जोशीमठ की तरह इन इलाकों में भी दरक सकती है जमीन, ISRO की लिस्ट जारी, इन 10 जिलों को सबसे ज्यादा खतरा

Like Joshimath, land may crack in these areas too, ISRO's list released, these 10 districts are most at risk
Like Joshimath, land may crack in these areas too, ISRO's list released, these 10 districts are most at risk
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नई दिल्ली। उत्तराखंड के जोशीमठ की खबरें अभी पुरानी भी नहीं हुईं कि एक और चौंकाने वाली खबर सामने आ गई है. ISRO ने भूस्खलन एटलस जारी किया है. यह डेटाबेस हिमालय और पश्चिमी घाट में भारत के 17 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में भूस्खलन-संवेदनशील क्षेत्रों को शामिल करता है. इसरो द्वारा भूस्खलन पर किए गए जोखिम अध्ययन के मुताबिक उत्तराखंड के 2 जिले देश के 147 संवेदनशील जिलों में टॉप पर हैं.

इस सर्वे के मुताबिक रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में भूस्खलन जोखिम वाले टॉप जिले हैं. बताते चलें कि रुद्रप्रयाग जिला केदारनाथ और बद्रीनाथ के चारधाम तीर्थों का प्रवेश द्वार है.

सबसे ज्यादा खतरनाक हैं उत्तराखंड के दो अहम जिले

भूस्खलन जोखिम विश्लेषण पहाड़ी क्षेत्रों में किया गया था. उत्तराखंड राज्य में रुद्रप्रयाग जिला जहां भारत में सबसे अधिक भूस्खलन घनत्व है वहां कुल आबादी, कामकाजी आबादी, साक्षरता और घरों की संख्या भी सबसे अधिक है. बताते चलें कि देश के शीर्ष 10 जिले जो भूस्खलन से सबसे अधिक प्रभावित हैं, उनमें से 2 जिले सिक्किम के भी हैं- दक्षिण और उत्तरी सिक्किम. साथ ही 2 जिले जम्मू-कश्मीर और 4 जिले केरल के हैं.

जोखिम से भरे 147 जिलों की सूची जारी

सर्वे के दौरान 147 अति संवेदनशील जिलों का अध्ययन किया गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से संबद्ध प्रीमियर संस्थान ने खुलासा किया है कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल जिलों में देश में सबसे अधिक भूस्खलन घनत्व है साथ ही पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र भूस्खलन के लिए सबसे अधिक संवेदनशील है. 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 147 जिलों में 1988 और 2022 के बीच दर्ज 80,933 भूस्खलन के आधार पर एनआरएससी के वैज्ञानिकों ने भारत के भूस्खलन एटलस के निर्माण के लिए जोखिम मूल्यांकन किया.

1988 और 2022 के बीच भूस्खलन

उल्लेखनीय है कि इन दिनों उत्तराखंड सरकार के लिए जोशीमठ अब भी एक बड़ी चुनौती के रूप में तैयार है. जोशीमठ सहित उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में जमीन दरकने के कई मामले सामने आ चुके हैं. इसकी शुरुआत जोशीमठ से हुई थी, जिसके बाद कर्णप्रयाग में भी इस तरह की घटनाएं देखी गई थीं. हाल ही में ब्रद्रीनाथ हाईवे के पास स्थित ITI क्षेत्र के बहुगुणा नगर और सब्जी मंडी के ऊपरी हिस्सों में भी दरारें दिखने की बात सामने आई थी. इसके बाद एक टीम निरीक्षण के लिए पहुंची थी, जिसे 25 घरों में बड़ी-बड़ी दरारें मिली थीं. इनमें से 8 घरों को बेहद खतरनाक घोषित किया गया था, जिसमें रहने वाले लोगों से मकान खाली करा लिए गए थे.

जोशीमठ संकट से जूझ रहे लोग

जोशीमठ में जमीन धंसने और मकानों की दीवारें दरकने के बाद अब जोशीमठ-बद्रीनाथ हाईवे पर दरारें देखी गई हैं. हाईवे के पांच स्थानों पर ये दरारें देखी गई हैं. नई दरारें दिखने के बाद बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने इसकी सूचना जारी की है. दरार वाली जगहों पर BRO की टीम ने रेगुलर मेंटेनेंस कर दिया है. जोशीमठ एसडीएम कुमकुम जोशी ने बताया कि ये दरारें पिछले साल भी निकली थीं और हमने मरम्मत का काम किया था. गड्ढे 4 मीटर गहरे थे, जिन्हें भर दिया गया है. दरारों की जांच के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है.

चार धाम यात्रा से पहले सरकार के लिए बड़ी चुनौती

सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती यह भी है कि जल्द ही उत्तराखंड की चार धाम यात्रा शुरू होने वाली है. ऐसे समय में भूस्खलन का यह आंकड़ा सामने आना सरकार की चिंता बढ़ाएगा. चारधाम यात्रा के लिए जाने वालों के लिए रुद्रप्रयाग जिला वैसे भी एक अहम कड़ी है.