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चंडीगढ़ : देश में बढ़ रही महंगाई का असर अब रिश्वत की रकम में भी नजर आने लगा है। हरियाणा के सरकारी विभागों में अब रिश्वत मांगने के समय चाय-पानी की बात नहीं होती बल्कि सीधा रकम तय की जाती है। पिछले कुछ सालों में रिश्वत की राशि में कई गुणा वृद्धि हुई है। राजस्व विभाग में पटवारी स्तर के कर्मी पहले 500 रुपये की रिश्वत के मामलों में पकड़े जाते थे लेकिन अब उन पर 5 से 50 हजार रुपये रिश्वत मांगने के केस दर्ज हो रहे हैं। यही हाल, पुलिस विभाग में हवलदार (जांच अधिकारी) और थानेदार का है। केस निपटाने और धारा हटाने के मामलों में अब 5-10 हजार के बजाय 20 हजार से एक लाख रुपये तक लिए जा रहे हैं। हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं।
पहले 10 हजार तक होती थी रिश्वत की रकम
अमर उजाला की टीम ने पिछले दो सालों में रिश्वत के दर्ज किए गए 310 केसों की पड़ताल की तो पाया कि केवल 44 केसों में रिश्वत की राशि पांच हजार रुपये से कम है। बाकी सभी में यह रकम 4 लाख तक पहुंच गई है। इनसे पहले के सालों में अधिकतर मामले 10 हजार तक की रिश्वत तक के होते थे।
केवल तहसील या पुलिस विभाग में ही नहीं बल्कि बिजली, पंचायती राज, पीडब्ल्यूडी खाद्य एवं आपूर्ति समेत अन्य विभागों के भी यही हालात हैं। छोटे-छोटे कामों के लिए मोटी रिश्वत वसूली जाती है। प्रदेश में यह पहली बार है जब पटवारी, हवलदार, एएसआई, एसआई स्तर के कर्मी लाखों रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए।
ये केस भरते हैं गवाही
पटवारी ने लिए 37 हजार से पांच लाख रुपये
हिसार में पटवारी शिवकुमार 5 लाख के साथ काबू किया गया। फतेहाबाद में पटवारी किरपाल को 71 हजार, तावड़ू के पटवारी शम्मूद्दीन 50 हजार, पानीपत में पटवारी संदीप 45 हजार, झज्जर में पटवारी अजय 37 हजार व करनाल में राजेंद्र पटवारी 30 हजार लेते काबू किया गया। दो साल में राजस्व विभाग से जुड़े 42 केस पकड़ गए।
पुलिस विभाग में भी अधिकतम 4 लाख तक रिश्वत
पुलिस विभाग में 70 केसों में केवल 10 मामलों में ही 5 हजार से नीचे रिश्वत है। करनाल में एएसआई सरिता को 4 लाख, भिवानी के हवलदार राजीव को 3 लाख, महेंद्रगढ़ के एसआई नरेश को 2 लाख, अंबाला के एएसआई रविंद्र को 50 हजार, एएसआई चांदी राम को 30 हजार व करनाल में एएसआई संजय को 80 हजार के साथ काबू किया गया था।
पहली बार बड़े अधिकारियों पर भी एसीबी का शिकंजा
दो साल पहले के आंकड़ों का आकलन करें तो एसीबी छोटे स्तर के कर्मचारियों और अधिकारियों को ही निशाना बनाती थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सख्त रवैये के चलते और एसीबी के मुखिया रहे शत्रुजीत कपूर ने पहली बार बड़े अधिकारियों पर शिकंजा कसा। पिछले दो साल में कुल 310 केसों में 431 आरोरियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से 56 राजपत्रित अधिकारी शामिल हैं। 6 आईएएस पर केस हुए जबकि छह एचसीएस अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया गया।