकी तुलना में गन्ने में लागत मूल्य काफी कम है. साथ ही धान की तुलना में आमदनी ज्यादा है. साथ ही जिले में दो शक्कर कारखाने हैं, गुड़ फैक्ट्री है. भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष डोमन चन्द्रवंशी ने बताया कि कवर्धा में गन्ना कारखाना होने से इससे किसानों का गन्ना आसानी से बिक जाता है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा फसल परिवर्तन करने पर राजीव गांधी न्याय योजना के तहत दी जा रही 9 हजार की इनपुट सब्सिडी भी मानी जा रही है.

कृषि विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि जिले में लगातार साल दर साल गन्ने के रकबे में इजाफा देखा जा रहा है. जिला कृषि विभाग के उप संचालक मोरध्वज डड़सेना का कहना है कि धान का समर्थन मूल्य 2500 किए जाने के बाद भी किसान धान के बजाय गन्ने की खेती ज्यादा कर रहे हैं. साल 2019 में गन्ने का रकबा 19 हजार हेक्टेयर था, जो साल 2021-22 में बढ़कर 22 हजार हेक्यटेयर हो गया है. इस वर्ष 2022-23 में करीब 8 हजार हेक्टेयर गन्ने का रकबा और बढ़ सकता है.

मोरध्वज डड़सेना का कहना है कि अभी सर्वे का कार्य चल रहा है. किसानों को गन्ने की फसल लेने में अधिक लाभ नजर आता है. साथ ही सरकार की फसल परिवर्तन वाली स्कीम भी ज्यादा असरकारक माना जा रहा है. कवर्धा जिला कृषि प्रधान जिला माना जाता है. इससे पहले यहां सोयाबीन, धान की फसल बहुतायात में ली जाती रही है, लेकिन जब से सुगर फैक्ट्री खुला है. बता दें कि किसानों ने धान की फसल लेना कम कर दिया था, जो अभी भी जारी है. हांलाकि ज्यादा गन्ने की फसल भी ठीक नहीं मानी जाती है. क्योंकि इसमें सिंचाई के लिए पानी ज्यादा लगता है. कहीं किसानों को ज्यादा फायदे के फेर में पानी की किल्लत ना झेलनी पड़ जाए, जो वर्तमान में महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र में गन्ने की वजह से झेलनी पड़ रही है.