लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीयर में फ़र्क़ जानिए

Know the difference between lesbian, gay, bisexual, transgender and queer
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सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था. इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंध को अपराध नहीं माना जाएगा. पर समलैंगिकों की शादी को क़ानूनी मान्यता दी जाए या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आना बाकी है. कोर्ट में इस मांग को रखनेवाले याचिकाकर्ताओं में लेस्बियन, गे और ट्रांसजेंडर जोड़े शामिल हैं. मूलभूत अधिकारों की इस बहस को बेहतर समझने के लिए L, G, B, T, Q, I, A का मतलब जानना ज़रूरी है.

समलैंगिक समुदाय में सम्मिलित इन अलग-अलग पहचानों के पीछे दो पहलू हैं – शारीरिक चाहत और शरीर के गुप्तांगों की बनावट.

इन्हीं से अलग-अलग सेक्शुअल (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल) और जेंडर पहचान (ट्रांसजेंडर, इंटरसेक्स) बनती हैं.

L – ‘लेस्बियन’: वो औरत जो औरतों को चाहती हैं.

G – ‘गे’: वो मर्द जो मर्दों को चाहते हैं.

अक़्सर ‘गे’ शब्द का इस्तेमाल पूरे समलैंगिक समुदाय के लिए भी किया जाता है. मसलन – ‘गे कम्यूनिटी’ या ‘गे पीपल’.

B – ‘बाइसेक्शुअल’: वो व्यक्ति जो मर्द और औरत दोनों को चाहते हैं.

ये व्यक्ति मर्द भी हो सकता है या औरत भी.

T – ‘ट्रांसजेंडर’: वो व्यक्ति जिनके शरीर के गुप्तांगों की बनावट के मुताबिक़ पैदा होने के व़क्त उनका जो जेंडर तय किया गया, जब वो बड़े होकर ख़ुद को समझे तो उससे उलट महसूस करने लगे.

‘ट्रांसजेंडर वुमन’: पैदाइश के व़क्त बच्चे के गुप्तांग से उसे लड़का माना गया पर समय के साथ उन्होंने पाया कि वो लड़की जैसा महसूस करते हैं.

‘ट्रांसजेंडर मैन’: पैदाइश के व़क्त बच्चे के गुप्तांग से उसे लड़की माना गया पर समय के साथ उन्होंने पाया कि वो लड़के जैसा महसूस करते हैं.

अपनी पसंद की लैंगिक पहचान के लिए दवा, ‘हॉर्मोन रिप्सेलमेंट थेरपी’ और ‘सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी’ के ज़रिए ‘ट्रांसजेंडर’ अपने शरीर के गुप्तांगों की बनावट बदलवाते हैं ताकि वो जैसा महसूस करते हैं, उनका शरीर भी वैसा ही हो. किसी मर्द या औरत की ही तरह ‘ट्रांसजेंडर’ की शारीरिक चाहत के मुताबिक़ वो ‘लेस्बियन ट्रांसजेंडर’, ‘गे ट्रांसजेंडर’ या ‘बाईसेक्शुअल ट्रांसजेंडर’ हो सकते हैं. भारत के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे ट्रांसजेंडर्स के स्थानीय नामों में हिजड़ा, अरावनी, कोथी, शिव-शक्ति, किन्नर और जोग्ती हिजड़ा शामिल हैं.

Q – ‘क्वीयर’: सबसे पहले इस शब्द का इस्तेमाल समलैंगिक समुदाय के प्रति घृणा दिखाने के लिए होता था.

अब समुदाय के कुछ लोग इसे वापस अपना रहे हैं. वहीं कुछ का मानना है कि वो अपनी पहचान, सिर्फ़ अपनी शारीरिक इच्छाओं के ‘लेबल’ तक सीमित नहीं रखना चाहते.

Q – ‘क्वेश्चनिंग’: वो व्यक्ति जो अभी अपनी लैंगिक पहचान और शारीरिक चाहत तय नहीं कर पाए हैं.

I – ‘इंटर-सेक्स’: पैदाइश के व़क्त जिस व्यक्ति के गुप्तांगों से ये साफ़ नहीं होता कि वो लड़का है या लड़की, उन्हें ‘इंटर-सेक्स’ कहते हैं.

डॉक्टर को उस व़क्त जो सही लगता है, उस बच्चे को उसी लिंग का मान लिया जाता है और वैसे ही बड़ा किया जाता है. बड़े होने के बाद वो व्यक्ति खुद को मर्द, औरत या ‘ट्रांसजेंडर’, कुछ भी मान सकता है. साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फ़ैसले में ‘ट्रांसजेंडर्स’ को तीसरे लिंग की पहचान दी, जिसके तहत उन्हें नौकरियों, शिक्षा वगैरह में आरक्षण दिए जाने की सिफ़ारिश की.

A – ‘ऐलाइज़’: वे लोग जो ख़ुद समलैंगिक नहीं हैं लेकिन उस समुदाय का समर्थन करते हैं.

A – ‘असेक्शअल’: वो व्यक्ति जो किसी भी अन्य व्यक्ति से शारीरिक तौर पर आकर्षित नहीं है.

P – ‘पैनसेक्शुअल’: वो व्यक्ति जो किसी से भी शारीरिक तौर पर आकर्षित हो सकते हैं. उनकी अपनी लैंगिक और सेक्शुअल पहचान भी तय नहीं होती है.