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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय की 27 विधान परिषद सीटों के लिए मंगलवार को सुबह आठ बजे से मतगणना होगी. इन 27 एमएलसी सीटों पर 95 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है. स्थानीय निकाय क्षेत्र की 36 एमएलसी सीटों से 9 सदस्य पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं. वहीं, जिन 27 सीटों पर चुनाव हुए हैं, उनमें ज्यादातर बीजेपी और सपा के बीच ही सीधी टक्कर है तो कुछ जगह निर्दलीय प्रत्याशियों के चलते चुनाव त्रिकोणीय बन गया है. हालांकि, बीजेपी उत्तर प्रदेश विधानसभा के बाद अब विधान परिषद में सबसे बड़ा दल बनकर इतिहास रचने जा रही है.
गोंडा: बीजेपी प्रत्याशी अवधेश कुमार उर्फ मंजू सिंह आगे
गोंडा: एमएलसी के लिये मतगणना जारी. बीजेपी प्रत्याशी अवधेश कुमार उर्फ मंजू सिंह आगे. सपा प्रत्याशी भानु प्रकाश त्रिपाठी से आगे चल रहे बीजेपी प्रत्याशी.
फर्रुखाबाद: पहले राउंड की मतगणना में बीजेपी प्रत्याशी प्रांशु दत्त आगे
फर्रुखाबाद: पहले राउंड की मतगणना में बीजेपी प्रत्याशी प्रांशु दत्त आगे. सपा प्रत्याशी हरीश यादव पीछे
सहारनपुर-मुजफ्फरनगर एमएलसी चुनाव: बीजेपी की वंदना वर्मा आगे
सहारनपुर-मुजफ्फरनगर एमएलसी चुनाव: भाजपा की वंदना वर्मा सपा प्रत्याशी मोहम्मद आरिफ जौला से आगे. वाराणसी एमएलसी चुनाव में भाजपा के डॉ सुदामा पटेल आगे.
प्रयागराज-कौशांबी एमएलसी सीट से बीजेपी आगे, आजमगढ़ में निर्दलीय को बढ़त
प्रयागराज-कौशांबी एमएलसी सीट के लिए मतगणना शुरू. सदर तहसील में सुबह आठ से शुरू हुई मतगणना. पहले राउंड में बीजेपी प्रत्याशी डॉ केपी श्रीवास्तव आगे. आजमगढ़ : निर्दल प्रत्याशी विक्रांत सिंह रिशु 57 वोटों से चल रहे हैं आगे
पहले राउंड में बीजेपी के प्रत्याशियों ने बनाई बढ़त
रामपुर एमएलसी सीट के लिए भी काउंटिंग जारी है. पहले राउंड में बीजेपी के महाराज सिंह आगे चल रहे हैं. प्रतापगढ़- भाजपा प्रत्याशी हरिप्रताप सिंह आगे, सीतापुर में बीजेपी प्रत्याशी पवन सिंह चौहान आगे. रायबरेली से बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह आगे. फ़तेहपुर पहले राउंड में BJP के अविनाश सिंह चौहान आगे.
दोपहर 2 बजे के बाद आएंगे नतीजे
27 सीटों पर हुए एमएलसी चुनाव में वोटों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू हो गई है. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना हो रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि दोपहर दो बजे के बाद नतीजे आने शुरू हो जाएंगे. बीजेपी प्रचंड जीत के साथ 40 साल पुराना इतिहास दोहराने की कोशिश में है.
अपने ही गढ़ में रेस से बाहर दिख रही सपा
यूपी एमएलसी चुनाव में सबकी निगाहें समाजवादी पार्टी के गढ़ आजमगढ़ पर टिकीं हैं. यहां सपा रेस से बाहर दिख रही है. बीजेपी ने सपा विधायक रमाकांत यादव के बेटे को प्रत्याशी बनाया है, जबकि बीजेपी से निष्कासित यशवंत सिंह के बेटे निर्दलीय मैदान में हैं. टक्कर रमाकांत यादव के बेटे और यशवंत सिंह के बेटे के बीच ही मानी जा रही है.
ऐसा है विधान परिषद का हाल
उत्तर प्रदेश की 100 सदस्यीय विधान परिषद में इस समय भाजपा के 35, सपा के 17 और बसपा के चार सदस्य हैं. इसके अलावा कांग्रेस, अपना दल निषाद पार्टी और निर्दल समूह का एक-एक सदस्य है. वहीं, शिक्षक दल के दो सदस्य हैं, तो एक निर्दलीय सदस्य है. राज्य विधान परिषद की 36 सीट पिछली 7 मार्च को संबंधित सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण रिक्त हो गई थीं.
भाजपा ने रखा 36 सीटों पर जीत का लक्ष्य
यूपी विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद विधान परिषद चुनाव के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंकी है. वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सभी 36 सीटें भाजपा के लिए जरूरी हैं, ताकि हमारा
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 36 में से 27 सीटों के लिए 9 अप्रैल को हुए मतदान के लिए मंगलवार (12 अप्रैल) को मतगणना शुरू हो गई है. मतों की गिनती सभी 27 जिलों के कलेक्ट्रेट पर सुबह 8 बजे से शुरू हो गई. सभी सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच है. जहां एक ओर बीजेपी प्रचंड जीत के साथ ऊपरी सदन में बहुमत का इतिहास रचने की बात कह रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी अपनी स्थिति को मजबूत रखने की कोशिश की है. वैसे तो चुनाव 36 सीटों पर होने थे, लेकिन 9 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए हैं. लिहाजा 27 पर वोटिंग हुई. 9 अप्रैल को आगरा-फिरोजाबाद, मुरादाबाद-बिजनौर, रामपुर-बरेली, गोरखपुर-महाराजगंज, पीलीभीत-शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ-उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बहराइच, आजमगढ़-मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी-जालौन-ललितपुर, इटावा-फर्रुखाबाद, गोंडा, फैजाबाद, कानपुर-फतेहपुर, मेरठ-गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर-सहारनपुर, बलिया, बस्ती-सिद्धार्थनगर और देवरिया में वोटिंग हुई थी. इन सीटों पर 96 कैंडिडेट मैदान में हैं. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि स्थानीय निकाय प्राधिकार क्षेत्र के इस चुनाव में सत्ता पक्ष की ही जीत होती है. 2004 में मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री थे तब सपा 36 में से 24 सीटों पर जीती थी. इसके बाद 2010 में मायावती के शासनकाल में बसपा ने 36 में से 34 सीटों पर कब्जा किया था. अखिलेश के समय भी कुछ नहीं बदला था, 2016 में अखिलेश की समाजवादी पार्टी ने भी 36 में से 31 सीटें जीती थीं.