पंजाब में गांधी परिवार का ‘सेल्फ गोल’, PM मोदी की नकल के चक्कर में कर लिया नुकसान?

Gandhi family's 'self-goal' in Punjab, harm done by copying PM Modi
Gandhi family's 'self-goal' in Punjab, harm done by copying PM Modi
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नई दिल्ली: पंजाब (Punjab) की राजनीति इन दिनों चर्चा में है. कांग्रेस नया सीएम बनाकर भले ही 2022 में बढ़त की उम्मीद लगा रही हो लेकिन असल में गांधी परिवार ने पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की नकल करने के चक्कर में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) को मुख्यमंत्री के पद से हटा कर अपना बड़ा नुकसान कर लिया है. पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कांग्रेस में मतभेद बने हुए हैं. आज पंजाब में कांग्रेस के इंचार्ज हरीश रावत के उस बयान पर खूब हंगामा हुआ, जिसमें उन्होंने ये कहा कि पंजाब का अगला विधान सभा चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. इस पर कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने सिद्धू का विरोध किया और कांग्रेस पार्टी में फिर से खींचतान शुरू हो गई.

चन्नी के सहारे दलित वोट पर कांग्रेस की नजर
कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को मुख्यमंत्री बनाया है, जबकि सुखजिंदर रंधावा और ओम प्रकाश सोनी को उनका डिप्टी बनाया गया है. चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं. पूरे देश में दलितों की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब में है. पंजाब की कुल आबादी में 32 प्रतिशत दलित हैं लेकिन इसके बावजूद अब तक पंजाब में कोई दलित मुख्यमंत्री नहीं बना था. चन्नी ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं इसलिए कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा राज्य की उन 34 सीटों पर हो सकता है, जो दलितों के लिए आरक्षित हैं. 32 में से 14 प्रतिशत दलित रवि-दासिया समुदाय से आते हैं और चन्नी भी इसी समुदाय से हैं इसलिए चन्नी दलित वोटों को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकते हैं.

पंजाब के सहारे UP के समीकरण साधने की कोशिश?
कांग्रेस की नजर उत्तर प्रदेश के चुनावों पर भी है. 2022 में पंजाब और उत्तर प्रदेश में एक साथ चुनाव होंगे और सभी पार्टियों की नजर दलित वोटों पर होगी. उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांशीराम दलितों के सबसे बड़े नेता थे लेकिन उनका जन्म पंजाब के रोपड़ जिले में हुआ था. कांशीराम जब सक्रिय राजनीति में थे, तब बहुजन समाज पार्टी को पंजाब में काफी दलित वोट मिले और इस दौरान कांशीराम ने पंजाब में दलित मुख्यमंत्री की भी मांग की. यानी कांग्रेस पंजाब के साथ उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी इस बात पर वोट मांग सकती है कि उसने कांशीराम के सपने को पूरा किया है. हालांकि कांग्रेस के लिए ये सब इतना भी आसान नहीं है. पंजाब में दलित वोटों के लिए मुकाबला त्रिकोणीय है. कांग्रेस के अलावा बीजेपी और आम आदमी पार्टी भी इस रेस में हैं और शिरोमणि अकाली दल ने भी दलित वोटों के लिए पंजाब में बीएसपी के साथ गठबन्धन कर लिया है.

कांग्रेस ने अपने पैरों पर मारी कुल्हाड़ी
मुख्यमंत्री के नाम के लिए चन्नी का नाम दूर-दूर तक नहीं था लेकिन कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी की नकल करने के चक्कर में कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटा कर अपना बहुत बड़ा नुकसान कर लिया. बीजेपी ने पिछले दिनों उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात में इसी तरह के फैसले लेते हुए पुराने मुख्यमंत्रियों को हटा दिया था और ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने पंजाब में यही तरीका अपनाया और अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली. असल में बीजेपी के पास सबसे बड़े नेता के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जो चुनाव में अपने नाम पर पार्टी को वोट भी दिला सकते हैं और चुनाव भी जितवा सकते हैं. इसी ताकत की वजह से बीजेपी पर प्रधानमंत्री मोदी का पूरा नियंत्रण है और वो मुख्यमंत्री बदलने से लेकर किसी राज्य की पूरी कैबिनेट बदलने जैसे फैसले भी ले सकते हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी में ये ताकत गांधी परिवार के पास नहीं है. गांधी परिवार ना तो अपने नाम पर पार्टी को वोट दिला सकता है और ना ही चुनाव जिता सकता है. इसलिए पार्टी पर उसका वैसा नियंत्रण नहीं है, जैसा प्रधानमंत्री मोदी का बीजेपी पर है.