RTH के विरोध में हड़ताल कर रहे डॉक्टरों पर होगी FIR, मानव अधिकार आयोग के निर्देश, आदेश में ये लिखा

FIR will be lodged against the doctors who are on strike against RTH, instructions of the Human Rights Commission
FIR will be lodged against the doctors who are on strike against RTH, instructions of the Human Rights Commission
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जयपुर। राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी डॉक्टर पिछले करीब 12 दिन से हड़ताल पर है। इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है। डॉक्टरों का कहना है जब तक सरकार बिल वापस नहीं लेगी तब तक हम अपनी हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। लेकिन, डॉक्टरों की इस चेतावनी से अब उनकी मुश्किलें ही बढ़ती नजर आ रही है। राजस्थान मानव अधिकार आयोग ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।

राजस्थान मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास की ओर से गुरुवार को एक आदेश जारी किया गया। जिसमें कहा गया कि राज्य अपने लोगों के पोषाहार, जीवन स्तर को ऊंचा करने, लोक स्वास्थ्य के सुधार को अपने प्राथमिक कर्त्तव्यों में मानेगा और स्वास्थ्य के लिए हानिकर औषधियों के औषधीय प्रयोजनों से भिन्न उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा।

उपरोक्त प्रावधान का अवलोकन करने के बाद यह स्पष्ट है कि सरकार का कर्तव्य है कि वह नागरिकों के स्वास्थ्य सुधार के लिए कानून बना कर अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाए। इसी परिपेक्ष्य में राज्य सरकार ने विधिक प्रक्रिया अपनाकर राइट टू हेल्थ (RTH) बिल पारित किया है। स्वीकृत रूप से कोई प्रावधान संविधान के नियमों के विपरीत हो तो उसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। लेकिन, निजी अस्पतालों के डॉक्टर ऐसा करने की बजाय पिछले 12 दिन से हड़ताल पर है। उनके समर्थन में राजकीय चिकित्सालयों के रेजीडेंड डॉक्टरों भी हड़ताल पर चले गए, जिससे प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है।

समाचार पत्रों और टीवी चैनलों के जरिए से यह तथ्य आयोग के संज्ञान में आया कि डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अब राजकीय अस्पतालों में भी मरीजों को इलाज नहीं मिल पाएगा। ऐसी परिस्थितियों में राज्य मानव अधिकार आयोग मूक दर्शक बनकर मानव अधिकारों का हनन होते हुए नहीं देख सकता।

स्वीकृत रूप से राज्य के प्रत्येक चिकित्सक का रजिस्ट्रेशन राजस्थान मेडीकल काउंसिल द्वारा किया जाता है। चिकित्सकों का कर्त्तव्य है कि वे नियमित रूप से मरीजों का इलाज करें और जो प्रतिज्ञा एक डॉक्टर के रूप में ली जाती है, उसका पालन करें। लेकिन, पिछले 12 दिन से निजी डॉक्टर और आज राजकीय चिकित्सालयों के रेजीडेंट चिकित्सक हड़ताल पर होने के कारण नैतिक कर्त्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं।

बिल के खिलाफ डॉक्टर न्यायालय में चुनौती दे सकते है, लेकिन मरीजों का इलाज नहीं करना उनके कर्त्तव्यों का उल्लंघन है। नैतिकता के विरुध डॉक्टरों की इस हड़ताल से प्रदेश में विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। सभी तथ्यों का अवलोकन करने और उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस प्रकरण में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया जाता है। हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए।

चिकित्सकों के इस आचरण पर राजस्थान मेडीकल एक्ट, 1952 एवं राजस्थान मेडीकल रूल्स 1957 के तहत क्या कार्रवाई की जा रही है। इस संबंध में पूरी रिपोर्ट आयोग को दी जाए।