मध्य प्रदेश सरकार पर कमलनाथ का हमला: कहना लिए बात

Kamal Nath's attack on Madhya Pradesh government: Thing to say
Kamal Nath's attack on Madhya Pradesh government: Thing to say
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भोपाल। मध्यप्रदेश में हाेने वाले 2023 के चुनावाें से पहले आराेप प्रत्याराेप का दाैर शुरु हाे चुका है। ऐसे में हर पार्टी अपने आप काे श्रेष्ठ दिखाते हुए दूसरे पर कटाक्ष करने का कोई माैका नहीं छाेड़ रही है। ऐसे में इस बार मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया है, अपने एक बयान में उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में निरंतर सामने आ रहे घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों से ध्यान हटाने के लिए शिवराज सरकार ने यह “चीता इवेंट” आयोजित किया है।

पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि यदि सरकार को चीते ही छोड़ना थे तो साधारण तरीक़े से भी छोड़े जा सकते थे लेकिन तीन लाख करोड़ के कर्जदार प्रदेश में चीता छोड़ने के लिए भी लाखों-करोड़ों खर्च कर एक” मेगा इवेंट “ आयोजित किया गया। प्रदेश के जिस श्यौपुर जिले के कूनो अभयारण्य में यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है ,वह श्यौपुर जिला देश में कुपोषण के मामले में वर्षों से शीर्ष पर है।

उन्हाेंने आराेप लगाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में कुपोषण के बढ़ते आंकड़ो के बीच पोषण आहार घोटाला भी सामने आया है लेकिन सरकार की चिंता उस जिले से कुपोषण दूर करने की नहीं है ,उसकी चिंता तो वहां करोड़ों खर्च कर मेगा इवेंट करने में है। बेहतर होता सरकार करोड़ों रुपये की इस राशि को इस मेगा इवेंट की बजाय कुपोषण दूर करने में लगाती और चीते को साधारण तरीके से छोड़ने का काम करती।

कमलनाथ ने बताया कि वैसे भारत में चीते लाने की परियोजना की परिकल्पना मनमोहन सिंह सरकार के समय बनी थी। तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के कार्यकाल में वर्ष 2008-09 में इसका प्रोजेक्ट तैयार हुआ था और इसकी प्रक्रिया को प्रारंभ किया गया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई थी और नामीबिया से बातचीत प्रारंभ हुई थी।

बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया।सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में इसकी अनुमति दी लेकिन भाजपा की तो शुरु से ही आदत है कि वह कांग्रेस सरकारों के समय किए गए कामों का भी झूठा श्रेय खुद लेती है। नाथ ने कहा कि सभी जानते हैं कि मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर अभयारण्य में गुजरात के गिर राष्ट्रीय पार्क से एशियाई शेरों को लाने को लेकर मध्य प्रदेश सरकार वर्षों से सिर्फ़ दावे ही कर रही है।

करीब 9 वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट भी गुजरात सरकार को यह शेर देने का आदेश दे चुका है लेकिन मध्य प्रदेश सरकार आज तक गुजरात से इन शेरों को नहीं ला सकी है , इसके पीछे शिवराज सरकार की इच्छाशक्ति का अभाव है और इसके पीछे की सारी सच्चाई व वास्तविकता भी सभी को भली भाँति पता हैं।इस मुद्दे से ध्यान हटाने के भी यह चीता इवेंट किया जा रहा है।

जबकि मध्य प्रदेश सरकार ने इस अभ्यारण से कई गांवो के सेकडो परिवारों का विस्थापन भी किया , करोड़ों रुपए खर्च भी किये लेकिन गुजरात सरकार की ज़िद के कारण आज तक यह शेर मध्यप्रदेश को नहीं मिल पाये है।

जब मध्य प्रदेश में हमारी सरकार आई तो हमने दमदारी से व पुरजोर ढंग से मध्यप्रदेश के इस पक्ष को रखा और इस दिशा में प्रयास भी शुरू किए लेकिन हमारी सरकार बीच में गिरा दी गई। शिवराज जी आज मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट ,लेपर्ड स्टेट बढ़-चढ़कर बता रहे हैं, चीता स्टेट बनाने की बात कर रहे है। हाल ही में विधानसभा के पटल पर रखी गई केग की रिपोर्ट बता रही है कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच 115 बाघों की मृत्यु हुई ,वही इसी दौरान 209 तेंदुओ की भी मृत्यु हुई और बिजली के करंट से 16 बाघ और 21 तेंदुओ की मृत्यु हुई।

मध्यप्रदेश में बाघ व तेंदुआ संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने आज तक कोई योजना नहीं बनाई और ना ही इस दिशा में कोई काम किया , यह शिवराज सरकार की हकीकत है। नाथ ने कहा कि सरकार प्रदेश में निरंतर सामने आ रहे घोटालों से ध्यान हटाने के लिये यह चीता इवेंट कर रही है।मध्यप्रदेश में हाल ही में 5 हज़ार करोड़ का पोषण आहार घोटाला सामने आया है , 304 करोड़ का धार जिले का कारण डैम का भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है ,यूरिया घोटाला सामने आया है। यह सब घोटाले देशभर में चर्चित हुए हैं ,इन घोटालों से ध्यान हटाने के लिए शिवराज सरकार ने यह चीता इवेंट आयोजित किया है।इस चीता इवेंट के लिए विधानसभा का सत्र भी निर्धारित अवधि से पहले समाप्त कर दिया गया क्योंकि सरकार का ध्यान जनहित के मुद्दों व घोटालों पर चर्चा करने की बजाय चीता इवेंट पर लगा हुआ था।