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संसद के विशेष सत्र के लिए सरकार ने अब तक जिन एजेंडों को सार्वजनिक किया था, उनको लेकर राजनीतिक गलियारों में कोई विशेष उत्सुकता नहीं देखी जा रही थी। विपक्ष का संदेह था कि डाक विधेयक और प्रेस और पत्र-पत्रिका विधेयक जैसे मुद्दे इतने महत्त्वपूर्ण नहीं हैं कि इसके लिए सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाती। उसे लगता है कि सरकार अपने किसी छिपे एजेंडे को लेकर सामने आ सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष सत्र की शुरुआत के पहले मीडिया को दिए संबोधन में ऐतिहासिक निर्णय लेने की बात कहने से यह चर्चा और तेज हो गई है कि आखिर सरकार कौन से ऐतिहासिक विधेयक सामने ला सकती है, जिससे देश की तस्वीर बदल जाएगी। क्या यह महिला आरक्षण विधेयक हो सकता है या सरकार समान नागरिक संहिता पर अगला कदम आगे बड़ा सकती है।
किसलिए चाहिए बड़ा मुद्दा?
दरअसल, संसद के इस विशेष सत्र को सरकार के लिए 2024 का चुनाव जीतने के लिए किसी बड़े एजेंडे को लाने के अंतिम अवसर की तरह देखा जा रहा है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि सरकार इस सत्र में किसी बड़े कदम की घोषणा कर मतदाताओं को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर सकती है।
#WATCH | The meeting of the Union Cabinet is underway in Parliament House Annexe in Delhi pic.twitter.com/73zxxt0xFn
— ANI (@ANI) September 18, 2023
चूंकि, नई संसद की शुरुआत गणेश चतुर्थी के अवसर पर हो रही है, अपने आप में यह हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इस अवसर पर गणेश पूजा भी की जाएगी। इससे भी लोगों में सकारात्मक संदेश जाने की बात की जा रही है।
पीएम ने खींची बड़ी लकीर
वरिष्ठ राजनीतिक आलोचक सुनील पांडेय ने अमर उजाला से कहा कि विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हमेशा इस बात के लिए आलोचना करता रहा है कि वे दूसरी सरकारों या दूसरे दलों के नेताओं को उचित महत्त्व नहीं देते। वे केवल अपनी बात करते हैं और केवल अपनी पार्टी के कार्यकाल को ही बेहतर बताते हैं, लेकिन संसद के विशेष सत्र की शुरुआत में दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को ऐसी आलोचना करने का कोई अवसर नहीं दिया। उन्होंने कहा कि देश की विकास यात्रा में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर सरदार मनमोहन सिंह तक सबका योगदान था।
उन्होंने लोकसभा के स्पीकर के रूप में अब तक काम कर चुके सभी सदस्यों के साथ-साथ संसद में काम करने वाले श्रमिकों तक को धन्यवाद दिया जिनके योगदान के कारण देश इस महान यात्रा को संभव कर सका है। संसद भवन के निर्माण की परिकल्पना विदेशियों के द्वारा किए जाने, इसके निर्माण में देश का परिश्रम-पसीना और पैसा लगने से लेकर संसद पर हुए हमलों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस संसद में हुई बहसों ने इस स्थान (पुरानी संसद) को एक तीर्थ स्थल में परिवर्तित कर दिया है। उनकी ये बातें संसदीय परंपरा और लोकतंत्र के प्रति उनकी आस्था को दिखाती हैं।
महिला आरक्षण देकर कर सकते हैं ऐतिहासिक निर्णय
नई संसद में सदस्यों के बैठने के लिए ज्यादा स्थान बनाया गया है। यह भी एक इशारा है कि सीटों को बढ़ाकर सदस्यों की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो प्रधानमंत्री अपने विशेष समर्थक वर्ग महिलाओं को अपने पाले में और ज्यादा मजबूती के साथ लाने के लिए बड़ा काम करेंगे और यह कदम 2024 के चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है।