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नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है। इस बीच हरियाणा की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो गया है। इंडियन नेशनल लोकदल का इलेक्शन सिंबल भी छिन सकता है। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल को 4.14 फ़ीसदी वोट ही मिले हैं और पार्टी को महज दो सीटों पर ही जीत मिली।
6 फीसदी से कम वोट वोट शेयर
कानूनी जानकारों के अनुसार पार्टी का सिंबल बने रहने के लिए दो चुनाव में कम से कम तीन सीट और तीन फीसदी वोट हासिल करना जरूरी होता है। लेकिन पिछले दोनों विधानसभा चुनाव में यह नहीं कर पाई। इस बार के चुनाव में आईएनएलडी को दो सीट तो मिल गई लेकिन उसका वोट शेयर 6 फीसदी से कम ही रहा। 2019 के विधानसभा चुनाव में तो आईएनएलडी को महज एक सीट पर ही जीत मिली थी और उसका वोट शेयर भी 2.44 फीसदी ही था। ऐसे में सिंबल और अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है।
2019 विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में आईएनएलडी का दबदबा रहता था। 1998 में आईएनएलडी को क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला था। उसे चार लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले आईएनएलडी में टूट हुई थी और इससे निकलकर जेजेपी बनी थी। इसके कारण 2019 के विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी को केवल एक सीट मिली थी और जेजेपी ने 10 सीटें हासिल कर ली थी।
जेजेपी का सुपड़ा साफ
लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव में जेजेपी का सुपड़ा साफ हो गया। जेजेपी को एक फीसदी से भी कम वोट मिला और एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। खुद दुष्यंत चौटाला की जमानत जब्त हो गई। ऐसे में अगर आईएनएलडी का सिंबल छीनता है तो प्रदेश में चौटाला परिवार के लिए यह बड़ी राजनीतिक क्षति होगी। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 48 विधानसभा सीटों पर जीत मिली है। तो वहीं कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली। आईएनएलडी को दो और तीन सीट निर्दलीयों के खाते में गई है। निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।