2014 से 2022 तक… PM नरेंद्र मोदी के राज में क्या-क्या बदला? संविधान में हुए 7 बड़े संशोधन

From 2014 to 2022... What changed in the rule of PM Narendra Modi? 7 major amendments made in the constitution
From 2014 to 2022... What changed in the rule of PM Narendra Modi? 7 major amendments made in the constitution
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नई दिल्ली: भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। इस उपलक्ष्य में हर साल 26 नवंबर को देश में संविधान दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों का शुभारंभ किया। उधर संविधान दिवस के मौके पर आज यह चर्चा जोरों पर है कि पीएम नरेद्र मोदी के शासन काल में संविधान में क्या-क्या बदलाव हुए और संविधान संशोधन से समाज के किन-किन लोगों को फायदा हुआ है। आइए जानते हैं मोदी काल में अबतक कौन-कौन से अहम संविधान संशोधन हुए हैं।

1-99वां संविधान संशोधन-राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (2015)
यह अधिनियम, 2014 को 13 अप्रैल 2015 को अधिसूचित किया। संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) की संरचना एवं कामकाज का जिक्र है। अधिनियम में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ की ओर से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के चयन के लिए एक पारदर्शी एवं व्यापक आधार वाली प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है।

2-100वां संशोधन भारत-बांग्लादेश के बीच भू-सीमा संधि (2015)
भारत और बांग्लादेश के बीच हुई भू-सीमा संधि के लिए संविधान में 100वां संशोधन किया गया। एक अगस्त 2015 को लागू इस कानून से न केवल 41 सालों से पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ चल आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने में मदद मिलेगी, बल्कि अधिनियम बनने के बाद दोनों देशों ने आपसी सहमति से कुछ भू-भागों का आदान-प्रदान किया। समझौते के तहत बांग्लादेश से भारत में शामिल लोगों को भारतीय नागरिकता भी दी गई।

3-101वां संशोधन- वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी अधिनियम (2016)
इस संशोधन अधिनियम का संबंध GST (Goods and Service Tax) से है। वस्तु एवं सेवा कर 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ था। 1 जुलाई, 2018 को GST लागू किये जाने के एक वर्ष पूरा होने पर भारत सरकार द्वारा इस दिन को GST दिवस के रूप में मनाया गया था। GST एक अप्रत्यक्ष कर है जिसे भारत को एकीकृत साझा बाज़ार बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया है।

4-102वां संशोधन- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा (2018)
2018 में संसद ने संविधान में 102वां संशोधन पारित किया था जिसमें संविधान में तीन नए अनुच्छेद शामिल किए गए थे। नए अनुच्छेद 338-बी के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया। इसी तरह एक और नया अनुच्छेद 342ए जोड़ा गया जो अन्य पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय सूची से संबंधित है। तीसरा नया अनुच्छेद 366(26सी) सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को परिभाषित करता है। इस संशोधन के माध्यम से पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा मिला।

5-103वां संशोधन- EWS को शिक्षण संस्थाओं, नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण (2019)
केंद्र सरकार ने 2019 में संसद में 103वां संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित कर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की थी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट नेआर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखने पर अपनी मुहर लगा दी है। EWS का मतलब है आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण। यह आरक्षण सिर्फ जनरल कैटेगरी यानी सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है। इस आरक्षण से SC, ST, OBC को बाहर किया गया है।

6-104वां संशोधन- लोकसभा, विधानसभाओं में SC,ST आरक्षण 10 साल बढ़ा (2019)
इस संशोधन के तहत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन किया गया और लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि को 10 साल के लिए और बढ़ा दिया गया था। दरअसल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और एंग्लो-इंडियन समुदाय को पिछले 70 वर्ष से मिल रहा आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा था। इस विधेयक में एससी और एसटी के संदर्भ में इसे 10 वर्ष बढ़ाने का प्रावधान किया गया।

7-105वां संशोधन- सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान (2021)

यह अधिनियम सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान उल्लेखित करने के लिए राज्य सरकारों की शक्ति को बहाल करता है। पिछले साल मानसून सत्र में संसद ने 11 अगस्‍त को 127वां संविधान संशोधन विधेयक 2021 पारित किया था। लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा था कि फिर से संख्या अंकित करने के बाद यह विधेयक 105वां संविधान संशोधन विधेयक माना जाएगा।