भारतीयों को हथौड़ा चलाना भी नहीं आता… यूपी-हरियाणा से इजरायल पहुंचे वर्कर्स का बुरा हाल, विदेश में भारी किरकिरी

Indians don't even know how to use a hammer... Workers who reached Israel from UP-Haryana are in a bad condition, facing huge criticism abroad
Indians don't even know how to use a hammer... Workers who reached Israel from UP-Haryana are in a bad condition, facing huge criticism abroad
इस खबर को शेयर करें

तेल अवीव: गाजा युद्ध शुरू होने के बाद इजरायल ने 1 लाख से अधिक फलस्‍तीनी वर्कर्स को अपने यहां काम करने से रोक दिया। इन मजदूरों की मदद से इजरायल में कंस्‍ट्रक्‍शन सेक्‍टर आगे बढ़ रहा था। फलस्‍तीनी मजदूरों के नहीं आने से इजरायल में घरों में निर्माण कार्य ठप हो गया। इसके बाद इजरायल के उद्योगों के दबाव में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू की सरकार ने भारत से हजारों वर्कर्स को बुलाने के प्‍लान को मंजूरी दी। यूपी, हरियाणा और दक्षिण भारत से हजारों की तादाद में कंस्‍ट्रक्‍शन वर्कर्स की भर्ती की गई। हमास, हिज्‍बुल्‍ला और ईरान के हमलों के बीच जान जोखिम में डालकर भारतीय मजदूर इजरायल पहुंचे लेकिन अब वहां के उद्योग कई भारतीय वर्कर्स के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं। आलम यह है कि इजरायल के उद्योग अब चीन के वर्कर्स को बुला रहे हैं और भारतीयों से लेबर का काम करा रहे हैं।

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल ने भारत के साथ दोस्‍ती को देखते हुए इन अकुशल भारतीय मजदूरों को अकुशल या कंस्‍ट्रक्‍शन उद्योग से इतर उद्योगों में उन्‍हें तैनात करना शुरू कर दिया है। इससे भारतीय मजदूरों की प्रतिष्‍ठा को विदेश में बड़ा झटका लगा है। इजरायल और भारतीय दोनों ही देशों के अधिकारियों ने माना है कि मैनपावर एजेंसियों के साथ ‘सुधार’ की जरूरत है। हालत यह है कि इजरायल में काम नहीं कर पाने वाले करीब 600 मजदूरों को भारत वापस लौटना पड़ा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक दो तरीकों से कुल 5 हजार लोगों को भर्ती किया गया था। इसमें एक तरीका सरकार से सरकार के बीच और बिजनस से बिजनस के बीच।

भारी भरकम सैलरी पर इजरायल गए थे भारतीय

रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों को सरकार से सरकार के बीच डील के जरिए भर्ती किया गया, उनके साथ अकुशलता की ज्‍यादा दिक्‍कत आ रही है। इन भारतीय वर्कर्स को सारे कटौती के बाद भी 1.9 लाख रुपये दिया जा रहा था। अब जो काम में फेल साबित हो रहे है, उन्‍हें बहुत कम पैसे में काम करके गुजारा करना पड़ रहा है। सरकार से सरकार के बीच भर्ती को लखनऊ और हरियाणा में अंजाम दिया गया था। कई ऐसे भी हैं जिनसे अब ईंट सीमेंट पहुंचाने का काम कराया जा रहा है। कुछ भारतीय मजदूरों को भाषा की बड़ी समस्‍या आ रही है। इससे भी वे अच्‍छा काम नहीं कर पा रहे हैं।

इजरायली कंस्‍ट्रक्‍शन अधिकारी ने कहा कि भारतीयों में अनुभव की भारी कमी है। खासकर उन वर्कर्स में जो सरकार से सरकार के बीच हुई डील के तहत आए हैं। कई मजदूर अभी 20 साल के आसपास हैं और उन्‍होंने कंस्‍ट्रक्‍शन सेक्‍टर में कभी काम ही नहीं किया है। कई तो ऐसे हैं जो किसानी और बाल काटने का काम कर रहे थे और उन्‍होंने कभी हथौड़ा तक नहीं उठाया था। ऐसे लोगों को भी यहां पहुंचा दिया गया है। इजरायली अधिकारी इल्‍दाद निटजेन ने कहा कि जब बिजनस से बिजनस के जरिए हुए डील के तहत लोग आए थे तब रिजल्‍ट सकारात्‍मक थे। बाद में जब सरकार से सरकार के बीच डील के बाद मजदूर आए तो हालात बहुत भयावह हो गए। अब इन लोगों से फैक्‍ट्रीयों में काम कराया जा रहा है। उनसे सफाई और सामान उतारने चढ़ाने का काम लिया जा रहा है।

चीन से बुलाए जा रहे मजदूर, भारतीयों से किनारा

इन भारतीय मजदूरों के शर्मनाक प्रदर्शन से जो अच्‍छे और कुशल कामगार भारत से जाने वाले थे, उनकी नौकरी संकट में पड़ गई है। इजरायली कंपनियों ने 2000 भारतीयों की कांट्रैक्‍ट को कैंसिल कर दिया है। अब इजरायल के बिल्‍डर कह रहे हैं कि सरकार चीन, मोल्‍डोवा, उज्‍बेकिस्‍तान और अन्‍य देशों से वर्कर बुलाए भारत से नहीं। इजरायली कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनियों का कहना है कि सरकार के जरिए आए वर्कर्स का टेस्‍ट सही से नहीं लिया गया। इससे विदेश में भारतीय मजदूरों की प्रतिष्‍ठा अब दांव पर लग गई है। इससे हजारों मजदूरों की होने वाली अन्‍य भर्तियों पर संकट मंडराने लगा है।