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मुजफ्फरनगर। Rampur Tiraha Case उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर वर्ष 1994 में रामपुर तिराहा पर हुए गोली कांड की आज सोमवार को सुनवाई होगी। इस मामले में चार मुकदमे फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहे हैं। पृथक राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहा पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी। फायरिंग में सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।
उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर एक अक्टूबर 1994 की रात को आंदोलनकारियों का काफिला दिल्ली की ओर बढ़ रहा था। जैसे ही काफिला छपार थानाक्षेत्र के रामपुर तिराहा पर पहुंचा तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया था। विरोध करने पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी। गोली लगने से सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। इस दौरान महिला आंदोलनकारियों से भी अभद्रता हुई थी। शुरूआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस ने की थी, लेकिन वर्ष 1995 में केस सीबीआइ के हाथ में चला गया था। सीबीआइ ने सात मुकदमों में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी।
सीबीआइ की ओर से अधिवक्ता नियुक्त नहीं
उक्त मुकदमों की सुनवाई एसीजेएम दो में चल रही थी, लेकिन बीते साल मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था। मौजूदा समय में फास्ट ट्रैक कोर्ट में चार मुकदमे विचाराधीन है। सोमवार को रामपुर तिराहा कांड की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई है। उधर, उत्तराखंड आंदोलनकारी संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि इस मामले में पैरवी के लिए अभी तक सीबीआइ की तरफ से अधिवक्ता नियुक्त नहीं किया गया है। जिसके कारण मामले की सुनवाई आगे नहीं बढ़ रही है।
रामपुर तिराहा पर बना है शहीद स्मारक
उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में रामपुर तिराहा पर शहीद स्मारक बनाया गया है। प्रत्येक साल दो अक्टूबर को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रामपुर तिराह शहीद स्मारक पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दौरान शहीदों के स्वजन को सम्मानित भी किया जाता है।