प्यार में साथ रहना गुनाह नहीं, लेकिन लिव इन में रहने से पहले जान लें अपने अधिकार

Living together in love is not a crime, but before living in live know your rights
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नई दिल्ली: लिव इन रिलेशनशिप यानी शादी किए बगैर किसी महिला और पुरुष के साथ रहने पर अक्सर बहस होती है लेकिन पिछले कुछ दिनों में ये मुद्दा काफी चर्चा में है. इसका कारण है दिल्ली का दिल दहला देने वाला श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड जहां एक लड़के ने अपनी प्रेमिका की पहले हत्या की और फिर उसकी लाश के 35 टुकड़े कर दिए. दोनों लिव इन में रहते थे. इस केस के बाद कुछ लोग लिव इन रिलेशनशिप पर सवाल उठाने लगे हैं. वास्तव में लिव इन में रहना किसी भी जोड़े का बेहद निजी मामला है और इसे सुप्रीम कोर्ट की मान्यता भी मिल चुकी है हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन में रहने वाले लोगों के लिए कुछ नियम तय किए हैं जिनकी जानकारी हर एक कपल को लिव इन में जाने से पहले होनी चाहिए. साथ ही उन्हें इनका पालन भी करना चाहिए.

क्या है श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड
आफताब अमीन पूनावाला और श्रद्धा वॉल्कर मुंबई में एक साथ जॉब करते थे. इसी दौरान दोनों को प्यार हो गया. आफताब और श्रद्धा अलग-अलग धर्म के थे इसलिए उनके परिवार को इस रिलेशन से दिक्कत थी. लेकिन दोनों परिवार के खिलाफ जाकर दिल्ली में एक साथ रहने लगे. इस साल 18 मई को दोनों के बीच झगड़ा हुआ जिसके बाद आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर दी. उसने पुलिस से बचने के लिए श्रद्धा के शव के 35 से ज्यादा टुकड़े कर उन्हें दिल्ली की अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया.

श्रद्धा हत्याकांड के आरोपी आफताब को नहीं कोई अफसोस!
आफताब ने पुलिस के सामने श्रद्धा की हत्या का गुनाह कुबूल कर लिया है लेकिन इस घटना ने लिव इन रिलेशनशिप और इसमें रहने वाले जोड़ों को कटघड़े में खड़ा कर दिया है. हालांकि यहां सवाल ये भी उठता है कि क्या विवाहित जोड़े अपराध से परे हैं और क्या शादी में ऐसी घटनाएं नहीं होतीं.

लिव इन को मिल चुकी है कानूनी मान्यता
लिव इन रिलेशनशिप का कॉन्सेप्ट पश्चिमी देशों से आया है. वहां ये बहुत ही सामान्य बात है लेकिन भारतीय संस्कृति में बिना शादी के किसी मर्द और औरत का एक साथ रहना सही नहीं माना जाता. हालांकि बदलते जमाने में भारत में भी ये कॉन्सेप्ट स्वीकार किया जाने लगा है. यहां तक कि भारत के बड़े शहरों में तो अब ये बहुत ही सामान्य बात बन चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी लिव इन को वैध करार दिया है.

लिव इन पर क्या कहना है सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दो बालिग लोग आपसी सहमति से एक दूसरे के साथ रह सकते हैं और ये कानून की नजर में अवैध नहीं है. कोर्ट ऐसे कपल को पारंपरिक शादी में रहने वाले जोड़ों की तरह ही देखता है, बशर्ते वो कोर्ट के तय किए गए नियमों के साथ लिव-इन में रह रहे हों.

चंडीगढ़ हाईकोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता रीटा कोहली ने बताया, ”भारत में लिव इन रिलेशनशिप पर कोई कानून नहीं बना है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे पूरी तरह वैध करार दिया है. दरअसल कोर्ट ने पाया कि कई महिलाएं अपने मेल पार्टनर के साथ सालों तक साथ रहीं लेकिन अचानक उन्हें उनके पार्टनर ने यह कहकर घर से निकाल दिया कि अब वो साथ नहीं रह सकते और उन्होंने उस महिला से शादी नहीं की इसलिए वो फाइनैंशियल सपोर्ट की हकदार भी नहीं हैं. जबकि उन्होंने उस महिला के साथ कई साल बिताए और उन्हें समाज में अपने पार्टनर के तौर पर प्रेजेंट किया.”वो आगे कहती हैं, ”इसलिए कोर्ट ने ऐसी महिलाओं को प्रोटेक्शन देने के लिए लिव इन को मान्यता दी. साथ ही उन्हें फिजिकल, इमोशनल और फाइनैंशियल वायलेंस से बचाने के लिए कई नियम भी बनाए.”

लिव इन कपल के लिए कोर्ट ने बनाए हैं ये नियम
लिव इन रिलेशन के लिए लड़का और लड़की दोनों का वयस्क होना जरूरी है. अगर कपल में लड़का या लड़की दोनों ही या दोनों में एक नाबालिग है तो उनका संबंध अवैध माना जाता है और इस संबंध को लिव इन रिलेशन की मान्यता नहीं मिलती.

लिव इन रिलेशन को इस कंडीशन में मिलती है मान्यता
लिव इन रिलेशन तब मान्य होता है जब लड़का और लड़की पति-पत्नी की तरह एक साथ रह रहे हों. इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है लेकिन उनका लगातार साथ रहना जरूरी है. ऐसे संबंध को लिव नहीं माना जाएगा जिसमें वो कभी साथ रहें और कभी अलग या कुछ दिन साथ रहने के बाद अलग हो जाएं.

लिव इन में रह रही महिला को भरण पोषण का अधिकार
लिव इन में रह रही महिला को पत्नी की ही तरह अपने साथी पुरुष से भरण पोषण की मांग करने का अधिकार है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह कहकर महिला को भरण पोषण के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वो कानूनी तौर पर पति-पत्नी नहीं हैं. रीता कोहली ने इस बारे में बताया कि CRPC की धारा 125 के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं या वो महिलाएं जिन्हें उनके पार्टनर ने छोड़ दिया है, उन्हें भरण पोषण अधिकार है. वो अपने मेल पार्टनर से कोर्ट के जरिए भरण पोषण के लिए आर्थिक सहायता की मांग कर सकती हैं.

लिव इन से उत्पन्न संतान को माता-पिता की संपत्ति में अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि लिव इन में रहने के दौरान अगर कोई संतान पैदा होती है तो उसे अपने माता-पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार मिलेगा और इससे कोई भी भी लिव इन कपल बच नहीं सकता है.

लिव इन में धोखा देने पर हो सकती है कार्रवाई
लिव इन रिलेशनशिप में अगर एक पार्टनर दूसरे पार्टनर से शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाकर बाद में मुकर जाता है तो यह एक अपराध माना जाता है. इस स्थिति में पीड़ित अगर चाहे तो मामला दर्ज कराकर उसे सजा दिला सकता है.

क्या वैवाहिक होते हुए भी लिव इन में रहा जा सकता है?
कुछ समय पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले पर असहमति जताई थी जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक विवाहित व्यक्ति के लिव इन संबंध को अपराध माना था. पंजाब हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि दो बालिग लोग आपसी सहमति के एक साथ रह सकते हैं. इसे समझाते हुए रीता कोहली कहती हैं, ”अगर कोई मर्द विवाहित है और वो किसी दूसरी महिला के साथ लिव इन में रहने लगता है तो ये उसका निजी मामला है क्योंकि भारतीय संविधान और कानून हर किसी को अपनी मर्जी और आजादी से जिंदगी जीने का अधिकार देता है. इसलिए ये अपराध के दायरे में नहीं आता लेकिन अगर कोई आदमी अपनी पत्नी को तलाक दिए बिना किसी दूसरी महिला से शादी कर लेता है तो फिर इस स्थिति में आपराधिक मामला बनता है क्योंकि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना अपराध है.”

लिव इन महिला भी कर सकती है घरेलू हिंसा की शिकायत
रीटा कोहली ने बताया, ”सुप्रीम कोर्ट लिव-इन में रहने वाली महिलाओं को शादीशुदा महिलाओं की तरह ही घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 का संरक्षण देता है. अगर लिव-इन में रहने वाली महिला के साथ किसी भी तरह की शारीरिक हिंसा जैसे मारपीट होती है तो वो पुलिस से शिकायत कर सकती है.”रीता कोहली ने यहां ये भी बताया कि अगर आप किसी से प्रेम करते हैं और उसके साथ रहना चाहते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन किसी नए रिश्ते के लिए पुराने रिश्तों को छोड़ना नहीं चाहिए. लड़का हो या लड़की, उन दोनों को ही किसी के साथ रहने से पहले अपने मां-बाप को भरोसे में लेना चाहिए. उनसे संपर्क रखना चाहिए. अपने जान-पहचान वालों के साथ कॉन्टैक्ट रखना चाहिए ताकि किसी भी अच्छी-बुरी स्थिति में आपका हाल जानने वाले लोग हों.

वो कहती हैं, ”अगर आपका सर्किल मजबूत होगा तो कोई भी आपको नुकसान पहुंचाने से पहले 10 बार सोचेगा. इसी तरह लड़कियों के लिए फाइनैंशियल इंडिपेडेंट होना भी जरूरी है. उन्हें सिर्फ अपने मेल पार्टनर पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और ये महिला और पुरुष दोनों पर लागू होता है. किसी एक व्यक्ति पर लंबे वक्त तक फाइनैंशियल डिपेंडेंसी कई बार रिश्ते खराब कर देती है. इसलिए हेल्दी रिलेशन के लिए म्युचुअल डिपेंडेंसी जरूरी है.”

लिव इन रिलेशन में रहें तो ध्यान दें ये चीजें
लिव इन में रहना लड़का और लड़की दोनों के लिए बहुत ही बड़ा फैसला होता है और इसे बहुत ही सोच-समझकर लेना चाहिए. कानून ने भले ही इस तरह के संबंध को मान्यता दे दी है लेकिन सामाजिक ताने-बाने में अभी भी ये संबंध स्वीकार्य नहीं है. हालांकि ये कपल का निजी मामला है लेकिन फिर कुछ चीजें हैं जिन्हें हर कपल को लिव इन में रहने से पहले ध्यान रखनी चाहिए.

लिव इन में कपल के बीच भरोसा हो
अगर कोई कपल लिव इन में रहने की सोच रहा है तो उनके बीच भरोसा होना चाहिए. लड़का और लड़की इस बात को लेकर भी निश्चित होने चाहिए कि अगर आपको कोई बीमारी या परेशानी हो या आपको कोई फाइनैंशियल क्राइसिस हो तो उस स्थिति में आपका पार्टनर आपके अभिभावकों की तरह ही आपके साथ खड़ा रहेगा.

एक-दूसरे के प्रति वफादारी हो
शादी की तरह ही लिव इन रिलेशनशिप में भी महिला और पुरुष एक छत के नीचे रहते हैं. साथ खाते-पीते हैं और सोते हैं. उनके बीच का रिश्ता पति-पत्नी की तरह ही होता है. ऐसे में शादी की ही तरह लिव इन में भी महिला और पुरुष का एक-दूसरे के प्रति ईमानदार रहना जरूरी है.

बाकी रिश्तों की तरह ही सम्मान भी जरूरी
रिश्तों को बरकरार रखने के लिए प्यार के साथ ही सम्मान भी जरूरी होता है. लिव इन में रह रहे कपल को अपने पार्टनर के प्रति सम्मान होना चाहिए. आप दोनों के बीच कितना भी प्यार क्यों ना हो लेकिन अगर आपके बीच एक-दूसरे के प्रति सम्मान नहीं है तो आपका रिश्ता लंबे समय तक नहीं चल सकता.

हिंसक पार्टनर के साथ भूलकर भी ना रहें
प्यार करने वाले जोड़ों के बीच तकरार या लड़ाई-झगड़ा होना सामान्य है. अगर आपके अपने पार्टनर के साथ लिव इन में रहने की सोच रहे हैं तो जाहिर है कि आप उसके व्यवहार और आदतों से भलि-भांति परिचित होंगे. अगर आपका पार्टनर बहुत गुस्सैल है और गुस्से में वो मारपीट भी करता है तो आपको ऐसे व्यक्ति के साथ नहीं रहना चाहिए. लड़का और लड़की दोनों में किसी का भी रवैया हिंसक होता है तो ये आगे चलकर दूसरे पार्टनर के लिए मुसीबत बन सकता है. गुस्से में खुद पर काबू ना रख पाना एक बहुत बड़ी खामी है जिसका अंजाम कई बार काफी बुरा भी हो सकता है.