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समाज में अक्सर यह धारणा होती है कि हर किसी को शादी करनी चाहिए, वही जिंदगी का असली सुख है. लेकिन क्या वाकई ऐसा है? क्या अकेले रहना हमेशा दुख का कारण होता है? कई रिसर्च बताते हैं कि लम्बे समय तक सिंगल रहने वाले लोग भी खुश और सफल हो सकते हैं. असल में, आपकी खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी “लगाव शैली” (Attachment Style) कैसी है. लगाव शैली बचपन में माता-पिता से जुड़ाव के अनुभवों पर आधारित होती है जो बड़े होने पर बनने वाले रिश्तों को प्रभावित करती है.
अटैचमेंट टाइप-
सुरक्षित लगाव – ये लोग स्वस्थ रिश्ते बनाते हैं. इन्हें दूसरों पर भरोसा होता है और इन्हें अकेले रहने में भी दिक्कत नहीं होती.
असुरक्षित लगाव- इसमें दो तरह के लगाव आते हैं:
चिपकने वाला लगाव ये लोग रिश्तों में बहुत अधिक निर्भर रहते हैं. इन्हें अकेले रहने का डर रहता है. थोड़ी सी दूरी भी इन्हें असुरक्षित महसूस करा सकती है.
दूर रहने वाला लगाव ये लोग दूसरों से करीबी रिश्ते बनाने से बचते हैं. इन्हें अकेले रहने में कोई परेशानी नहीं होती, बल्कि ये दूसरों से निकटता से बचते हैं.
ये लोग रह सकते हैं अकेले खुश
अध्ययनों से पता चलता है कि सुरक्षित लगाव वाले लोग अकेले रहने और रिश्तों में रहने दोनों स्थितियों में खुश रह सकते हैं. वहीं, असुरक्षित लगाव वाले लोगों के लिए खुशी काफी हद तक रिश्ते की स्थिति पर निर्भर करती है. चिपकने वाले लगाव वाले लोग सिंगल रहने पर अकेलेपन और असुरक्षा का अनुभव कर सकते हैं. उनके लिए रिश्ते जरूरी होते हैं, भले ही वो अच्छे न हों.
तो क्या आप सिंगल रहकर खुश रह सकते हैं?
अपनी लगाव शैली को समझने की कोशिश करें. अगर आप सुरक्षित लगाव रखते हैं और खुद को खुश रखना जानते हैं, तो सिंगल रहना आपके लिए कोई समस्या नहीं होगी. आप दोस्तों, परिवार और अपने शौक के जरिए खुद को व्यस्त रख सकते हैं.
लेकिन अगर आप असुरक्षित लगाव रखते हैं, तो खुद से पूछें कि क्या आप वाकई अकेले रहने के लिए तैयार हैं? क्या आप दूसरों पर भरोसा कर पाते हैं? क्या आप स्वस्थ रिश्ते बना पाते हैं? अगर जवाब “नहीं” है, तो खुद पर काम करने की जरूरत है. एक थेरेपिस्ट से सलाह लेकर आप अपनी लगाव शैली को बेहतर बना सकते हैं.