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कबीरधाम: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में हत्या के मामले में जेल में बंद एक व्यक्ति की मौत हो गई. मृतक के परिवार का आरोप है कि पुलिस की पिटाई की वजह से उसकी मौत हुई है. इसके बाद मामले में राजनीति तेज हो गई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं. वहीं एक आईपीएस अधिकारी विकास कुमार को निलंबित कर दिया गया है. इसके साथ ही मृतक प्रशांत साहू के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की गई है. कांग्रेस ने मामले को लेकर आज (20 सितंबर) को जिले में बंद का आह्वान किया है. इसके साथ राज्य के गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग की है. वहीं घटना के बाद गांव में तनाव को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है.
मामले पर क्या बोले प्रदेश के गृह मंत्री?
वहीं छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा की भी मामले पर प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति की जेल में मौत के बाद न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं. एक दिन पहले मृतक प्रशांत साहू के हाथ में चोट लगी थी, उसका एक्स-रे किया गया था, तब सबकुछ सामान्य था. प्रशांत साहू के शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया है, विसरा को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है. जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है.
विजय शर्मा ने बताया कि मामले में 2020 बैच के आईपीएस अधिकारी अतिरिक्त एसपी विकास कुमार को निलंबित कर दिया गया है. विकास कुमार ने उस टीम का नेतृत्व किया थास जिसे प्रशांत ने गिरफ्तार किया था. वहीं मृतक प्रशांत साहू के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की गई है.
मृतक प्रशांत के परिजनों से मिले पूर्व मुख्यमंत्री
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने गुरुवार को मृतक प्रशांत साहू के परिजनों से मुलाकात की. इस दौरान मीडिया की मौजूदगी में प्रशांत की मां ने बताया कि पुलिस ने थाने में उन्हें बेरहमी से पीटा. उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. इसके बाद कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें प्रशांत के शरीर पर चोट के निशान दिखाई दे रहे हैं.
इसके साथ भूपेश बघेल ने लिखा, “अगर इस देश में कोई कानून का राज बचा हो, अगर देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जनता को लेकर जरा भी संवेदनशील हों, तो छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री को तुरंत उसके पद से हटा देना चाहिए. पुलिस की इतनी बेरहम पिटाई और उसके बाद मौत, वो भी गृह मंत्री के खुद के जिले में, मृतक के भाई और मां सहित अन्य बंदियों की भी ऐसी ही पिटाई की गई है. उनकी भी स्थिति अच्छी नहीं है. छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था का अंतिम संस्कार हो चुका है.”