हिमाचल में नॉन पार्टी चेहरों को टिकट देना बीजेपी- कांग्रेस को पड़ सकता भारी, प्रत्याशियों में भी हड़कंप

Giving tickets to non-party faces in Himachal may cost BJP-Congress, stir among candidates too
Giving tickets to non-party faces in Himachal may cost BJP-Congress, stir among candidates too
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शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस का काडर वोट शिफ्ट हो सकता है। दोनों पार्टियां पहले ही बागी नेताओं के कारण टेंशन में हैं। अब दोनों दलों को नॉन पार्टी चेहरों को टिकट देना भारी पड़ सकता है, यानी ऐसे कैंडिडेट जो भाजपा या कांग्रेस दोनों दलों से शिफ्ट हुए हैं, उन लोगों को टिकट देना, दोनों दलों के लिए मुसीबत बनता दिख रहा है और यह कितनी बड़ी होगी, 8 दिसंबर को चुनाव परिणाम ही बताएंगे।

भाजपा ने नॉन पार्टी चेहरों को दिए ज्यादा टिकट
चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले नॉन पार्टी चेहरों को ज्यादा टिकट बांटे हैं, यानी जो प्रत्याशी कांग्रेस को छोड़ भाजपा में न केवल शामिल हुए, बल्कि टिकट लेकर चुनाव भी लड़े हैं, उन प्रत्याशियों का चुनाव जीतना पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का दबाव बना हुआ है।

नालागढ़ से भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के पूर्व विधायक लखविंदर राणा, कांगड़ा से कांग्रेस के विधायक पवन काजल, 2 ऐसे प्रमुख प्रत्याशी हैं, जिनकी वजह से इलाकों में पार्टी को काडर वोट के शिफ्ट होने का नुकसान भुगतना पड़ सकता है।

हालंकि मंडी सीट से अनिल शर्मा पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे हैं, लेकिन वह कांग्रेस पृष्ठभूमि से हैं। उनके पुत्र आश्रय शर्मा, जो कांग्रेस में महासचिव के पद पर थे, वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं।

चुनाव में अनिल शर्मा को टिकट देने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं का वोट शिफ्ट होने की प्रबल संभावना बनी हुई है। हालांकि इसका खुलकर किसी ने विरोध नहीं किया है, लेकिन वोट शिफ्ट होने की पूरी संभावना बनी हुई है।

कांग्रेस ने पच्छाद में दयाल प्यारी पर खेला दांव
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने पच्छाद में नॉन पार्टी कैंडिडेट को टिकट दिया हैं। पार्टी ने यहां से भाजपा की नेत्री दयाल प्यारी को टिकट देकर चुनाव लड़वाया। इससे कांग्रेस पार्टी में भी काडर वोट के शिफ्ट होने का खतरा बढ़ा है। बागियों ने पहले ही दोनों पार्टियों की चिंता को बढ़ा कर रखा हुआ है।

भाजपा के कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा बागी चुनावी मैदान में खड़े हैं। भाजपा के 20 से ज्यादा बागी नेता चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस के 6 से 7 बागी नेता चुनाव लड़ रहे हैं, इससे पार्टी का वोट इन्हे शिफ्ट हुआ हैं, जो दोनों दलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

पवन काजल को पहले ही डरा चुका भितरघात का डर
कांगड़ा से भाजपा के प्रत्याशी पवन काजल को पहले ही भितरघात का डर सत्ता चुका है। चुनाव में पार्टी कार्यकर्ता और नेताओं का समर्थन न मिलने की शिकायत वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कर चुके हैं। उन्हें भी कहीं न कहीं इस बात की चिंता सता रही है कि चुनाव में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें वोट नहीं दिए हैं, यानी पार्टी का काडर वोट शिफ्ट हुआ है।