अभी अभी: राजस्थान में पुरानी पेंशन को लेकर आई बड़ी खबर, सीएम गहलोत ने…

Just now: Big news about old pension in Rajasthan, CM Gehlot...
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जयपुर। राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू हो गई है। वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। एक जनवरी 2004 और उसके बाद के कर्मचारियों ओपीएस लागू हो गई है। इसके साथ ही मंत्रियों, विधायकों और न्यायिक सेवा के अधिकारियों को आरजीएचएस का लाभ मिलेगा। सीएम गहलोत ने बजट भाषण के दौरान राजस्थान में ओपीएस लागू करने की घोषणा की थी।

वित्त विभाग के आदेश से एनपीएस को पूरी तरह से समाप्त कर 2004 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल हो गई है। न्यू पेंशन स्कीम समाप्त हो गई है। वित्त विभाग ने राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) संशोधन नियम , 2022 के आदेश जारी कर दिए है। राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठनों का कहना था कि नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) न राज्य हित में है और न कर्मचारियों-अधिकारियों के हित में। नेशनल पेंशन सिस्टम में सेवानिवृत्ति के पश्चात मिलने वाली मासिक धनराशि को पीएफआरडीए एक्ट में कहीं भी पेंशन नहीं कहा गया है। सीएम गहलो द्वारा बजट भाषण में ओपीएस लागू करने कर्मचारियों ने स्वागत किया था। योजना लागू होने से सालाना 19 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।
ओपीएस से सालाना 19 हजार करोड़ का भार पड़ेगा

ओल्ड पेंशन स्कीम के पेटे राज्य सरकार करीब पौने चार लाख पेंशनर्स को हर साल 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की पेंशन दे रही है। न्यू पेंशन स्कीम वाले 522551 कर्मचारियों का औसत सेवा काल 28 वर्ष भी मानें तो इन्हें रिटायर होने में अभी 10 से 11 साल का समय और लगेगा। हर साल औसतन 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी सेवानिवृत्त भी होते हैं। ऐसे में पेंशनर्स की संख्या लगातार बढ़ती ही जाएगी। योजना लागू होने से सालाना 19 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।

39 हजार करोड़ लौटाने से PFRDA का इनकार

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के साढ़े 5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करने की सीएम अशोक गहलोत की बहुचर्चित बजट घोषणा धरातल पर उतरने से पहले ही केंद्र के अधीन आने वाली पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के दायरे में आने वाले राज्यांश व कर्मचारियों के अंशदान का 39 हजार करोड़ लौटाने से इनकार कर दिया था। वित्त विभाग को लिखे जवाबी पत्र में पीएफआरडीए ने लिखा कि पीएफआरडीए एक्ट 2013 व पीएफआरडीए रेग्यूलेशन 2015 में एनपीएस योजना के तहत राज्यांश व कर्मचारी के अंश की जमा राशि को राज्य सरकार की रेवेन्यू रिसीट में लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है। इससे राज्य सरकार को जबरदस्त झटका लगा है।