अभी अभीः राकेश टिकैत पर बडा खुलासा! उनके कहने पर ही रोके गये विपक्षी नेता, वेस्ट यूपी में तैनात रहे अफसरों ने..

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लखीमपुर खीरी। लखीमपुर खीरी कांड पूरे देश में चर्चाओं का विषय बन गया है। लखीमपुर खीरी कांड में प्रशासन के साथ राकेश टिकैत के समझौते को लेकर भी सवाल उठ खडे हुए है। दैनिक अखबार जनसत्ता की एक खबर में खुलासा किया गया है कि भाकियू नेता राकेश टिकैत के कहने पर ही विपक्षी नेताओं को लखीमपुर खीरी आने से रोका गया, क्योंकि इन नेताओं के वहां पहुंचने से समझौता करने में समस्यायें खडी हो सकती थी। खबर में क्या खुलासे किये गये है आप नीचे पढ सकते है।

जनसत्ता की खबर के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने लखीमपुर खीरी कांड में हुए बवाल को और आगे बढ़ने से रोकने और हिंसा पर लगाम कसने के लिए जिस नेता की मदद ली, वे हैं भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत। उनकी सलाह पर ही विपक्षी नेताओं को घटनास्थल पर पहुंचने से रोका गया और उनकी मदद से ही 24 घंटे के अंदर ही वहां जुटी 25 हजार किसानों की भीड़ को मौके से हटाया जा सका। ऐसा नहीं करने पर हिंसा बढ़ सकती थी। राकेश टिकैत के साथ ही कई ऐसे वरिष्ठ अधिकारी भी बातचीत कर रहे थे, जिनके पास वर्षों तक पश्चिमी यूपी में ऐसे हालातों को नियंत्रित करने का अनुभव था।

सूत्रों ने कहा कि इन अफसरों ने अन्य लोगों के साथ मध्यस्थता के लिए टिकैत से संपर्क किया और उन्हें जल्द से जल्द लखीमपुर खीरी ले आए। इसके बाद उनकी मध्यस्थता में बातचीत शुरू हुई, जो सोमवार रात लगभग 1.30 बजे शुरू हुई और करीब 12 घंटे बाद दोपहर 2 बजे समाप्त हुई। टिकैत ने लखनऊ से अपने साथ समन्वय कर रहे अधिकारियों से विपक्षी नेताओं को दूर रखने के लिए कहा था, क्योंकि उनकी वजह से किसानों को समझाने और शांत करने में मुश्किल होती।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया, विमान को उतरने से रोक दिया और नेताओं को हिरासत में ले लिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विपक्षी नेता मंगलवार को भी मौके पर नहीं पहुंच सके। टिकैत द्वारा निभाई गई भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्हें यूपी में कृषि कानून विरोध का चेहरा माना जाता है। चुनाव वाले राज्य में, यह विरोध बड़े पैमाने पर पश्चिमी जिलों में केंद्रित हैं, जहां टिकैत लंबे समय से किसानों के लिए काम कर रहे हैं। यह उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत के समय से शुरू हुआ था।

मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि टिकैत ने कभी भी बातचीत में या किसानों को संबोधित करते हुए राज्य सरकार के प्रति कोई आक्रामकता या आलोचना नहीं की। प्रदर्शनकारियों के तितर-बितर होने के बाद ही वह लखीमपुर खीरी से निकले।

टिकैत की टीम ने तीन मांगें रखीं – जिसमें केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे आशीष के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करना (किसानों ने आरोप लगाया है कि आशीष ही उस कार को चला रहे थे, जिससे कुचल कर चार प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी।); प्राथमिकी की प्रति तत्काल प्रस्तुत करना; प्रत्येक मृत किसान के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा; और उनके पैतृक जिले में उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी उपलब्ध कराना शामिल है।

अधिकारियों ने स्वीकार किया कि इस दौरान कई बार तनाव बढ़ता दिखा, क्योंकि भीड़ मौके पर चारों ओर बढ़ती जा रही थी। उन्हें डर था कि किसी भी छोटी सी घटना से कथित तौर पर तलवारों, लाठियों और लाइसेंसी बंदूकों से लैस गुस्साए किसानों की मौके पर तैनात पुलिस, आरएएफ और एसएसबी के लोगों के साथ झड़प न हो जाए।

दोपहर करीब 1 बजे अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार और एडीजी लखनऊ जोन एसएन साबत कथित तौर पर लखनऊ से अंतिम मंजूरी के बादआशीष के खिलाफ एफआईआर की कॉपी लेकर किसानों से बात करने पहुंचे। इस बैठक में मृतक किसानों के परिजन भी मौजूद थे। मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे की राशि 45 लाख रुपये और घायलों के लिए 10 लाख रुपये तय की गई थी। लखनऊ में शीर्ष अधिकारियों ने टिकैत और पंजाब के एक सिख किसान नेता से भी बात की।

कथित तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों की टीम मीडिया से बात नहीं करना चाहती थी, लेकिन टिकैत ने इस पर जोर दिया। उन्होंने मीडिया को बताया कि रविवार की घटना को लेकर किसान अपना आंदोलन समाप्त कर रहे हैं। इसके बाद वे किसानों को संबोधित करने चले गए।

देवेश चतुर्वेदी और अंतिम वार्ता में शामिल अन्य अधिकारियों के अलावा अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने भी अहम भूमिका निभाई। सूत्रों ने बताया कि अवस्थी मौके पर मौजूद अधिकारियों और टिकैत के लगातार संपर्क में रहे।

सूत्रों के अनुसार, अवस्थी ने एक साल पहले शुरू हुए तीन कृषि कानूनों पर किसानों के आंदोलन के बाद से टिकैत के साथ बातचीत का एक रास्ता खुला रखा। और मेरठ में जब वे जिलाधिकारी थे, तब से टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत के परिवार के साथ उनके अच्छे संबंध हैं। अधिकारियों का कहना है कि यही कारण है कि बीकेयू ने यूपी की सीमा के भीतर, खासकर लखनऊ के आसपास कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया है।

बाकी अफसर भी टिकैत को अच्छी तरह जानते हैं। एडीजी प्रशांत कुमार ने लंबे समय तक एडीजी, मेरठ जोन के रूप में कार्य किया है, जबकि एडीजी एस एन साबत पहले पश्चिम यूपी में एसएसपी मुजफ्फरनगर रह चुके हैं। अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी अपनी आधिकारिक क्षमता में टिकैत के साथ कई बैठकों का हिस्सा रहे हैं।

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