हरियाणा में मायावती ने बढ़ाई BJP-कांग्रेस की टेंशन: 35 सीटों पर खेल बिगाड़ सकते हैं दलित वोटर, जाटों को लुभाया

Mayawati increased the tension of BJP and Congress in Haryana: Dalit voters can spoil the game on 35 seats, lured Jats
Mayawati increased the tension of BJP and Congress in Haryana: Dalit voters can spoil the game on 35 seats, lured Jats
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चंडीगढ़: हरियाणा में बसपा सुप्रीमो मायावती बीजेपी और कांग्रेस दोनों की टेंशन बढ़ा सकती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह बीएसपी का परंपरागत वोट बैंक है, जो चुनाव में खेल बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है। मायावती हरियाणा पर इसलिए भी फोकस कर रही हैं, क्योंकि यहां 2121 सीटें भाजपा ने जीती थीं. यही वो वोट बैंक है, जो मायावती को हरियाणा में मजबूत दावेदार बनाता है। प्रदेश में दलित आबादी वंचित अनुसूचित जाति (DSCs) और अन्य अनुसूचित जाति (OSCs) के रूप में वर्गीकृत हैं।

हालांकि बीएसपी को छोड़कर सभी राजनीतिक दल इन पर अपना हक जताते हैं, लेकिन पिछले 4 चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में बीएसपी का वोट बैंक जरूर बढ़ा या घटा है। इसके अलावा विधानसभा की 17 सीटें आरक्षित हैं और राज्य की 35 सीटों पर दलित वोटरों का प्रभाव है। बीएसपी सुप्रीमो का टारगेट 17 और 35 सीटों पर है, जहां दलित वोटरों का प्रभाव है, ताकि हरियाणा में बीएसपी गेम चेंजर की भूमिका में रहे। हरियाणा में दलित वोट का महत्व 2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा की आबादी में दलितों की हिस्सेदारी 20.2% है, जिसमें 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (SC) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, एससी आबादी शहरी क्षेत्रों में 15.8% की तुलना में 22.5% अधिक है।

मायावती कैसे बढ़ाएंगी बीजेपी और कांग्रेस की टेंशन?

कांग्रेस के लिए ये खड़ी होंगी मुश्किलें 1. 2019 में इनमें से 21 सीटें भाजपा ने जीती थीं, 15 कांग्रेस ने और 8 जेजेपी ने जीती थीं। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस-आप गठबंधन ने 68% दलित वोट हासिल किए, जिससे उसे स्पष्ट बढ़त मिली। लेकिन अब जेजेपी-भीम आर्मी और BSP-INLD गठबंधन की नज़र उन्हीं मतदाताओं पर है, ऐसे में कांग्रेस के लिए मुश्किल काम होगा। 2. 2024 में दलितों के समर्थन से कांग्रेस सबसे बड़ी लाभार्थी बनकर उभरी, लेकिन मायावती और आजाद दोनों ही पार्टी की संभावनाओं को बिगाड़ने के लिए पर्याप्त वोट खींच सकते हैं, क्योंकि इस मुकाबले में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है।

BJP की टेंशन की ये है बड़ी वजह 1. 2024 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा को अपने दलित वोटों में भारी गिरावट देखने को मिली, जो कांग्रेस की ओर चले गए। लगभग 68% दलित मतदाताओं ने I.N.D.I.A (कांग्रेस-आप) का समर्थन किया, जो 40% से अधिक की वृद्धि है। केवल 24 प्रतिशत दलितों ने भगवा पार्टी का समर्थन किया, जो 34% की गिरावट है। इस बदलाव के परिणामस्वरूप, भाजपा ने 10 संसदीय सीटों में से 5 खो दीं। कांग्रेस ने एससी-आरक्षित दोनों लोकसभा सीटें -अंबाला और सिरसा जीतीं। हालांकि, यह प्रभुत्व अब बीएसपी और भीम आर्मी से खतरे में पड़ सकता है, जिन्होंने अपनी किस्मत आज़माई है।

2. हरियाणा में बीजेपी को लगता है कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष द्वारा उठाए गए संविधान के मुद्दे से दलित वोटरों में बीजेपी के प्रति एक प्रकार का भय है, जिसे दूर करने के लिए पार्टी जी तोड़ प्रयास कर रही है। हाल ही में हरियाणा दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में दलित आरक्षण का जिक्र किया, उन्होंने यहां तक दावा किया कि कांग्रेस यदि सत्ता में आती है तो वह आरक्षण को खत्म कर देगी।

BSP का वोट 2 चुनावों में कैसे घटा हालांकि बीएसपी का वोट शेयर हर चुनाव में घटता जा रहा है, पिछले 2 विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को यदि हम देखें तो 2014 में उन्होंने 4.4% वोट शेयर लिया था, इस चुनाव में उन्होंने एक सीट पर जीत भी हासिल की थी। वहीं 2019 में .2% की वोट में गिरावट आई और वोट शेयर 4.2% वोट लेने में सफल रही। भले ही बसपा के वोट शेयर में गिरावट देखी गई हो, लेकिन सूबे के क्षेत्रीय दल जननायक जनता पार्टी (JJP) और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) से ज्यादा है।

ताबड़तोड़ 4 रैलियां करेंगी बसपा सुप्रीमों बसपा सुप्रीमों मायावती हरियाणा में 4 रैलियां करेंगी। 25 सितंबर को वह जींद में अपनी पहली रैली करेंगी। इसके बाद फरीदाबाद, करनाल और 1 अक्टूबर को यमुनानगर में अपने चुनावी अभियान को विराम देंगी। मायावती को हरियाणा के साथ ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाया है। उनके इस अभियान में उनके उत्तराधिकारी, भतीजे पार्टी के नेशनल कनवीनर आकाश आनंद भी हरियाणा पर फोकस करेंगे। वह प्रदेश में 18 सितंबर से नौ दिन चनाव अभियान चलाएंगे।