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नई दिल्ली. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पिछले हफ्ते जानबूझकर लोन नहीं चुकाने वालों या भुगतान करने की क्षमता के बावजूद ऋण चुकाने में विफल रहने वालों पर अंकुश लगाने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है. इन प्रस्तावित नियमों से विलफुल डिफॉल्टर्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल विलफुल डिफॉल्टर्स यानी कर्ज लेने वाले ऐसे लोग जिनके पास लोन चुकाने की क्षमता है लेकिन फिर भी वे ऐसा नहीं करते हैं.
ऐसे लोगों के खिलाफ आरबीआई ने सख्ती बरतने की तैयारी शुरू कर दी है. सेंट्रल बैंक के नए ड्राफ्ट में कहा गया है कि 25 लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज लेने वाले विलफुल डिफॉल्टर्स पर कई तरीकों से नकेल कसी जाएगी. खास बात है कि यह प्रस्तावित नियम लोन देने वाली कंपनियों के फीडबैक और विभिन्न अदालतों के सुझावों पर आधारित हैं.
RBI क्यों उठा रहा ये कदम
विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ यह बदलाव बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि हाल के वर्षों में जानबूझकर लोन नहीं चुकाने के मामले में बढ़ोतरी हुई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2022 के अंत तक, जानबूझकर डिफ़ॉल्ट लोन रकम लगभग 3.4 लाख करोड़ रुपये हो गई थी.
ऐसे डिफॉल्टर फाइनेंशियल सिस्टम के लिए अपराधियों के अलावा कुछ नहीं हैं, क्योंकि वे उधार लेते हैं और भाग जाते हैं. चूंकि बैंक जनता के पैसों का संरक्षक है और जब लोन के तौर पर उधार दिया गया पैसा वापस नहीं मिलता है, तो इसका खामियाजा जमाकर्ताओं को भुगतना पड़ता है.
ऐसे कर्जदार बैंकिंग सिस्टम के लिए खतरा
जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले संकटग्रस्त कर्जदार या कारोबार दिवालिया नहीं. डिफ़ॉल्ट होना उनके लिए एक तरीका बन गया है जिससे वे लोन नहीं चुकाने से बचने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोग लंबे समय से कानूनी खामियों के साथ-साथ धन की ताकत का उपयोग करके बैंकिंग प्रणाली को खतरे में डाल रहे हैं.
ऐसे विलफुल डिफॉल्टर्स को लेकर आरबीआई ने जो प्रस्ताव दिया है उसमें इन लोगों को कोई नया लोन लेने के लिए पहले अपने पुराने एनपीए अकाउंट को सेटल करना होगा. इसके साथ ही आरबीआई ने प्रस्ताव दिया है कि किसी खाते के एनपीए होने के 6 महीने के अंदर उस पर विलफुल डिफॉल्टर का टैग लगा देना चाहिए.
विलफुल डिफॉल्टर घोषित होने पर होंगी ये परेशानियां
एक बार जब बैंक लोन लेने वाले किसी व्यक्ति पर विलफुल डिफॉल्टर का टैग लग जाएगा तो फिर उसे को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इसमें सबसे पहले ऐसे लोगों को बैंक या वित्तीय संस्थान से कोई अतिरिक्त लोन नहीं मिलेगा. वहीं, इस प्रस्ताव के तहत विलफुल डिफॉल्टर को लोन की रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा भी नहीं मिलेगी. आरबीआई के ड्राफ्ट में कहा गया है कि NBFC को भी इन्हीं नियमों को ध्यान में रखते हुए खातों को बतौर विलफुल डिफॉल्टर टैग करने की मंजूरी मिलनी चाहिए.
आरबीआई ने अपने सर्कुलर में कहा कि इन निर्देशों का मकसद जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों के बारे में एक सिस्टम तैयार करना है जिससे लोन देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान यह तय कर सके कि ऐसे लोगों को आगे लोन नहीं देना है.