झुका नहीं तो डुबा देंगे! पुतिन की विनाशलीला से कैसे बचेगा यूक्रेन? रूस-यूक्रेन युद्ध की सबसे बड़ी खबर

If you don't bow down, you will drown! How will Ukraine be saved from Putin's disaster? The biggest news of Russia-Ukraine war
If you don't bow down, you will drown! How will Ukraine be saved from Putin's disaster? The biggest news of Russia-Ukraine war
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Russia-Ukraine war Kakhovka dam collapse: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच युद्ध की एक ऐसी तस्वीर वायरल हो रही है जिसे देखने वाले लोग यकीन ही नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर ये लड़ाई किस ओर जा रही है. एक और सवाल भी ये उठ रहा है कि आखिर किस महाविनाश के बाद ये जंग रुकेगी? क्योंकि जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है, जंग में इस्तेमाल होने वाले हथियार और तौर तरीके भी बदल रहे हैं. अब ये जंग गोला बारूद, बम और मिसाइलों से आगे, प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद करने लगी है. वार की विनाशलीला का ताजा सबूत है यूक्रेन का नोवा खाकोवका बांध जिसे एक धमाके से उड़ा दिया गया. हमले के बाद खेरसॉन में मौजूद विशाल डैम के गेट टूट गए और बांध का करोड़ों लीटर पानी सैलाब की तरह नीचे बहने लगा.

67 साल पुराना बांध ध्वस्त
बांध की सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिसमें डैम के टूटने से होने वाली तबाही को साफ़ देखा जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बांध टूटने के कुछ घंटों के भीतर ही आसपास का एक बड़े इलाक़ा पूरी तरह जलमग्न हो गया और वहां कई मीटर पानी भर गया. यह डैम 1956 में यानी सोवियत एरा में बनाया गया था. करीब 30 मीटर ऊंचा और 3.2 किलोमीटर लंबे इस बांध को डेनिप्रो रिवर में बनाया गया था और ये यूक्रेन के सबसे बड़े बांधों में एक है. ये बांध कितना बड़ा है, इसे आप इसी से समझ सकते हैं कि इसमें अमेरिका के यूटा प्रांत में मौजूद द ग्रेट सॉल्ट लेक के बराबर पानी आ सकता है.

नाटो ने बताया मानवता के खिलाफ युद्ध
और इसीलिए जब ये बांध टूटा और इसमें मौजूद पानी बाहर निकलने लगा तो लोग सहम गए. बांध टूटने की ख़बर सामने आने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलिदिमीर ज़ेलेंस्की ने एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और रूस पर इस हमले के ज़रिए तबाही मचाई का आरोप लगाया. NATO ने भी रूस पर निशाना साधा और इस हमले को मानवता के खिलाफ युद्ध बताया था.

80 गांवो से डूबेगा यूक्रेन का कितना हिस्सा?
ये बांध जिस इलाक़े में स्थित है फिलहाल वहां रूस का क़ब्ज़ा है और रूस ने इस हमले के पीछे यूक्रेन को ज़िम्मेदार बताया है. रूसी सेना के अनुसार यूक्रेन की तरफ़ से इस डैम पर लगातार हमले किए गए, जिसमें डैम के हाइड्रोलिक वॉल्व्स यानी गेट्स तबाह हो गए और डैम में भरा पानी बाहर निकलने लगा. रूस के अनुसार सैलाब की वजह से आसपास के 80 गांवों के डूबने का ख़तरा है, जिसे देखते हुए वहां रहने वालों लोगों को इलाक़ा ख़ाली करने के निर्देश दे दिए गए हैं.

तबाही का अगला टारगेट कौन?
ये बांध बिजली की सप्लाई के लिए तो महत्वपूर्ण है ही. यहां से क्राइमिया के एक बड़े इलाक़े में पानी की सप्लाई भी होती है. इसके साथ ही ज़ैपोरेज़िया न्यूक्लियर पावर प्लांट में भी यहीं से पानी भेजा जाता है. इस पानी का इस्तेमाल पावर प्लांट को ठंडा रखने के लिए किया जाता है. और इसीलिए डैम टूटने के बाद ज़ैपोरेज़िया पावर प्लांट को ख़तरे की आशंका भी जताई जा रही है. इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी ने कहा है कि जैपोरेज़िया पावर प्लांट को किसी तरह का ख़तरा न हो. इसलिए वो हालात पर पैनी नजर रखे हैं.

आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
डैम की तबाही पर रूस और यूक्रेन दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. यूक्रेन का दावा है कि रूस ने उनके जवाबी हमले से डर कर ये क़दम उठाया है, ताकि बांध का पानी वॉर ज़ोन तक पहुंच जाए और यूक्रेनी फ़ौज आगे न बढ़ सकें. जबकि रूस का दावा उल्टा है. रूस का आरोप है कि यूक्रेन ने क्राइमिया में पानी की सप्लाई को रोकने और रूस को बदनाम करने के लिए जानबूझ कर इस हमले को अंजाम दिया है. रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान फ़र्जी सूचनाओं और आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी नया नहीं है. दोनों देश प्रोपगेंडा को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते रहे हैं. ऐसे में इस बांध की तबाही पर कौन सही है और कौन ग़लत ये दावे से नहीं कहा जा सकता है.

पर इतना तय है कि इसका सबसे ज़्यादा ख़ामियाज़ा हमेशा की तरह यूक्रेन की आम जनता को ही भुगतना पड़ेगा. क्योंकि सैलाब तो शायद कुछ दिनों में फिर से उतर जाएगा. लेकिन इस सैलाब की वजह से आज जिन लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है वो अब शायद ही वहां दोबारा वापस लौट सकेंगे.