बचपन से बुढ़ापा आ गया नहीं निपटा जमीन विवाद! अपनी ही करोड़ों की प्रॉपर्टी पाने को हुआ कंगाल

From childhood to old age, the land dispute is not resolved! He became bankrupt to get his own property worth crores
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मुज़फ्फरनगर: धोखे से कब्जाई गई करोड़ों कीमत की 15 बीघा जमीन वापस पाने के लिए एक दिव्यांग पिछले कई वर्षों से भटक रहा है। 19 साल पहले कोर्ट से मुकदमा जीतने के बावजूद जिला प्रशासन पीड़ित को आज तक उसकी जमीन पर कब्जा नहीं दिला सका है। हालांकि इस बीच वह कब्जे के लिए सिविल जज, एडीजे और सीओ चकबंदी सहित एसओसी कोर्ट से भी कई मुकदमे जीत चुका है। परेशान होकर पीड़ित ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जमीन का कब्जा दिलाने की गुहार लगाई है।

तहसील खतौली के गांव पुरबालियान निवासी आशुदीन पुत्र सलमुद्दीन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया कि वह अपनी जमीन अवैध कब्जा मुक्त कराने के लिए वर्षो से भटक रहा है। उसने बताया, जब वह 12 वर्ष का था तो उसके पिता का देहांत हो गया था। जिसके बाद उसकी दाद इलाही 15 बीघा जमीन गांव के जाजु पुत्र कुतबु आदि को ठेके पर दे दी गई थी। जब वह 15 साल का था तो ठेके का समय बढवाने के बहाने उसे तहसील ले जाकर नाबालिग होते हुए धोखे से उसकी जमीन का बैनामा आरोपियों ने अपने नाम करा लिया था।

बालिग होने पर उसने बैनामा खारिज कराने के लिए एसीजेएम जूनियर डिवीजन कोर्ट में वाद दायर किया। इसका निस्तारण 31 मई 2000 को उसके हक में हुआ और बैनामा खारिज कर दिया गया। लेकिन आरोपितों ने निर्णय के विरुद्ध एडीजे प्रथम कोर्ट में अपील की। उक्त मामले में भी कोर्ट ने 17 जुलाई 2005 को उसके हक में फैसला सुनाया।

जमीन पर खड़ी फसल विपक्षियों को दिए जाने की बात उसने लिखकर दे दी थी। बावजूद राजस्व विभाग उसकी जमीन पर उसका कब्जा नहीं दिला सका। इस बीच विपक्षियों ने कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सीओ शाहपुर कोर्ट में अपील की। आशुदीन ने बताया बावजूद कोर्ट का निर्णय उसके पक्ष में आया। जिसके बाद एसओसी मुजफ्फरनगर सहित दो अन्य कोर्ट से भी उसके हम में फैसला गया।

मुकदमेबाजी में बिक गया घर का एक हिस्साअशुदीन दो दशक से अधिक समय से अपनी जमीन वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहा है। इस दौरान मुकदमेबाज़ी और अन्य कागज़ी करवाई पर उसके लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। अशुदीन ने बताया कि मुकदमों पर पैसा खर्च करने के लिए उसने मकान का एक हिस्सा तक बेच दिया है। इसके अलावा उसे पर कर्ज भी काफी हो गया है.