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लखनऊ। विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के प्रमुख सहयोगी दल कांग्रेस व सपा के बीच प्रदेश में सीटों को लेकर समझौता नहीं हो पा रहा है। सपा द्वारा 17 सीट देने के प्रस्ताव पर कांग्रेस ने कोई जवाब नहीं दिया है। यही वजह है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी शामिल नहीं हुए।
इसके साथ ही उन्होंने मंगलवार को जिन पांच सीटों की घोषणा की उसमें वाराणसी सीट भी है जिसे सपा ने कांग्रेस के लिए पहले छोड़ी थी। वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी हैं जिसमें सपा व कांग्रेस का गठबंधन नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है।
कांग्रेस ने अध्यक्ष ने अखिलेश को दिया था निमंत्रण
सपा मुखिया अखिलेश ने छह फरवरी को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए राहुल गांधी की न्याय यात्रा में अमेठी या रायबरेली में शामिल होने की बात कही थी।
सपा अध्यक्ष यात्रा में शामिल होने की घोषणा के बावजूद नहीं गए। इस यात्रा के जरिए दोनों ही दलों के पास एकजुटता दिखाने का मौका था जो अब इनके हाथ से फिसल गया है। सूत्रों के अनुसार सपा ने कांग्रेस को अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, अमरोहा, बागपत, सहारनपुर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, फतेहपुर सीकरी, हाथरस, झांसी, बाराबंकी, कानपुर, सीतापुर, कैसरगंज और महाराजगंज सीट देने की पेशकश की थी।
सपा ने वाराणसी सीट से उतारा प्रत्याशी
मंगलवार को भी कांग्रेस की तरफ से जब कोई जवाब नहीं आया तो सपा ने वाराणसी में अपना प्रत्याशी उतार दिया। इसके अलावा अमरोहा में पूर्व मंत्री महबूब अली व रामअवतार सैनी को लोकसभा प्रभारी बना दिया। सपा इनमें से एक को यहां से प्रत्याशी भी बना सकती है।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस मुरादाबाद, बलिया, बिजनौर व फर्रुखाबाद सीट लेने के लिए अड़ी हुई है। इन सीटों को सपा देने को तैयार नहीं है। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि सीटों को लेकर कई चरणों की वार्ता के बाद कांग्रेस को 17 सीटों की पेशकश कर दी है, अब उन्हें ही इस पर निर्णय लेना है। गठबंधन को लेकर विलंब कांग्रेस की तरफ से हो रहा है। इन सीटों को सपा बिलकुल भी छोड़ने को तैयार नहीं है। दोनों ही दलों के रुख से साफ है कि प्रदेश में गठबंधन की गांठ ढीली पड़ती जा रही है।