बॉन्ड पॉलिसी को लेकर हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, छात्रों के साथ वार्ता के बाद किया ये बड़ा ऐलान

Haryana government's big decision regarding bond policy, made this big announcement after talks with students
Haryana government's big decision regarding bond policy, made this big announcement after talks with students
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चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में पिछले एक महीने से धरने पर बैठे मेडिकल छात्रों के डेलिगेशन के साथ आज सरकार ने तीसरे दौर की वार्ता की। बैठक में सरकार बॉन्ड पॉलिसी में कई बदलाव करने के लिए राजी हो गई। इसकी जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि बॉन्ड पॉलिसी के तहत सरकारी अस्पताल में काम करने की अनिवार्यता को 7 साल से घटाकर 5 साल कर दिया गया है। इसी के साथ बॉन्ड की राशि को भी कम कर दिया गया है। सीएम मनोहर लाल ने कहा कि बॉन्ड पॉलिसी में किए गए बदलाव को लेकर काफी छात्र खुश हैं। केवल इक्का दुक्का ही नहीं मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब हड़ताल को खत्म कर देना चाहिए।

मनोहर लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा दो साल पहले बनाई गई पॉलिसी सरकारी मेडिकल कॉलेज से अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद छात्रों को सात साल तक राज्य सरकार के लिए काम करने के लिए बाध्य करता है। इस समय अवधि को घटाकर 5 साल कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि फीस के साथ मिलाकर बॉन्ड राशि करीब 40 लाख रुपए तय की गई थी। उन्होंने कहा कि बॉन्ड राशि अन्य सभी स्थानों से ज़्यादा रखी गई थी ताकि सरकारी कॉलेज में पढ़कर डॉक्टर बनने वाले छात्र सरकारी नौकरी को प्राथमिकता दें। वहीं छात्रों के साथ बात करने के बाद इस राशि को घटाकर 30 लाख रूपए कर दिया गया है।

पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों के लिए भी राहत का ऐलान
मुख्यमंत्री ने बताया कि डॉक्टरों के लिए 5 साल तक प्रदेश के सरकारी अस्पताल में काम करना अनिवार्य होगा। वहीं हरियाणा के ही सरकारी कॉलेज से पीजी करने वाले छात्रों को बॉन्ड की समयावधि में राहत देने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएशन करने का 3 साल का समय भी इस 5 साल में ही गिना जाएगा। यानि पीजी करने वाले छात्रों को पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद दो साल के लिए सरकारी डॉक्टर के तौर पर काम करना अनिवार्य होगा, हालांकि उन्होंने कहा कि पीजी को लेकर बाद में अलग से पॉलिसी बनाई जाएगी।

जानिए क्या है बॉन्ड पॉलिसी, क्यों हो रहा है विरोध
बता दें कि हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के तहत डॉक्टरों को स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद एक निश्चित अवधि के लिए राज्य द्वारा संचालित अस्पताल में काम करना जरूरी है। अगर डॉक्टर ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें राजकीय या मेडिकल कॉलेज को जुर्माना देना होगा। हरियाणा में सरकारी संस्थानों में पढ़ने एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश के समय 36.40 लाख रुपये के त्रिपक्षीय बॉन्ड पर हस्ताक्षर करना होता है, ताकि यह निश्चित हो सके कि वह सात साल तक सरकार की सेवा करेंगे। सरकार की इस बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ प्रदेश के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में छात्र हड़ताल कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि फीस को मिलाकर कुल 40 लाख रूपए चुकाना उनके लिए काफी मुश्किल है। एमबीबीएस छात्रों को समर्थन देने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी खुलकर समर्थन दिया है।