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वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही लगातार दूसरे दिन रविवार को भी हुई। इस दौरान मस्जिद व गुंबद के बाद तहखाने के भी कुछ हिस्सों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई। इसमें मस्जिद के गुंबदों की संरचना असमान्य पाई गई। ऐसा लगता है जैसे इन्हें अतिरिक्त बनाया गया है। इन गुंबदों की बनावट जैसी बाहर से दिखती है, भीतर से काफी अलग है।
चर्चाओं के अनुसार गुंबद ऐसे दिखते हैं, जैसे उसके दो हिस्से हों। नीचे के हिस्से पर ऊपर का हिस्सा अतिरिक्त बनाया गया है। तीन गुबंदों में से बीच के गुंबद में यह बनावट कुछ ज्यादा ही स्पष्ट है। गुंबद की छत तक पहुंचने के लिए बनाई गईं सीढ़ियां भी बेतरतीब हैं। ऐसा प्रतीत होता है, जैसे उन्हें अलग से बनाया गया है।
तहखाने भारी मात्रा में मलबा और चारों तरफ ईंट की दीवार से बंद एक कमरा मिला है। कमरे को खोला नहीं जा सका है। नंदी के सामने तहखाने के एक भाग में जमा मलबे को हटाने पर उसमें कलश मिला। एडवोकेट कमिश्नर के साथ मंदिर और मस्जिद पक्ष के वकील कुछ अन्य हिस्सों का निरीक्षण भी कराना चाहते हैं। इसलिए सर्वे सोमवार को भी जारी रहेगा।
तहखाने के कुछ हिस्से में मलबा मिला। सफाईकर्मियों ने कुछ मलबे को हटाया जरूर लेकिन अभी काफी बाकी है। इसी तहखाने में एक हिस्से में लकड़ियों के बड़े-बड़े बोटे रखे हैं तो चारों तरफ से बंद ईंट की दीवारों का एक कमरा भी है। इसमें क्या है, किसी को नहीं पता। इन दीवारों के बीच में एक दरवाजा भी है, जिसे खोलना संभव नहीं हो पाया। इसकी बनावट ऐसी लगती है जैसे एक खाली हिस्से को दीवारों से बंद किया गया है।
यह गुंबद के नीचे है। नंदी के सामने तहखाने के एक भाग में जमा मलबे को हटाने पर उसमें कलश मिला। कई जगहों पर कलाकृतियों के मिलने की बात भी कही जा रही है। मंदिर और मस्जिद पक्ष के वकीलों ने इस पर कुछ कहने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल होने के बाद स्पष्ट होगा।
सबसे पहले गुंबद का निरीक्षण शुरू हुआ। पहले दोनों छोटे गुंबद, इसके बाद बीच के बड़े गुंबद के भीतरी हिस्से के कोने-कोने को कैमरों में कैद किया गया। फिर गुंबद की छत पर पहुंचकर बाहरी हिस्सों का निरीक्षण किया। इसके लिए कैमरामैन ने ड्रोन की मदद ली। यहां से सभी नीचे आ गए और जहां इबादत होती है। उसके कोने-कोने की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी हुई। इसके बाद सभी ने तहखाने का रुख किया।
एक दिन पहले जिन चार कमरों तक टीम पहुंची थी, उसे छोड़कर दूसरे हिस्सों की जांच-परख शुरू हुई। यहां काफी बाधाएं थीं। कुछ भाग में मलबा भरा हुआ था तो एक में लकड़ियों का ढेर रखा था। नंदी के ठीक सामने मिट्टी का ढेर पड़ा है। दो दर्जन सफाइकर्मियों को बुलाकर मिट्टी हटाने का प्रयास किया गया। समय की बाध्यता और मिट्टी का बड़ा ढेर होने की वजह से पूरी सफाई नहीं हो सकी। जितनी हुई, उतने में जो मिला उसे ही कैमरे में कैद किया। तब तक 12 बज चुका था। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही को रोक दिया गया।
एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही में शामिल होने वाले 52 लोगों के आने का सिलसिला सुबह सात बजे से ही शुरू हो गया था। वादी पक्ष की चारों महिलाएं मंजू व्यास, सीता साहू, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी अलग-अलग ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुईं। वादी पक्ष के वकील विष्णु जैन, सुधीर त्रिपाठी के साथ अन्य और प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वकील अभयनाथ यादव, मुमताज अहमद, रईस अहमद, तौहीद खान, मेराजुद्दीन एक साथ पहुंचे।
प्रशासन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्रनाथ पांडेय, वकील अरुण त्रिपाठी भी समय से आ गए। एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा, विशाल सिंह व अजय प्रताप सिंह के ज्ञानवापी परिसर पहुंचते ही कागजी कार्यवाही पूरी की गई और तय समय आठ बजे से कमिश्नर की कार्यवाही शुरू हुई। मंदिर पक्ष के वकील और एडवोकेट कमिश्नर कुछ अन्य जगहों की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी करना चाहते हैं इसलिए सोमवार को भी कार्यवाही करने का प्रस्ताव रखा गया।
रिपोर्ट 17 मई को न्यायालय में दी जानी है। एक दिन अतिरिक्त होने की वजह से किसी पक्ष ने आपत्ति नहीं की और सोमवार को भी कार्यवाही करने पर राजी हो गए। अब तक हुई कार्यवाही से वादी पक्ष बेहद उत्साहित है। उनका कहना है कि वाद दाखिल करते समय जो दावे उन्होंने किए थे, उससे कहीं ज्यादा मस्जिद परिसर में देखने को मिल रहा है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे खारिज करता है।