अभी अभीः पूरे देश को महंगाई का तगडा झटका, शेयर बाजार में मचा हाहाकार

Just now: Big blow of inflation to the whole country, there is an outcry in the stock market
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नई दिल्ली: आरबीआई (RBI) ने आज एक चौंकाने वाला फैसला लिया। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 40 बेसिस पॉइंट बढ़ोतरी की घोषणा की। इसे चार से बढ़ाकर 4.4 फीसदी कर दिया गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ((RBI) Governor Shaktikanta Das) ने आज एक बयान में इसकी घोषणा की।उनका बयान ऐसे समय आया है जब महंगाई चरम पर है और यह आरबीआई की निर्धारित सीमा से ऊपर बनी हुई है। आरबीआई ने अप्रैल में मॉनिटरी पॉलिसी में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। देश में खुदरा महंगाई मार्च में 17 महीने का उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। फूड और मैन्युफैक्चर्ड गुड्स की कीमतो में तेजी से महंगाई ज्यादा बढ़ी।

केंद्रीय बैंक आरबीआई केे रेट हाइक के चलते मार्केट में भगदड़ मच गई. सेंसेक्स और निफ्टी में दो फीसदी से अधिक की भारी गिरावट है. सेंसेक्स के महज तीन शेयरों में खरीदारी का रूझान दिख रहा है तो निफ्टी 50 पर भी महज 6 शेयर हरे निशान में हैं. सेंसेक्स 55700 और निफ्टी 16700 के नीचे फिसल गया है. सेंसेक्स पर सिर्फ पॉवरग्रिड, कोटक बैंक और एनटीपीसी में खरीदारी हो रही है.

आरबीआई के ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर अब आपके लोन की EMI पर भी पड़ना तय है। अगर बैंक भी 0.4 पर्सेंट की इस बढ़ोतरी को अपने ग्राहकों को आगे बढ़ाते हैं, तो 50 लाख लोन लेने वाले शख्स की EMI पर हर महीने 1196 रुपये का असर पड़ेगा। इसे आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि मान लीजिए अगर आपने 20 साल के लिए 50 लाख रुपये का लोन लिया है। मौजूद 6.7 पर्सेंट की दर से आपकी EMI 37,870 रुपये बनती है। लेकिन अगर आपका बैंक भी इस बढ़ोतरी को आपकी तरफ बढ़ाते हैं, तो आपके लोन का रेट 7.1% हो जाएगा। इस तरह आपकी EMI बढ़कर 39,066 हो जाएगी। आपकी जेब से 1196 रुपये हर महीने कटेंगे।

महंगाई पर क्या कहा
दास ने कहा कि तय कार्यक्रम के बिना हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर बढ़ाने का निर्णय किया। दूसरी तरफ उदार रुख को भी कायम रखा गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि महंगाई दर लक्ष्य की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। अप्रैल महीने में भी इसके ऊंचे रहने की संभावना है। मार्च महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 6.9 प्रतिशत रही। रिजर्व बैंक ने अगस्त, 2018 के बाद पहली बार नीतिगत दर में बढ़ोतरी की है।

RBI ने बीते आठ अप्रैल को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति (bi-monthly policy) के दौरान रेपो रेट (repo rate) में कोई परिवर्तन नहीं किया था। इसे चार फीसद पर ही बरकरार रखा था। इसके अलावा आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) को भी 3.35 फीसद पर बरकरार रखने का फैसला लिया है। आरबीआई की बजट के बाद यह दूसरी और इस वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति थी। उल्लेखनीय है कि रिज़र्व बैंक ने लगातार 11 बार प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इससे पहले आरबीआई ने आखिरी बार 22 मई 2020 को प्रमुख ब्याज दरों में बदलाव किया था। इसके बाद से ब्याज दर 4 फीसदी के एतिहासिक स्तर पर बनी हुई थी।

क्या होता है रेपो रेट
जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम हाेने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।

क्या होता है रिवर्स रेपो रेट
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आता है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।