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शिमला। मंडी संसदीय सीट सहित फतेहपुर, अर्की और जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनावों के नतीजे हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस संगठन का भविष्य तय करेंगे। प्रदेश में कांग्रेस उपचुनाव जीतती है तो प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर मजबूत होकर उभरेंगे। चुनाव हारने पर संगठन की सरदारी पाने के लिए घमासान मचना तय है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के लिए उपचुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
राठौर के खिलाफ बीते एक साल से कांग्रेस के कई नेता माहौल बनाने में लगे हैं। राठौर को पद से हटाने के लिए कई बेनामी पत्र भी सोशल मीडिया में वायरल किए गए हैं। राठौर विरोधी यह धड़ा 2022 में होने वाले चुनावों के लिए पार्टी की कमान अपने पास लेने की फिराक में है। राठौर के खिलाफ हालांकि विरोधी धड़े के मंसूबे अभी तक पूरे नहीं हो सके हैं। अब उपचुनावों के नतीजे ही बताएंगे कि कांग्रेस संगठन की आगामी सूरत कैसी होगी।
उपचुनाव इस बार दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की गैर मौजूदगी में हो रहे हैं। बीते 50 वर्षों से प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति वीरभद्र सिंह के इर्दगिर्द ही घूमती रही है। ऐसे में अब प्रदेश कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कौन-कौन से नेता इन उपचुनावों में जीत की सीढ़ी बनाकर ऊपर चढ़ेंगे, यह देखना रोचक हो गया है।
मंडी से प्रतिभा सिंह के प्रदर्शन पर टिका वीरभद्र गुट का भविष्य
प्रदेश में वीरभद्र गुट का भविष्य मंडी से कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह के प्रदर्शन पर टिका है। अगर प्रतिभा सिंह इस सीट से जीत हासिल करती हैं जो दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सिपहसलारों को संजीवनी मिलेगी। प्रतिभा के हारने पर यह गुट हाशिये पर जा सकता है।
छह बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के सहारे कई कांग्रेस नेताओं ने अपनी राजनीति शुरू कर मंत्री बनने तक का सफर तय किया है। अब वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद इन नेताओं की योग्यता और राजनीतिक सूझबूझ की असल परीक्षा होनी है। प्रदेश कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को मंडी उपचुनाव में ही लगाया गया है।
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