दूध बेचने वाला राजू ठेहट लाशों के ढेर लगाकर ऐसे बना सबसे बड़ा गैंगस्टर, दोस्त ने इसलिये उतारी 24 गोलियां

Milk seller Raju Thehat became the biggest gangster by placing a pile of dead bodies, so his friend fired 24 bullets
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सीकर. राजस्थान में गैंगस्टर राजू की हत्या करने के बाद से बवाल मचा हुआ है। पूरा शेखावटी इलाका दहला हुआ है। राजू ठेठ की हत्या के बाद उसका शव लेने से परिवार ने इंकार कर दिया है । समाज के लोगों ने और परिवार के लोगों ने अस्पताल के बाहर धरने प्रदर्शन की तैयारी कर ली है। पूरे सीकर को बंद करा दिया गया है। सीकर पुलिस इस मामले में जल्द ही धारा 144 लगाने के साथ ही इंटरनेट बंद करने की तैयारी भी कर रही है । राजू ठेठ के साथ में बलवीर बानूड़ा का नाम लगातार गूंज रहा है बलवीर बानूड़ा कौन था और राजू ठेठ का उस से क्या ताल्लुक था यह पूरा घटनाक्रम किसी फिल्मी कहानी जैसा ही है…..

दोनों किसी समय दोस्त थे और उसके बाद ऐसी दुश्मनी हुई की लाशें बिछती ही चली गई…। यह पूरा घटनाक्रम साल 1990 का है । पुलिस अफसरों का कहना है कि सीकर मैं बलवीर बानूड़ा अपना पैतृक व्यवसाय संभालता था। वह किसान था और साथ में गाय और भैंस का दूध बेचता था । गाय भैंस का दूध बेचकर वह खुश था और परिवार पालता था । उसके बाद उसके मुलाकात 1994 में राजू ठेहट से हुई। दोनों की मुलाकात दोस्ती में बदली और दोस्ती फिर शुरू हो गई।

दूध का कारोबार छोड़कर शराब कारोबार में उतरे दोनों
1995 में राजू ठेहट ने शराब कारोबार में हाथ डाला और बलवीर को कहा कि वह भी उसके साथ आ सकता है। दूध बेचने में कोई पैसा नहीं है। कुछ समय सोचने के बाद राजू से बलवीर ने हाथ मिलाया और दूध का कारोबार छोड़कर शराब कारोबार में दोनों दोस्त उतर गए । दो-तीन साल में ही राजू और बलवीर दोनों की लाइफ स्टाइल बदल गई। साइकिल पर चलने वाले दोनों दोस्त बुलेट गाड़ियां चलाने लगे और उसके बाद लग्जरी कारों में घूमने लगे। शराब का धंधा दोनों को जमकर भा रहा था रहा था।

यूं दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदलती चली गई…
3 साल के बाद साल 1998 में दोनों ने अपराध की दुनिया में भी कदम रख दिया। बलबीर और राजू ने मिलकर अपने प्रतिद्वंदी भीमाराम नाम के एक गैंगस्टर की हत्या कर दी । उसके बाद उनका इलाका और बढ़ गया। अब सीकर के अलावा शेखावटी इलाके में भी अवैध और वेध शराब बेचना शुरू कर चुके थे। सब कुछ आने वाले 6 से 7 साल तक बहुत अच्छा चलता रहा और दोनों ने संपत्तियां बनाना शुरू कर दिया। लग्जरी गाड़ियां लेने लगे और नेताओं के बीच में बैठने लगे। लेकिन इस दोस्ती को नजर लगी और उसके बाद सब कुछ बिगड़ता चला गया । लाशें बिछती चली गई । साल 2004 में सीकर में जीण माता मंदिर के पास शराब की दुकान को लेने के बाद दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदलती चली गई ।

साले की हत्या के बाद दोनों बन गए दश्मन
आबकारी विभाग की ओर से यह लॉटरी राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा ने मिल कर ली थी । उसके बाद बलवीर ने इस दुकान का काम संभालने के लिए अपने साले विजयपाल को वहां लगा दिया । विजय पाल सिंह हर रात को दुकान का पूरा हिसाब राजू और बलवीर को देता था । लेकिन राजू को ऐसा लगता था कि दुकान में मुनाफा ज्यादा है और विजयपाल उसे कम पैसा देता है । इस बात को लेकर विजयपाल और बलवीर के साथ राजू का झगड़ा हुआ। तो कुछ दिन बाद ही राजू ने विजय पाल की हत्या कर दी। अपने साले की हत्या के बाद बलवीर बानूड़ा ने राजू को ठिकाने लगाने की तैयारी कर ली । लेकिन धन बल में वह उससे कम था। इस कारण उसने शेखावटी के सबसे बड़े गैंगस्टर आनंदपाल सिंह से हाथ मिला लिया । यह दोस्ती इतनी गहरी रही कि अब आए दिन दोनों पक्षों में गैंगवार होने लगी ।

जेल में ही गैंगवार में तब्दील हो गया
साल 2012 में राजस्थान पुलिस ने बलवीर, आनंदपाल और राजू तीनों को गिरफ्तार कर लिया और एक ही जेल में बंद कर दिया । इस दौरान सीकर जेल में राजू पर हमला हुआ। लेकिन वह बाल-बाल बच गया । उसे पता चला कि यह हमला बलवीर और आनंदपाल सिंह ने कराया है ,तो वह दोनों के खून का प्यासा हो गया । यह सब कुछ जारी रहा उसके बाद साल 2014 में बीकानेर सेंट्रल जेल में राजू ने बलवीर और आनंदपाल को मारने की योजना रची। आनंदपाल और बलवीर पर हमला कराया गया । यह हमला जेल में ही गैंगवार में तब्दील हो गया । पता चला कि बलवीर बानूड़ा के अलावा दो अन्य लोगों की भी जेल में ही हत्या हो गई । इस हत्या की जिम्मेदारी राजू पहले ही ले चुका था ।

दुश्मनी बढ़ी तो आगे-पीछे चलने लगे बाऊंसर
बलवीर बानूड़ा की हत्या के बाद से ही उसका बेटा सुभाष बानूड़ा गैंगस्टर राजू से बदला लेने की फिराक में था। लेकिन उसे सही मौका नहीं मिल रहा था। इस बीच लगातार बढ़ रही गैंगवार की घटनाओं के दौरान राजू ने अपने साथ प्राइवेट गार्ड रखना शुरू कर दिया । अब वह हमेशा गार्ड के सहारे ही रहता था।

गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर ने सब बदल दिया
इस बीच राजस्थान में अपराध का पर्याय बन रहे 500000 के नामी गैंगस्टर आनंदपाल को साल 2017 में पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया । अब राजू से बदला लेने की बलवीर के बेटे सुभाष की आखिरी उम्मीद भी खत्म होती जा रही थी। तभी लॉरेंस गैंग ने आनंदपाल की गैंग को संभाला और उनसे हाथ मिलाया उसके बाद लॉरेंस गैंग से बलवीर के बेटे सुभाष ने भी संपर्क किया । इन सब मेल मिलाप के बाद आज गैंगस्टर राजू ठेहट को दर्दनाक मौत दी गई।