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मुजफ्फरनगर। रेलवे के द्वारा निर्मित कराया जा रहा डेडिकेटिड फ्रेट कोरीडोर के लिए जनपद के किसानों की भूमि अधिग्रहित कर लिये जाने के वर्षों बाद भी नियमानुसार उनको मुआवजा राशि नहीं मिल पाने से किसान मानसिक रूप से यातना झेल रहे हैं। इन किसानों की समस्याओं को लेकर आज भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम चंद्रभूषण से मुलाकात की और किसानों को तत्काल मुआवजा राशि दिलाये जाने की मांग करते हुए चेतावनी दी कि यदि किसानों को पैसा रिलीज नहीं किया गया तो जिले में आंदोलन खड़ा करने का काम किया जायेगा। इसमें रेलवे के द्वारा एक आदेश का हवाला देते हुए 3 प्रतिशत किसानों का करीब साढ़े तीन करोड़ रुपया रोका गया है। इसके साथ ही किसानों की अन्य समस्याओं को भी प्रतिनिधिमण्डल ने डीएम के समक्ष उठाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार को भाकियू अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक के नेतृत्व में संगठन के पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधि मण्डल कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी चन्द्रभूषण सिंह से मिला और किसानों की कई समस्याओं को उनके सामने रखते हुए उनका निस्तारण कराने की मांग की है। भाकियू अराजनैतिक के जिलाध्यक्ष अंकित चौधरी ने बताया कि जनपद में रेलवे के द्वारा डेडिकेटिड फ्रेट कॉरीडोर का निर्माण कार्य तेजी से पूरा कराया जा रहा है। इसके निर्माण के लिए किसानों की भूमि का अधिग्रहण रेलवे बोर्ड के द्वारा साल 2015 में पारित किये गये भूमि अधिग्रहण कानून में दी गई व्यवस्था के तहत किया गया था। उन्होंने बताया कि भूमि अधिग्रहण में भूमि की मुआवजा राशि के साथ ही किसानों को रेलवे की ओर से पुनर्वासन योजना के तहत भी प्रति किसान 5.50 लाख रुपये दिये जाने का प्रावधान किया गया था।
इसके लिए जनपद में भूमि अधिग्रहण में आये किसानों में से करीब 97 प्रतिशत किसानों को पुनर्वासन योजना के तहत यह राशि रेलवे के द्वारा प्रदान कर भी दी है, लेकिन इसके बाद शेष रहे 3 प्रतिशत किसानों का पैसा रेलवे बोर्ड ने रोक लिया है। अंकित चौधरी का कहना है कि इसके पीछे डीएफसीसी ;डेडिकेटिड फ्रेट कॉरीडोर कारपोरेशनद्ध के अधिकारियों का कहना है कि साल 2019 में रेलवे बोर्ड ने आदेश पारित करते हुए योजना में भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों को पुनर्वासन योजना में पैसा देने पर रोक लगा दी है। इसलिए ही 3 प्रतिशत किसानों का यह पैसा नहीं दिया जा रहा है। इससे किसान परेशान हैं। उन्होंने बताया कि इन 3 प्रतिशत किसानों में जिले के 62 पात्र किसान शामिल हैं, जिनको रेलवे बोर्ड के द्वारा पुनर्वासन योजना के तहत करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये की राशि जारी करनी है, लेकिन लगातार मांग के बावजूद भी रेलवे द्वारा हठधर्मिता दिखाते हुए ये पैसा जारी नहीं किया जा रहा है।
जिलाध्यक्ष अंकित चौधरी ने बताया कि इसी समस्या को लेकर आज जिलाधिकारी से मुलाकात की गई और उनको सारी स्थिति से अवगत कराते हुए शेष 3 प्रतिशत किसानों को भी रेलवे बोर्ड से पुनर्वासन योजना में रूका हुआ पैसा जारी कराये जाने का आग्रह किया गया है। उन्होंने बताया कि रेलवे बोर्ड के द्वारा भूमि अधिग्रहण के दौरान शेष किसानों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को मौके पर पूरा करा लिया गया था, लेकिन विभागीय स्तर पर इसकी ऑनलाइन कार्यवाही देरी से की गई। इसमें गलती विभागीय क्लर्कों की हैं और नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। अंकित चौधरी ने बताया कि जिलाधिकारी ने प्रतिनिधिमण्डल की बात सहानुभूति पूर्वक सुनी और आश्वासन दिया कि वह इस सम्बंध में डीएफसीसी के अधिकारियों से वार्ता करेंगे और पैसा जल्द दिलाने का प्रयास किया जायेगा। अंकित चौधरी ने बताया कि यदि इन किसानों का पैसा नहीं दिया जाता है तो संगठन मजबूर होकर जिले में बड़ा अंादोलन करेगा। इसके साथ ही गांव पुरबालियान में चकबंदी, गन्ना भुगतान और अन्य मामलों को लेकर भी जिलाधिकारी से समाधान की मांग की गई। भाकियू अराजनैतिक के प्रतिनिधिमण्डल में राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक, मण्डल अध्यक्ष नीरज पहलवान, जिलाध्यक्ष अंकित चौधरी और अर्जुन सिंह प्रधान ग्राम जटनंगला शामिल रहे।