मुजफ्फरनगर की गैंगस्टर कोर्ट ने सुनाई सजा, अपहर्ता काे गैंगस्टर एक्ट में 5 साल की कैद

Gangster Court of Muzaffarnagar sentenced the kidnapper to 5 years in the Gangster Act
Gangster Court of Muzaffarnagar sentenced the kidnapper to 5 years in the Gangster Act
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मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर की गैंगस्टर कोर्ट ने 27 साल पहले अधिवक्ता के भाई का अपहरण कर 5 लाख रुपये की फिरौती मांगने वाले बदमाश को गैंगस्टर एक्ट में दोषी पाते हुए 5 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। 1995 के इस मुकदमे में एसएसपी अभिषेक यादव की सक्रियता के चलते अंतिम अवसर पर गवाही कराए जाने पर अभियोजन बदमाश को सलाखों के पीछे पहुंचाने में सफल हो सका।

गेहूं काटते समय 1995 में किया गया था अपहरण

अभियोजन अधिकारी संदीप सिंह ने बताया कि ¾ मई 1995को घिसड़ पट्टी बड़गांव सहारनपुर निवासी अधिवक्ता नरेश कुमार पुत्र बारू अपने गांव में छोटे भाई पवन व अन्य लोगों तोता राम व राका, प्रेम के साथ खेत पर रात में थ्रेसर से गेहू निकाल रहें थे। अचानक 4 बदमाश अपने हाथों में तमंचे लेकर आये और जान से मारने की धमकी देते हुए नरेश के छोटे भाई पवन का अपहरण कर ले गए। बदमाशों ने अपह्रत को छुड़ाने की एवज में 5 लाख रूपये की फिरौती मांगी। इस घटना की अधिवक्ता नरेश कुमार ने थाना झिंझाना (वर्तमान में जिला शामली) में रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने 20 दिन बाद बदमाशों को खोज निकाला और मुठभेड़ के बाद पवन को आजाद कराया। जिसमे पुलिस ने 4 बदमाश जिनमें रामकुमार पुत्र स्व सोम दत्त शर्मा निवासी भावसा तीतरो सहारनपुर, सुशील पुत्र धर्मपाल निवासी हाथछोया झिंझाना, सत्यपाल उर्फ़ पालू पुत्र फेरु निवासी हथछोया व जगदीश पुत्र शिवदत्त निवासी बिराल थाना कांधला को गिरफ्तार कर जेल भेजा।

चारों बदमाशों पर पुलिस ने लगाया था गैंगस्टर

अभियोजन अधिकारी संदीप सिंह ने बताया कि पूर्व थानाध्यक्ष झिंझाना सुरेश सिंह चौहान ने अपहरण के मामले में गिरफ्तार किये गए बदमाशों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की थी। अभियुक्त सुशील व जगदीश की विचारण के दौरान मौत हो चुकी है। जबकि सत्यपाल को पहले ही सजा हो चुकी है। शुक्रवार को सुनवाई पूरी होने पर गैंगस्टर जज बाबू राम ने अभियुक्त रामकुमार को 5 साल के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माना से दंडित किया। जुर्माना न देने पर एक माह का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा, अभियुक्त रामकुमार को कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया गया। अभियोजन अधिकारी संदीप सिंह व विशेष लोक अभियोजक़ दिनेश सिंह पुंडीर, राजेश शर्मा ने पैरवी की।

एसएसपी की सक्रियता से संभव हो सकी गवाही

मुकदमे में वादी नरेश व अपह्रत पवन और थानाध्यक्ष सुरेश चौहान की 10 वर्ष पूर्व आधी गवाही हो चुकी थी। लेकिन बचाव पक्ष ने जिरह नहीं की तो कोर्ट ने जिरह का अवसर समाप्त कर दिया। इस पर बचाव पक्ष उच्च न्यायालय से गवाहो से जिरह की अनुमति प्राप्त करने में सफल रहा। इतने वर्षो में अधिवक्ता नरेश अपने गांव चले गए और तत्कालीन झिंझाना थानाध्यक्ष सुरेश चौहान रिटायर हो गए। काफ़ी खोजने पर भी इनका पता नहीं चल पा रहा था। अभियोजन अधिकारी संदीप सिंह ने बताा कि ऐसे में जिरह के अभाव में इन महत्वपूर्ण गवाहों की पूर्व गवाही का महत्व भी खत्म हो गया था। कोर्ट द्वारा साक्ष्य समाप्त कर वाद निर्णय के लिए नियत कर दिया, निर्णय से एक दिन पूर्व अभियोजन द्वारा एसएसपी को इस समस्या से अवगत कराया कि निर्णय से पूर्व भी यदि गवाह उपस्थित हो जाए तों अंतिम प्रयास किया जा सकता है। एसएसपी अभिषेक यादव ने इसे गंभीरता से लिया और अगले दिन विगत सप्ताह ही निर्णय से पूर्व अपह्रत पवन, अधिवक्ता नरेश व तत्कालीन थानाध्यक्ष सुरेश चौहान को कोर्ट में प्रस्तुत कराया। जिस पर अभियोजन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के दृष्टांत रखते हुए गवाहों की गवाही की याचना की कि निर्णय से पूर्व भी कोर्ट अभियोजन को साक्ष्य का अवसर दे सकती है। प्रभावी बहस के उपरांत अभियोजन कोर्ट को संतुष्ट करने में सफल रहा और कोर्ट से अनुमति मिली जिस पर अभियुक्त को जिरह करनी पड़ी। गवाहो ने भी जिरह में अभियोजन कथानक का पूर्ण समर्थन किया, और शुक्रवार को अभियोजन अभियुक्त को सजा कराने में सफल रहा।