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नई दिल्ली. डॉलर के मुकाबले रुपये मे रिकॉर्ड गिरावट आई है. सोमवार (13 जून) को भारतीय रुपया रिकॉर्ड लो पर बंद हुआ है. डॉलर के मुकाबले रुपया आज 0.38 फीसदी की कमजोरी के साथ 78.14 के स्तर पर खुला था. खुलने को बाद इसमें और गिरावट आई और यह 0.56 फीसदी की कमजोरी के साथ 78.28 के स्तर तक पहुंच गया. हालांकि बाद में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दखल के बाद रुपये की हालत कुछ सुधरी. आज दिन के कारोबार के अंत में डॉलर के मुकाबले रुपया 78.04 (Indian Rupee Price) के स्तर पर बंद हुआ. हालांकि दूसरे विकासशील देशों की करेंसी की तुलना में भारतीय रुपया अभी भी मजबूत है. लेकिन, जानकारों का कहना है कि फिलहाल इसमें गिरावट थमती नजर नहीं आ रही है.
मनीकंट्रोल डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अभी तक भारत की विनिमय दर दबाव में रही. रुपये के गिरने का मूल कारण जानकार कच्चे तेल की ऊंची कीमतों को मान रहे हैं. भारत अपनी ईंधन जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है. देश का क्रूड ऑयल बास्केट प्राइस एक दशक के उच्च स्तर पर पर पहुंच गया है.
विदेशी फंडों की बिकवाली
रुपये में लगातार आ रही गिरावट का सबसे अहम कारण विदेशी फंडों की बिकवाली. भारतीय इक्विटी और बॉन्ड बाजारों से लगातार डॉलर की निकासी हो रही है. ग्लोबल मार्केट में जोखिम से बचने की रणनीति के तहत विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारतीय बाजार से लगातार अपने पैसे निकल रहे हैं. जनवरी के बाद से अब वे 24 अरब डॉलर निकाल चुके हैं. फॉरेक्स डीलरों का कहना कि अगर देश से डॉलर की निकासी इसी गति से जारी रहती है तो रुपया और गिर सकता है.
अमेरिकी ब्याज दरों में इजाफा
अमेरिका महंगाई से निपटने के लिए मौद्रिक नीति में आक्रामक रूप से बढ़ोतरी कर रहा है. आने वाले महीनों में अमेरिका ब्याज दरों में और इजाफा कर सकता है. बाजार का अनुमान है कि इस हफ्ते के अंत में होने वाली यूएस फेड की मीटिंग में ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. यूएस फेड की तरफ से बढ़ी ब्याज दरों से डॉलर असेट्स से मिलने वाला रिटर्न भारतीय इक्विटी बाजारों से मिलने वाले रिटर्न की तुलना में ज्यादा हो जाएगा. इस कारण डॉलर का प्रवाह अमेरिका की तरफ बढ़ रहा है. इससे रुपया कमजोर हो रहा है.
महंगाई
दुनिया भर में महंगाई बढ़ रही है. अमेरिका में महंगाई दर पिछले 40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. यूक्रेन संकट के कारण दुनिया में कमोडिटी के भाव बढ़ रहे हैं. कमोडिटी में आगे भी तेजी रहने की संभावना है. बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए पूरी दुनिया के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. ब्याज दरों में वृद्धि से इकोनॉमी की ग्रोथ धीमी होती है. इससे मंदी की संभावना बन रही है. मंदी का यह भूत इक्विटी और करेंसी मार्केट पर भारी दबाव बना रहा है.