अभी-अभी: सीएम गहलोत पर भड़के सचिन पायलट, दलित बच्चे की मौत पर…

Just now: Sachin Pilot furious at CM Gehlot, on the death of Dalit child...
Just now: Sachin Pilot furious at CM Gehlot, on the death of Dalit child...
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जालोर। जालोर में शिक्षक की पिटाई से छात्र की मौत को लेकर सियासत जारी है। कम मुआवजे को लेकर भी नेता सीएम गहलोत पर सवाल उठा रहे थे। ऐसे में मंगलवार को छात्र के घर पहुंचे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता छात्र के परिजनों को देने की घोषणा की है।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार जोधपुर में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बच्चे की मौत को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल हो गए हैं। इस तरह की घटना किसी के भी साथ हो, हमें अन्याय के खिलाफ बोलना चाहिए। हम जब विपक्ष में थे तो बाड़मेर में डेल्टा मेघवाल कांड हुआ। हम इसे फैसले तक ले गए। आज जब सरकार हमारी है, हम जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मृतक के परिजन डिप्टी एडीएम और एसपी का नाम लेकर कह रहे हैं कि उनके परिवार वालों पर लाठीचार्ज किया गया। उनके मोबाइल छीन लिए गए। सचिन पायलट ने एडीएम और डिप्टी एसपी के हटाने की मांग की है।

पायलट मंगलवार को सुराणा पहुंचे थे, जहां उन्होंने मृतक बच्चे के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने कहा- ‘जहां तक इस घटना की बात है, यह कहना नाकाफी है कि बाकी राज्यों में ऐसा होता है। किसी राज्य में दलित, आदिवासी, असहाय के साथ ऐसा होता है तो जीरो टॉलरेंस करना पड़ेगा। हम यह नहीं कह सकते कि बाकी राज्यों में हो रहा है तो यहां पर भी हो रहा है।’ सचिन पायलट का यह बयान सीएम गहलोत के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें सीएम ने कहा था कि दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत अच्छी स्थिति हमारी है। आप देखते होंगे कि यूपी में क्या हो रहा है, मध्यप्रदेश में क्या हो रहा है।

उन्होंने कहा कि उम्मीद करता हूं कि इस प्रकार की घटनाओं पर हमें हमेशा के लिए अंकुश लगाना होगा क्योंकि इस तरह की घटनाएं जब होती है तो देश-प्रदेश में दुख की भावना जेहन में आती है। शिक्षक की पिटाई से बच्चे का मर जाना, इससे बड़ा क्या दुख होगा।

सचिन पायलट ने आगे कहा कि दलित समाज को इससे हटकर हमें संदेश देना पड़ेगा, उनके जेहन में विश्वास जगाना होगा कि हम उनके साथ खड़े हैं। उनके लिए सिर्फ कानून बनाने, नियम बनाने, भाषण देने और कार्रवाई से शायद यह हम पूरा नहीं कर सकें। उन्हें विश्वास दिलाने के लिए जो कुछ करना है, हमें करना पड़ेगा। इस तरह की घटना दोबारा न हो इसे भी सुनिश्चित करना होगा।