नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में बुधवार शाम चार बजकर 42 मिनट पर एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। बता दें कि दिल्ली में लगातार दूसरे दिन भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.7 मापी गई है। हालांकि आज भूकंप से हल्के झटके लगे।
मंगलवार को आया था 6.6 तीव्रता का भूकंप
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि अफगानिस्तान में भूकंप की तीव्रता 6.6 मापी गई। भूकंप का केंद्र फैजाबाद से 133 किमी दूर दक्षिण पूर्व में हिंदू कुश क्षेत्र में था। भूकंप का केंद्र 156 किमी गहराई में था। भूकंप के झटके भारत के अलावा तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और किर्गिस्तान में भी महसूस किए गए।
भारत में दिल्ली-एनसीआर के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड में भी भूकंप के तेज झटके लगे थे। अहसास होते ही लोग घरों से बाहर निकल आए। भूकंप के अन्य झटकों की आशंका के चलते काफी लोग देर रात तक घरों के बाहर खुले में ही डटे रहे।
अफगानिस्तान में दो और पाकिस्तान में 9 लोगों की मौत
भूकंप के कारण अफगानिस्तान में दो लोगों की मौत हुई है। अफगानिस्तान के आपदा राहत मंत्रालय के प्रवक्ता शफीउल्लाह रहीमी ने कहा कि पूर्वी लघमान प्रांत में दो लोग मारे गए हैं। अधिकारियों और सहायताकर्मियों ने कहा कि बदख्शां और अन्य उत्तरी क्षेत्रों में बहुत तेज झटके महसूस किए गए।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि पाकिस्तान में भूकंप की तीव्रता 6.8 मापी गई। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान में भूकंप के कारण 9 लोगों की मौत हो गई, जबकि 160 से ज्यादा लोग घायल हो गए। मृतकों में दो महिलाएं भी शामिल हैं। लाहौर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी, पेशावर, कोहाट और अन्य इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए।
रिक्टर स्केल क्या होता है?
अमेरिकी भू-विज्ञानी चार्ल्स एफ रिक्टर ने सन 1935 में एक ऐसे उपकरण का इजाद किया, जो पृथ्वी की सतह पर उठने वाली भूकंपीय तरंगों के वेग को माप सकता था। इस उपकरण के जरिए भूकंपीय तरंगों को आंकड़ों में परिवर्तित किया जा सकता है। रिक्टर स्केल आमतौर पर लॉगरिथम के अनुसार कार्य करता है। इसके अनुसार एक संपूर्ण अंक अपने मूल अर्थ के 10 गुना अर्थ में व्यक्त होता है। रिक्टर स्केल में 10 अधिकतम वेग को दर्शाता है।
क्यों आता है भूकंप?
धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।