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नई दिल्ली। भाजपा आईटी सेल से जुड़े मानहानि केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी गलती स्वीकार की है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उन्हें कथित अपमानजक वीडियो को रीट्वीट करके गलती की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में इस केस की सुनवाई पर 11 मार्च तक रोक लगा दी है।
केस को रद्द करने की याचिका हाई कोर्ट से खारिज हो जाने के बाद केजरीवाल ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘मैं इतना कह सकता हूं कि मैंने रिट्वीट करके गलती की।’ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर नोटिस जारी किए बिना ही शिकायतकर्ता से पूछा कि क्या वह मुख्यमंत्री की माफी के बाद इस मामले को बंद करना चाहते हैं।
मामला 2018 का है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने यूट्यूबर ध्रुव राठी का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स (तब ट्विटर) पर रीट्वीट किया था। सोशल मीडिया पेज ‘आई सपॉर्ट नरेंद्र मोदी’ के फाउंडर विकास संकृत्यायन ने केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का केस किया था। उन्होंने दावा किया कि राठी ने एक वीडियो में उनपर अपमानजनक आरोप लगाए थे और दिल्ली के मुख्यमंत्री ने बिना तथ्यों को परखे वीडियो को शेयर किया। विकास ने कहा कि इससे उनकी छवि को ठेंस पहुंची।
निचली अदालत ने प्रथम दृष्टया इसे मानहानिकारक मानते हुए केजरीवाल को समन किया था। केजरीवाल समन के खिलाफ सेशंस कोर्ट गए लेकिन उनकी मांग खारिज कर दी गई। फिर उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। फरवरी के पहले सप्ताह में हाई कोर्ट से भी दिल्ली के मुख्यमंत्री को निराशा हाथ लगी थी। जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा था कि अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करना आईपीसी की धारा 499 के तहत अपराध है।