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मुजफ्फरनगर। गन्ना विभाग नव पेराई सत्र में गन्ने से पहले किसान के नाम उसकी भूमि की जांच करेगा। इसके लिए तहसील से खसरा-खतौनी का रिकार्ड निकलवाया गया है। इस प्रक्रिया से फर्जी गन्ना अनुबंध पर रोक लगेगी। सर्वेक्षण में किसान का शपथ-पत्र भरवाया जा रहा है। जिसमें किसान अपनी भूमि का उल्लेख कर रहा है। गन्ना रकबा से पहले विभाग भूमि का रिकार्ड खंगाल रहा है। शपथ-पत्र के विपरीत भूमि, गन्ना रकबा मिलता है तो किसान का बांड नहीं बन सकेगा।
शुगर मिल के साथ काम में जुटा विभाग
गन्ना समिति के सचिव महिपाल सिंह ने बताया कि वर्तमान पेराई सत्र-2021-22 समाप्त हो गया है। खतौली शुगर मिल भी 25 मई के बाद बंद हो जाएगी। इसके साथ ही सहकारी गन्ना विकास समिति ने मिल अधिकारियों के साथ मिलकर सर्वेक्षण प्रारंभ किया है। इसके लिए गांव-गांव जाकर टीम गन्ना रकबा का ड्रोन के साथ मैनुअल रुप से सर्वे कर रही है। नव पेराई सत्र 2022-23 में गन्ना आपूर्ति को पूर्ण रुप से पारदर्शी बनाया जाएगा। इसके लिए किसान के नाम कुल भूमि, गन्ना रकबा की जांच-पड़ताल हो रही है। विभाग ने किसान द्वारा दिए गए शपथ-पत्र का सत्यापन करने के लिए भूमि का रिकार्ड राजस्व विभाग से मांगा है। भूमि से अधिक गन्ना रकबा या मानक अनुरुप रकबा नहीं मिलता है तो किसान का गन्ना आपूर्ति अनुबंध रोका जाएगा।
तहसील क्षेत्र में 38 हजार किसान
खतौली शुगर मिल में गन्ना आपूर्ति के लिए 38 हजार किसान संबद्ध है। इन्हें गन्ना आपूर्ति के लिए वैध ठहराया गया है। इन किसानों का रिकार्ड दुरुस्त किया जा रहा है। मृतक किसान, भूमि बंटवारा और खरीद-फरोख्त का रिकार्ड सुरक्षित किया जाएगा। पूर्व में गन्ना विभाग की जांच में सामने आया था कि खतौली तहसील क्षेत्र में 400 से अधिक मृतक किसानों के नाम से गन्ना आपूर्ति पाया गया था, जबकि सैकड़ों बांड में हेरफेर मिला था। इसके चलते ही सर्वेक्षण को बारीकि से किया जा रहा है।