हिमाचल के छह जिलों के फैला लंपी स्किन रोग, 40 पशुओं की मौत, रिपोर्ट में हुई पुष्टि

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हिमाचल के ऊना, हमीरपुर और कांगड़ा जिले के बाद अब शिमला, सोलन और सिरमौर में भी पशु भी लंपी स्किन रोग की चपेट में आ गए हैं। प्रदेश में अभी तक 40 पशुओं की इस रोग से मौत हो चुकी है, जबकि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 590 पशुओं में लंपी स्किन रोग पाया गया है। इसका खुलासा भोपाल से आई रिपोर्ट में हुआ है। पशुपालन विभाग ने रिपोर्ट आने के बाद पशुओं को वैक्सीन लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। प्रदेश में लंपी स्किन रोग के मामले सामने आने के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। प्रदेश के किन जिलों में इस रोग से पशुओं की मौत हुई है, इसकी रिपोर्ट मांग ली है। पशुपालन विभाग के सभी उपनिदेशकों को निर्देश दिए गए हैं कि लंपी स्किन रोग का मामला सामने आने पर पशुओं को तुरंत वैक्सीन लगाएं।

अधिकारियों की टीमें गठित कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। लंपी स्किन रोग के कारण पशुओं की खाल पर गिल्टियां बनने और तेज बुखार आने से उनकी मौत हो रही है। कमजोर पशु इस बीमारी की ज्यादा चपेट में आ रहे हैं। इस रोग से पीड़ित पशुओं में तेज बुखार आता है। ऐसे पशुओं की चमड़ी में गिल्टियां बनती हैं। ताजा जानकारी के अनुसार शिमला के चेली, सिरमौर के नैनाटिक्कर और सोलन के धर्मपुर क्षेत्र में पशुओं की इस रोग के कारण मौत होने की सूचना मिली है। उधर, पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. प्रदीप शर्मा ने कहा कि भोपाल से आई रिपोर्ट में प्रदेश में लंपी स्किन रोग से पशुओं की मौत की पुष्टि हुई है। उप निदेशकों को डॉक्टरों की टीमें तैनात करने के लिए कहा गया है। पशुओं को वैक्सीन लगाने को भी कहा है।

रोग से प्रभावित पशुओं को अलग रखें
पशु चिकित्सकों का कहना है कि लंपी स्किन रोग से प्रभावित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें। पशुओं के रहने के स्थान पर बराबर छिड़काव करें, ताकि मच्छर और मक्खियां न रहें। पशुओं में तेज बुखार आने और उन्हें भूख न लगने पर डॉक्टरों से वैक्सीन जरूर लगाएं।

ऊना जिले में 27 और पशु मिले संक्रमित
जिला ऊना में बरसात के मौसम में पशुओं में चर्म रोग के मामले सामने आने लगे हैं। इस बीमारी के लक्षण लंपी स्किन रोग की तरह हैं। पिछले तीन दिन में करीब 27 पशु इस बीमारी से ग्रस्त पाए गए हैं। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि यह रोग लंपी स्किन है या कोई और वायरस। इसकी जांच के लिए पशुपालन विभाग ने सैंपल भोपाल भेज दिए हैं। जानकारी के अनुसार जिले के पनोह, टटेड़ा, चौकी मन्यार, धमांदरी, चुरुड़ू और संतोषगढ़ सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में पशुओं को त्वचा से जुड़ी बीमारी हो रही है। इसमें पशुओं की त्वचा पर गांठें बन जाती हैं। पशुओं को तेज बुखार भी आता है। चार से छह अगस्त तक कुल 27 मामले सामने आए हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए जिला पशुपालन विभाग तैयारी में जुट गया है। उधर, पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. जय सिंह सेन ने कहा कि इस बीमारी के लक्षण लंपी स्किन की तरह हैं।

अगर पशुओं में इस तरह के लक्षण पाए जाते हैं तो इलाज के लिए स्थानीय पशु चिकित्सा संस्थान में संपर्क करें और बीमार पशुओं को दूसरे पशुओं से अलग रखें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। बताया जा रहा है कि पशुपालन विभाग ने इस बीमारी के मद्देनजर जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। सभी अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रतिदिन इस बीमारी से ग्रस्त पशुओं की जानकारी देने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। रोग की रोकथाम के लिए गठित टीम ने गांव टटेहड़ा और धमांदरी में बीमार पशुओं के खून व चमड़ी के नमूने एकत्रित किए हैं। इन्हें जांच के लिए भोपाल प्रयोगशाला में भेजा है। इसके अलावा संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखा गया है।