इन 2 हिस्सों में खुजली लीवर की इस गंभीर बीमारी का है संकेत, इन 8 लोगों को रहता है ज्यादा खतरा

Itching in these 2 parts is a sign of this serious liver disease, these 8 people are more at risk
Itching in these 2 parts is a sign of this serious liver disease, these 8 people are more at risk
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यकृत (Liver)शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। शरीर के कार्य को ठीक से करने के लिए इसके स्वास्थ्य को बनाए रखना जरूरी है। ऐसे में लिवर में एक्सट्रा फैट जमा हो जाना बीमारी का कारण हो सकता है। इसे फैटी लीवर कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं- एल्कोहलिक व नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर।

क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, हेल्दी लीवर में वसा का एक निश्चित स्तर होता है, लेकिन अगर यह मात्रा लीवर के वजन के 5-10% से अधिक हो जाती है, तो यह फैटी लीवर की बीमारी या स्टीटोसिस का कारण बन जाती है। इसमें समय के साथ रोगी की स्थिति गंभीर होती जाती है, इस दौरान उन्हें लीवर में सूजन, फाइब्रोसिस, और सिरोसिस जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

​क्या है एल्कोहलिक व नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर

एल्कोहलिक फैटी लीवर(ARLD) यह एक ऐसी स्थिति है जो अधिक शराब के सेवन के कारण होती है।

वहीं, नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर(NAFLD) रोग उन लोगों में होता है जो बहुत कम या बिल्कुल भी शराब नहीं पीते हैं। यह बहुत अधिक कैलोरी खाने के कारण होता है। यह बीमारी लीवर में अतिरिक्त वसा के निर्माण से जुड़ा होता है।

​नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर में दिखते हैं ये अजीब लक्षण

क्लीवलैंड क्लिनिक के विशेषज्ञों का मानना है कि हाथों और पैरों के तलवों पर शाम या रात होते ही खुजली का बढ़ जाना फैटी लीवर का संकेत दे सकता है। इसेक अलावा पेट में सूजन, त्वचा की सतह के ठीक नीचे बढ़े हुए रक्त वाहिका, बढ़े हुए प्लीहा, लाल हथेलियाँ, पीलिया जैसे लक्षण होते हैं।

हालांकि, मायो क्लिनिक केयर नेटवर्क के अनुसार, फैटी लीवर बीमारी में खुजली के मामले कम ही होते हैं। यह प्राइमरी बिलेरी सिरोसिस (पीबीसी), प्राइमरी स्क्लेरोज़िंग, हैजांगाइटिस (पीएससी), और गर्भावस्था के इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस सहित अन्य प्रकार के लीवर रोगों में ज्यादा आम है।

लीवर की बीमारियों में खुजली क्यों होती है

हालांकि वैज्ञानिकों ने अभी तक लीवर की बीमारी से जुड़ी खुजली के कारण की पहचान नहीं की है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कई कारकों का परिणाम हो सकता है। जिसमें लीवर की बीमारी वाले लोगों की त्वचा के नीचे पित्त नमक के उच्च स्तर का निर्माण होना शामिल है। इसके पीछे सीरम क्षारीय फॉस्फेट (एएलपी) की उपस्थिति भी शामिल है, यह खून में पाया जाने वाला एंजाइम होता है जो शरीर में प्रोटीन को तोड़ने में मदद करता है।

किन्हें होता है फैटी लीवर का खतरा

हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ट्राइग्लिसराइड, मोटापा, PCOS, हाइपोथायरायडिज्म, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, स्लीप एप्निया, टाइप 2 डायबिटीज और बड़े वयस्को में इस बीमारी का जोखिम बाकियों की तुलना में अधिक होता है।

इन उपायों से फैटी लीवर से बचा जा सकता है

भले ही आपको एल्कोहल से संबंधित फैटी लीवर की बीमारी हो या नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर की बीमारी, स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित व्यायाम करना, शराब और धूम्रपान का सेवन सीमित करना या छोड़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है। NAFLD को ठीक करने के लिए कोई दवा नहीं है। ऐसे में एक स्वस्थ आहार सुनिश्चित करना, जिसमें अधिक फल और सब्जियां हों और कम प्रोसेस्ड और तैलीय खाद्य पदार्थ हों आपके लीवर को इस बीमारी से बचा सकती है।