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जयपुर. राजस्थान में की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें जारी हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की प्रबल संभवानाओं के बीच लगभग यह तय हो चुका है कि जल्द उनका ठिकाना दिल्ली होगा। इधर, राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर आज बड़ा फैसला हो सकता है। विधायक दल की बैठक में नए नेता का चुनाव किया जा सकता है। 2018 से ही ‘सब्र’ करके बैठे सचिन पायलट सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान खासकर राहुल और प्रियंका गांधी पायलट के पक्ष में बताए जा रहे हैं। हालांकि, गहलोत इसके लिए अभी तक तैयार नहीं है और राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले वरिष्ठ नेता अपने दांव से चौंका सकते हैं।
2020 में बगावत के लिए अब तक पायलट को माफ नहीं कर पाए गहलोत राजस्थान पर अपनी पकड़ बरकरार रखना चाहते हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो राहुल गांधी की ओर से ‘एक व्यक्ति एक पद’ का संकल्प याद दिलाए जाने के बावजूद गहलोत एक और कोशिश करेंगे कि अध्यक्ष बनने के बाद भी राजस्थान में सीएम की कुर्सी अपने पास रखें। वह समर्थक विधायकों के जरिए विधायक दल की बैठक में अपने लिए आवाज उठवा सकते हैं। वह आलाकमान को संदेश दे सकते हैं कि उनके हटने से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बनेगा और अगले साल होने जा रहे हे चुनाव में भाजपा इसका फायदा उठा सकती है।
गहलोत के मुख्यमंत्री बने रहने की कोशिश और सचिन पायलट के उत्तराधिकारी की रेस में सबसे आगे होने के अलावा कुछ और चेहरों पर भी चर्चा चल रही है। पायलट के अलावा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी भी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। 2008 के चुनाव में महज एक वोट से हार की वजह से मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए सीपी जोशी को गहलोत का भी समर्थन प्राप्त है। ब्राह्मणों की कथित नाराजगी दूर करने को लेकर पार्टी उन्हें आगे कर सकती है। सीपी जोशी 4 बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उन्हें राहुल गांधी का विश्वास भी हासिल है। जोशी ने सियासी संकट के समय गहलोत की सरकार बचाने में अहम भूमिका निफाई थी। इसके अलावा गहलोत के बेटे वैभव को आरसीए पर काबिज होने में भी मदद की थी। हालांकि, पिछले कुछ सालों में सीपी की कम हुई सक्रियता उनके खिलाफ जाती है।
सीपी जोशी के अलावा बीडी कल्ला का भी नाम चर्चा में है, जो ब्राह्मणों के जानेमाने नेता हैं। उनका लंबा अनुभव उनका पक्ष मजबूत करता है। हालांकि, विधायकों पर उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं है। लेकिन माना जा रहा है कि गहलोत उनको आगे करके पर्दे के पीछे से नियंत्रण अपने हाथ रख सकते हैं। तीसरे दावेदार के रूप में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का नाम चल रहा है। जाट समुदाय से आने वाले गोविंद को सीएन बनाकर पार्टी जाटों को साथ सकती है। राजस्थान में 11 लोकसभा सीटों पर जाट अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में 2024 में पार्टी को लाभ हो सकता है।